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बनारस का सांसद होने के नाते अपनी इस कर्मभूमि को भाजपा की झोली में डालने की कोशिश के बाद मोदी अब अपनी जन्मभूमि को बचाने की तैयारी करते दिख रहे हैं. बनारस के तीन दिवसीय दौरे के बाद अब प्रधानमंत्री गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर जा रहे हैं.
बनारस दौरे पर जिस तरह उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के लगभग हर हिस्से में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, ठीक वैसे ही इस गुजरात दौरे में भी वे कच्छ को छोड़कर राज्य का लगभग हर हिस्सा कवर करेंगे.
गौरतलब है कि साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पटेल आरक्षण आंदोलन के बाद से इस राज्य पर भाजपा की पकड़ ढीली पड़ती दिख रही है. पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की गिरफ्तारी और उनपर देशद्रोह का मुकदमा होने से भाजपा से नाराज पटेलों को साथ लाने की कोशिश की ही जा रही थी कि कथित गौर रक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई और उसके बाद उनका आंदोलन गुजरात सरकार के लिए सिरदर्द बन गया.
दलित आंदोलन के बीच ही मुख्यंमत्री आनंदीबेन को हटा दिया गया. सियासी हलकों में भाजपा के इस कदम को डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा गया. लेकिन नए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी कोई कमाल नहीं दिखा सके और गुजरात में अजेय दिखने वाली भाजपा अब यहां कमजोर नजर आ रही है.
पंजाब में भाजपा-अकाली गठबंधन की जमीन में सेंध लगाती दिख रही केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यहां भी भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है. भाजपा के लिए नई मुसीबत ये भी है कि हार्दिक पटेल ने अब शिवसेना का दामन थाम लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि गुजरात बचाना अब स्थानीय नेताओं के बस की बात नहीं है. यहीं कारण है कि अब उन्होंने सीधे तौर पर कमान अपने हाथों में ले ली है.
इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि पिछले एक साल के दौरान यह प्रधानमंत्री का सातवां गुजरात दौरा होगा. दो दिन के इस गुजरात दौरे में मोदी सोमनाथ जाएंगे जहां उन्हें मंदिर न्यास की एक बैठक में हिस्सा लेना है. प्रधानमंत्री कई विकास योजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे और जनसभाओं को भी संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री भरूच में नर्मदा नदी पर नवनिर्मित एक पुल का उद्घाटन करेंगे. बताया जा रहा है कि इस पुल के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए भाजपा करीब 2.5 लाख लोगों को इकट्ठा करने वाली है. यह भारत का सबसे लंबा केबल ब्रीज है, जिसका उद्घाटन लंबे समय से पेंडिंग था.
एक औद्योगिक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री दहेज भी जाएंगे. यहां ओपीएल पेट्रोकेमिकल परिसर में औद्योगिक सम्मेलन के संबोधन के साथ-साथ संयंत्र भ्रमण का भी कार्यक्रम है. यह भारत का सबसे बड़ा पेट्रोकेमिकल परिसर है.
प्रधानमंत्री की कोशिश है कि विकास की बात को आंदोलनों पर हावी कर दिया जाय. स्थानीय भाजपा नेताओं में इस बात की भी चर्चा है कि अगर यूपी में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी या दूसरे नंबर की पार्टी साबित होती है, तो इसका फायदा लेने के लिए सरकार गुजरात में जल्द चुनाव करा सकती है. हालांकि हाल के वर्षों में गुजरात में उभरे युवा नेताओं जैसे- हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवानी की जन स्वीकृति ने भाजपा के माथे पर बल ला दिया है.

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