उन्होंने ये भी कहा कि अभिषेक वर्मा के पिताजी और माताजी राज्य सभा के सदस्य रहे हैं और अभिषेक के पिता काफी बड़े बुद्धिजीवी माने जाते थे. उनका इंदिरा गांधी के साथ बहुत अच्छा संपर्क था और उन्होंने ही नारा दिया था कि जात पर न पात पर इंदिरा जी की बात पर मुहर लगेगी हाथ पर.

इसके बाद वरुण ने उनसे कहा कि आप मुझे ये कह रहे हैं कि मैं डिफेंस कमिटी का मेंबर था और डिफेंस से संबंधित जानकारियां मैंने किसी को दी. ये सच नहीं है, क्योंकि मैं किसी भी डिफेंस कमिटी की मीटिंग में शामिल ही नहीं हुआ. अब अमित शाह के चौंकने की बारी थी. वरुण गांधी के नजदीकी सूत्रों के हिसाब से अमित शाह ने कहा कि लेकिन ये जानकारी तो सीबीआई के पास आई है. वरुण गांधी ने कहा कि अब आप ये देखें कि सीबीआई की जानकारी कितनी सही है, कितनी नहीं है और फिर इसमें जो लड़का है वो बहुत दुबला-पतला है.

आप मुझे देख रहे हैं कि मैं दुबला-पतला नहीं हूं. दरअसल, जिस सूत्र ने ये फोटोग्राफ सीबीआई या अमित शाह के पास पहुंचाए थे और अमित शाह के जरिए शायद भारतीय जनता पार्टी के सारे बड़े नेताओं के पास पहुंचे होंगे, उसने ये बताया कि ये फोटोग्राफ तब के हैं, जब वरुण गांधी 19 साल के थे.

वरुण गांधी ने अमित शाह से कहा कि पहले तो ये मैं हूं नहीं, लेकिन मान लिजिए कि मैं अठारह उन्नीस साल का हूं और मेरा किसी से कोई रिश्ता है, तो इससे भारतीय जनता पार्टी को क्या फर्क पड़ता है. अमित शाह ने इसके जवाब में कहा कि मैंने बहुत मुश्किल से ये फोटोग्राफ रोक के रखे हैं, ये मीडिया में आ जाएंगे तो भारतीय जनता पार्टी को बहुत नुकसान होगा. डेढ़ घंटे के आसपास ये बैठक चली और वरुण गांधी अमित शाह के घर से वापस आ गए.

इसके 15 दिनों के भीतर ये फोटोग्राफ सोशल मीडिया में और प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास लिफाफे में पहुंच गए. मजे की बात कि सोशल मीडिया के अलावा प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने इन फोटोग्राफ्स को बहुत तवज्जो नहीं दी, सिर्फ एक या दो चैनलों ने इन्हें दिखाया.

प्रियंका गांधी के नज़दीकी सूत्र बताते हैं कि इन फोटोग्राफ्स के सोशल मीडिया में आते ही सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने वरुण को फोन किया और कहा कि घबराना मत, इस परेशानी की घड़ी में हम तुम्हारे साथ हैं. हम जानते हैं कि ये तुम्हारे खिलाफ किसी की साजिश है. एक सूत्र ने बताया कि राहुल गांधी ने भी वरुण को फोन कर कहा कि मैं तुम्हारे साथ हूं, तुमको घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

प्रियंका गांधी ने वरुण के पास ये संदेश पहुंचाया कि हम फैमिली हैं और फैमिली के सभी लोगों को एक साथ रहना चाहिए और एक होना चाहिए (इस जानकारी के ऊपर पक्का विश्वास नहीं है). प्रियंका गांधी के सूत्रों के हिसाब से वरुण गांधी ने इस संदेश का कोई भी सार्थक उत्तर प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नहीं भेजा.

वरुण गांधी के नज़दीकी सूत्र के हिसाब से, इन फोटोग्राफ्स को भारतीय जनता पार्टी के दो ब़डे नेताओं के द्वारा वितरित कराया गया, जिनमे एक खुद अमित शाह हैं और दूसरे वित्त मंत्री अरुण जेटली हैं. वरुण के नज़दीकी सूत्रों का कहना है कि मीडिया के साथ कैसे रिश्ते हों और कब क्या छपे, क्या नहीं छपे, इसका फैसला वित्त मंत्री अरुण जेटली ही करते हैं.

वरुण गांधी का उत्तर प्रदेश जाना बंद हो गया और उन्होंने अपने उन सारे लोगों को संकेत भेजा, जो उनको मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रचारित कर रहे थे. वरुण गांधी ने एक दूसरा रास्ता तलाशा और उन्होंने देश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाना शुरू कर दिया. अगर हम सूत्रों की माने, तो पिछले चार महीनों से वे आंध्र, कर्नाटक, महाराष्ट्र में नौजवानों के बीच घूम रहे है और विभिन्न विषयों पर भाषण दे रहे हैं. इस बीच वरुण गांधी ने हिंदू, जागरण, अमर उजाला, भास्कर जैसे अखबारों में कॉलम लिखना शुरू कर दिया.

कहीं पर उनके कॉलम नियमित रूप से आते हैं, तो कहीं पर कभी-कभी आते हैं. वरुण गांधी के लिखने की शैली को पाठकों ने पसंद किया, शायद तभी ये अखबार उन्हें बार-बार छाप रहे हैं. इसके अलावा, वरुण गांधी ने किसानों की समस्याओं को ले कर कुछ सार्थक प्रयास किए. वरुण गांधी के नजदीकी सूत्र के अनुसार, उन्होंने करीब 10 से 15 करो़ड रुपए इकठ्ठे कर उन किसानों को दिए, जो कर्ज से परेशान थे और जिनके बारे में ये आशंका जताई जा रही थी कि कहीं वे आत्महत्या न कर लें.

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