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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर दर्दनिवारक वोवेरान इंजेक्शन के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस दवा में ऐसे तत्व मिले हैं जिनका मरीजों की किडनी पर बुरा असर पड़ रहा है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने दवा बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस रद्द करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही वोवेरान इंजेक्शन को बाजार से वापस मंगवाने के आदेश भी दिए हैं।

दर्दनिवारक वोवेरान इंजेक्शन बैन, किडनी पर पड़ रहा था असर…

उत्तराखंड और लक्षद्वीप में मेसर्स थेमिस मेडिकेयर लिमिटेड इस दवा (डाइक्लोफिनेक सोडियम या वोवेरान) को बना रही थी। मार्केटिंग मल्टीनेशनल कंपनी मेसर्स नोवार्टिज और मेसर्स गैटफोस कर रही थी। उत्तराखंड और लक्षद्वीप की ड्रग्स लाइसेंसिंग अथॉरिटी को तुरंत प्रभाव से दवा का उत्पादन रोकने के निर्देश दिए गए हैं। भारत में वोवेरान इंजेक्शन का सालाना कारोबार करीब 300 करोड़ रुपए का है।

दवा में ट्रांसक्योटोल तत्व मिला है जो दुनियाभर में प्रतिबंधित है : 2015 में मेसर्स ट्रोइका फॉर्मास्यूटिकल लिमिटेड ने इस प्रोडक्ट की शिकायत डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) को की थी। इसके बाद एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने दवा में टॉक्सिक तत्व होने की बात कहकर दवा को बैन करने की सिफारिश की थी।

इसके बाद कंपनी ने स्वास्थ्य मंत्रालय से दोबारा कमेटी बनाकर जांच की मांग की थी। स्वास्थ्य महानिदेशक की अध्यक्षता में दूसरी कमेटी बनी जिसने दवा को बनाने और बेचने की इजाजत दे दी थी। लेकिन इसी बीच यह मामला कोर्ट पहुंचा जिसके बाद तीसरी कमेटी बनी।

कमेटी ने दिसंबर-2017 में अपनी रिपोर्ट दी और कहा कि दवा को बैन कर देना चाहिए क्योंकि इस दवा में ‘ट्रांसक्योटोल’ नाम का एक तत्व मिला है जो विश्व भर में प्रतिबंधित है। इसी की वजह से इस इंजेक्शन के बाद मरीज के किडनी पर असर पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसी अन्य दवा में ‘ट्रांसक्योटोल’ तत्व मिलता है तो उसे बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस भी रद्द किया जाना चाहिए।

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