Yogi Adityanathहिंदू युवा वाहिनी ने जब उत्तर प्रदेश में अपने 60 प्रत्याशी उतारने की घोषणा की, तब लगा कि जिस तरह समाजवादी पार्टी में मुलायम ने झगड़े का नियोजित नाटक खेला था, कहीं उसी तरह योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी में नियोजित प्रहसन की शुरुआत तो नहीं की! दोनों के मकसद अलग-अलग हो सकते हैं, पर रास्ता तकरीबन एक ही जैसा था. प्रथम द्रष्टया तो यही प्रतीत हुआ कि हिंदू युवा वाहिनी ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया.

योगी की मर्जी के खिलाफ जाकर वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने बगावती प्रत्याशियों की घोषणा शुरू कर दी. उत्तर प्रदेश में खास तौर पर और देशभर में सामान्य तौर पर राजनीतिविद् सतर्क और सक्रिय हो गए. समीक्षा होने लगी कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह योगी आदित्यनाथ की उपेक्षा की, उसके परिणामस्वरूप योगी ने हिंदू युवा वाहिनी के जरिए भाजपा पर दबाव बनाने का नेपथ्य से इशारा किया हो. वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष ने यही कहा भी कि भाजपा द्वारा योगी की उपेक्षा किए जाने के खिलाफ हिंदू युवा वाहिनी ने तकरीबन 60 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने और भाजपा को सीधी टक्कर देने का फैसला किया है.

वाहिनी ने जैसे ही विद्रोह का शंख फूंका, वैसे ही भाजपा आलाकमान फुंकने लगा. संयोग देखिए कि जिस दिन वाहिनी ने समानान्तर प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा की, उसके अगले ही दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लखनऊ में थे. योगी आदित्यनाथ भी लखनऊ पहुंचे. दोनों नेताओं की बातचीत हुई. इस बातचीत का नतीजा यह निकला कि हिंदू युवा वाहिनी के 60 प्रत्याशी खड़े करने का ऐलान कुछ सीटों पर ही टिका रह गया.

संक्षिप्त बातचीत में योगी ने ‘चौथी दुनिया’ से पहले तो कहा, ‘यह फेक (फर्जी) न्यूज़ है.’ फिर कहा, ‘इस तरह की घोषणा करने वाले वाहिनी के पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.’ योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वाहिनी सामाजिक संगठन है और उसके राजनीति में प्रवेश करने की कोई योजना नहीं है. वाहिनी के जो लोग राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्योंकि यह अवैध है और वाहिनी की नीतियों और विचारों के खिलाफ है.

कार्रवाई के बारे में पूछने पर उस दिन हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि योगी हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक जरूर हैं, लेकिन बर्खास्त करने का अधिकार उन्हें नहीं, अनुशासन समिति को है. हालांकि बाद में सुनील सिंह को अपनी बर्खास्तगी की कार्रवाई देखनी पड़ी. उसके बाद भी वे यही कहते रहे कि वाहिनी के किसी भी पदाधिकारी को बर्खास्त करने का अधिकार अनुशासन समिति को है, जिसे कोर कमेटी गठित करती है.

सुनील बोले, ‘हम किसी दुकान के कर्मचारी नहीं हैं कि दुकानदार शटर गिरा दे और कह दे कि कल से दुकान पर मत आना.’ इस बोली के बावजूद सुनील सिंह योगी के सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक कुर्बानी देने की बात कहते रहे. उन्होंने कहा, ‘ मेरी बगावत योगी के अपमान का बदला है. पिछले पच्चीस साल में जब-जब योगी आदित्यनाथ का अपमान हुआ, हमने उसका बदला लिया है. चाहे कुसुम राय ने अपमान किया हो या फिर चंपा देवी पार्क में डॉ. अय्यूब ने.

हम योगी के अपमान का बदला हमेशा लेते रहेंगे. इस बार भाजपा ने योगी का अपमान किया है. इस चुनाव में हम भाजपा से बदला लेंगे. भाजपा योगी आदित्यनाथ को अपमानित कर रही है. मैंने भाजपा को नेस्तनाबूद करने का प्रयास किया है. हम पूर्वांचल की 60 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. हम पूर्वांचल में तय कर रहे हैं कि हमारा एक ही चुनाव चिन्ह हो. तकनीकी रूप से हम निर्दल चुनाव लड़ रहे हैं. कोर कमेटी के निर्णय पर अमल होगा.

हमने आज तक योगी व भाजपा से टिकट नहीं मांगा. भाजपा अगर योगी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दे तो मैं पूरे पांच साल तक भाजपा कार्यालय पर कप प्लेट धोऊंगा.’ सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि भाजपा ने योगी आदित्यनाथ का अपमान किया है. पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग चाहते थे कि योगी को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में घोषित किया जाए, लेकिन भाजपा ने पहले राजी होने के बाद फिर उसे टाल दिया. दूसरी तरफ पार्टी ने योगी को चुनाव प्रबंध समिति में भी शामिल नहीं किया.

योगी ने लगभग 10 उम्मीदवारों की सूची दी थी, लेकिन भाजपा ने उनमें से दो को ही टिकट दिया. हम किसी भी सूरत में यह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. भाजपा ने परिवर्तन यात्रा के दौरान भी योगी की उपेक्षा की थी. इस चुनाव में भी हमारे जन नेता की तस्वीर, पोस्टर और यात्रा के बैनर पर नहीं है. यूपी से सिर्फ राजनाथ सिंह, केशव प्रसाद मौर्य, उमा भारती और कलराज मिश्र को वरीयता दी गई.

इस घटनाक्रम के पहले हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह ने बाकायदा मीडिया के समक्ष यह ऐलान किया था कि वाहिनी कम से कम 60 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़ा करेगी. पहली खेप में वाहिनी ने छह विधानसभा सीटों पडरौना से राजन जायसवाल, खड्‌डा से हियुवा के जिला प्रभारी अजय गोविंद शिशु, कसया से राजेश्वर सिंह (सभी कुशीनगर), पनियारा (गोरखपुर) से सतीश सिंह, सिसवा से ज्योतिषमणि त्रिपाठी और फरेंदा (महाराजगंज) से जीतेन्द्र शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी.

दूसरी खेप में हिंदू युवा वाहिनी की ओर से बस्ती सदर से सुधा ओझा और रामकोला सुरक्षित सीट से अनिल कुमार बादल को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की गई. सुनील सिंह ने यह भी कहा था कि वाहिनी गोरखपुर के चौरीचौरा क्षेत्र से दीपक जायसवाल और झांसी सदर से अरविंद वर्मा को भी उतारने जा रही है, लेकिन इसका औपचारिक ऐलान बाद में किया जाएगा.

योगी का असर

हिंदू युवा वाहिनी के संस्थापक योगी आदित्य नाथ हैं. 2002 के विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक यह संगठन भाजपा का साथ देता आ रहा है, जबकि योगी आदित्यनाथ खुद 1998 से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं. उसके पहले भी गोरखपुर लोकसभा सीट गोरक्षधाम के पूर्व पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ के कब्जे में थी. महंत अवैद्यनाथ की मृत्यु के बाद योगी आदित्यनाथ महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी बने. पूर्वांचल की सभी सीटें कमोबेश योगी के प्रभावक्षेत्र में रही हैं.

फायरब्रांड योगी को भाजपा अपना चुनावी चेहरा बनाना चाहती थी, लेकिन बाद में भाजपा ने अपनी रणनीति बदल ली. इतना ही नहीं, योगी को दरकिनार भी कर दिया. टिकटों के निर्धारण के लिए बनी चुनाव समिति में भी योगी को मनोनीत नहीं किया गया. यहां तक कि योगी ने जो डेढ़ दर्जन नाम आलाकमान को टिकट के लिए भेजे थे, उनमें से महज पांच नाम चुने गए. भाजपा नेतृत्व के ऐसे रवैये का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा, ऐसा योगी समर्थक कहते हैं.

उनके मुताबिक गोरखपुर बस्ती मंडल की तकरीबन 40 से 45 सीटों पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है. भाजपा के कुछ पुराने नेताओं का कहना है कि हाल ही राज्यसभा के लिए चुने गए भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष शिवप्रताप शुक्ल योगी की मुखालफत करते हैं. योगी की उपेक्षा से नाराज हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह का दावा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा सौ सीटें पार कर जाए, वही बहुत है.

भाजपा को योगी के चेहरे का ही भरोसा

हिंदू युवा वाहिनी द्वारा समानान्तर प्रत्याशी खड़ा किए जाने की घोषणा रही हो या बुलंदशहर की चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद हुए व्यापक असर की आईबी रिपोर्ट, भाजपा आलाकमान ने अंदर ही अंदर यह तय कर लिया है कि गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ ही उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे.

भाजपा और संघ के प्रतिबद्ध और भरोसेमंद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के  बीच उक्त आशय का संदेश भी दे दिया गया है. इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि बुलंदशहर की चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ के भाषण के व्यापक असर के बारे में आईबी की तरफ से केंद्र को रिपोर्ट भेजी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि योगी के भाषण का न केवल बुलंदशहर बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों में व्यापक असर पड़ा है. इसे देखते हुए ही भाजपा ने योगी के प्रति बरती जा रही उपेक्षा की नीति बदली और योगी को फौरन दिल्ली बुला कर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे बातचीत की. भाजपा आलाकमान ने योगी के लिए अलग से एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की है, जो चुनाव तक उनके साथ ही रहेगा.

उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर की चुनावी रैली में योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ खास इलाकों से हो रहे हिन्दुओं के पलायन पर गहरी चिंता जताई थी और कहा था कि समुचित कार्रवाई नहीं हुई तो यूपी में कश्मीर जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. उन्होंने सत्ताधारी सपा सरकार और निवर्तमान बसपा सरकार पर हिन्दुओं के हितों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया था और कहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिन्दुओं को वैसे ही आतंकित किया जा रहा है, जैसे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी छोड़ने पर मजबूर करने के लिए किया गया था. योगी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खासतौर पर मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत और गाजियाबाद की स्थिति को भयावह बताया. उन्होंने मुस्लिम-बहुल सात देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर पाबंदी लगाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की तारीफ की और कहा कि आतंकवाद को रोकने के लिए भारत में भी इसी तरह की कार्रवाई किए जाने की जरूरत है.

आप याद करें, उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल के शुरुआती दौर में भाजपा द्वारा योगी आदित्यनाथ को चुनावी चेहरा बनाए जाने संबंधी खबरें काफी सुर्खियों में रहीं. लेकिन बाद में यह खबर नेपथ्य में चली गई. योगी को भाजपा ने उपेक्षित भी किया और उन्हें चुनाव समिति में भी शामिल नहीं किया. यहां तक कि उनके चाहे हुए प्रत्याशियों को टिकट भी नहीं दिया गया.

योगी की उपेक्षा को अपमान मानते हुए ही हिंदू युवा वाहिनी ने तकरीबन 60 प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा कर भाजपा को चौंका दिया था. हालांकि योगी ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह को संगठन से निष्कासित कर दिया, लेकिन सुनील सिंह यही कहते रहे कि योगी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया तो वाहिनी के प्रत्याशी भाजपा को हर हाल में कड़ी टक्कर देंगे.

सुनील सिंह ने यह भी माना कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनसे बात करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनसे बात तभी होगी जब योगी अगले मुख्यमंत्री के बतौर स्वीकार कर लिए जाएंगे. हिंदू युवा वाहिनी से निष्कासित किए जाने के बावजूद योगी के लिए वफादारी के शब्दों पर की गई जिज्ञासा के जवाब में सुनील सिंह कहते हैं, ‘हम महाराज जी के सम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

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