क्योंकि तथाकथित मुख्य धारा के मिडियाने सतपाल मलिक के इंटरव्यू के बारे में जिस तरह से चुप्पी साधी हुई है ! वह इस बात का प्रमाण है कि वर्तमान मुख्य धारा के मिडिया संस्थाओं ने वर्तमान समय की सरकार के बारे में भले ही वह देश के खिलाफ क्यों न हो ! हिंडेनबर्ग रिपोर्ट से लेकर पुलवामा के बारे में पहले दिन से ही संशय की सुई अलग अलग लोगों के बयानों में दिखाई दे रही थी ! लेकिन उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पदपर रहे सतपाल मलिक जैसे आदमी ने द वायर में करन थापर जैसे आंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्रकार के साथ दिए गए इंटरव्यू के बारे में संपूर्ण मुख्य धारा के मिडिया संस्थाओं ने जो मौन धारण किया हुआ है !

वह मिडिया अहमदाबाद से अलाहाबाद वह भी रास्ते से चालीस डिग्री सेल्सियस गर्मी में लगभग पुलिस के काफिले के साथ ही चलें आ रहे थे ! और जगह जगह पर अतिक अहमद अंसारी के इंटरव्यू करते आ रहे थे ! साबरमती जेल से अलाहाबाद के सड़क प्रवास मे यह मीडिया साबरमती से ही पिछा कर रहा था ! तो सवाल पैदा होता है कि इतने बड़े अपराधी को जब आप एक जगह से दूसरी जगह लेकर जा रहे तो यह बात मिडिया को कैसे पता चली ? क्या यह सब कुछ स्टेज मॅनेज शो था ? कि मिडिया अतिक की साबरमती से अलाहाबाद तक शूटिंग करते रहे ? और अलाहाबाद के अस्पताल में रात को जांच के लिए ले जाया गया उसको भी मिडिया कवर कर रहा है ! जैसे कोई फिल्म की शूटिंग शुरू हो ! जो चौबीसों घण्टे अतिक अहमद अंसारी के बारे में लगातार तथाकथित बहस कर रहा है ! और पुलवामा जैसे देश की सुरक्षा के साथ जो राजनीति की गई जिसे तत्कालीन राज्यपाल खुद उजागर कर रहे हैं ! भले ही कुछ लोग कहते हुए दिखाई देते है कि उन्होंने इस्तीफा दे कर देश को तुरंत ही यह तथ्य बताया होता तो 2019 में बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं की होती ! लेकिन यह तर्क इतिहास के क्रम में बहुत लोगो को लगाना पडेगा जिसमें सत्ताधारी पार्टी से लेकर विरोधी दलों के सुधिंद्र कुलकर्णी से लेकर यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी तथा आपातकाल के बाद बने जनता सरकार मे अंतिम समय में शामिल जगजीवन राम से लेकर हेमवती नंदन बहुगुणा और आज कल बीजेपी में शामिल केरल के राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान, और समस्त मुख्य धारा के मिडिया में अभी बड़बोले पत्रकारों से लेकर एक क्षण में बीजेपी से कांग्रेस और कांग्रेस या किसी भी विरोधी दल से सत्ताधारी पार्टी में शामिल होने वाले सभी लोगों को आड़े हाथों लेना चाहिए ! पुलवामा के इंटरव्यू के बाद सतपाल मलिक को सीबीआई ने नोटिस जारी किया कि नही ?


और इसी तथाकथित मिडिया ने पुलवामा के आतंकवादियों द्वारा हमारे देश के जवानों के कारवां के उपर जब हमला किया था तो ! शायद संपूर्ण 2019 का लोकसभा चुनाव प्रचार में बीजेपी ने सिर्फ इसी मुद्दे पर पूरा चुनाव जीतने की कवायद की है ! जैसे गोधरा कांड और उनसठ अधजले शवो को तत्कालिन कलेक्टर जयती रवि के विरोध के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी खुद 27 फरवरी को दोपहर के बाद खुद गुजरात विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष श्री. जयेश पटेल को साथ में लेकर उनके कब्जे में उन अधजले शवो को सौपना कौन-से कानून में आता है ? और उपर से विश्व हिंदू परिषद को उन अधजले शवो को अहमदाबाद के सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए जुलुस की शक्ल दी है ! क्या इस कृति में गुजरात की शांति – सद्भावना बनाने के लिए मदद होने वाली थी ? या लोगों को उकसाने के लिए विशेष रूप से प्रायोजित कार्यक्रम के तहत की गई है ?


मतलब अगर किसी तथाकथित आतंकवादियों द्वारा कोई घटना की गई तो उसका राजनीतिक प्रचार- प्रसार करने के लिए बीजेपी गोधरा कांड से लेकर पुलवामा तक इस्तेमाल करने ! और उसमे उन्हें कामयाबियां हासिल हुई है ! तो स्वाभाविक रूप से संशय निर्माण होता है ! कि क्या यह हादसा सचमुच ही आतंकवादियों के द्वारा किया गया था ? क्योंकि गोधरा कांड के बाद तत्कालिन मुख्यमंत्री को आज देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने के लिए विशेष रूप से मददगार साबित हुए हैं !
यही बात कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल श्री. सतपाल मलिक ने करन थापर के साथ’ द वायर’ के लिए दिए इंटरव्यू में जो तथ्य उजागर किए हैं ! वह हमारे देश के सेना के जवानों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ लगता है ! और उपर से किसी ने सवाल उठाया तो हमारे सेना के मनोबल को तोड़ने से लेकर हमारे देश की सेना का अपमान करने वाले बोलकर उन्हें चुप किया गया है !


लेकिन उसी समय जम्मू-कश्मीर के सब से बडे संविधानिक पद राज्यपाल पदपर बैठे हुए कह रहे है “कि सेना को हेलीकॉप्टर के द्वारा ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए ” तो प्रधानमंत्री उन्हें चुप रहने के लिए बोलते हैं ! और “तुम्हारे समझ में नहीं आयेगा यह सब क्यों हो रहा है ?” बिल्कुल हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी ने गोधरा कांड से लेकर पुलवामा तथा और संपूर्ण गुजरात के दंगों से लेकर मालेगांव, नांदेड, मुंबई 26/11 तथा अक्षर धाम, पार्लमेंटपर हमला, बटला हाऊस और सुरत वडोदरा से लेकर अहमदाबाद में किए गए बमविस्फोट तथा इशरत जहाँ से लेकर सोहराबुद्दीन जैसे दर्जनों लोग मुख्यमंत्री को मारने के लिए आ रहे हैं ! इस नाम पर मौत के घाट उतार दिए गए !


और हैदराबाद के मक्का मस्जिद से लेकर समझौता एक्सप्रेस, अजमेर विस्फोट की घटना को देखते हुए लगता है कि सभी फिदायीन या इस्लामी आतंकवाद करने वाले लोगों की कालगुजारीयो के किए गए सभी कांडों का सबसे अधिक राजनीतिक लाभ सिर्फ और सिर्फ बीजेपी के लिए ही हुआ है ! हालांकि इस तरह की आतंकवाद की राजनीति में रोजमर्रे की जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद करने वाले लोगों को ही अपनी जान गवानी पड रही है ! और इस सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति में महंगाई, बेरोजगारी, दलित, आदिवासी तथा किसानों, मजदूरों के समस्याएं दोयम दर्जे पर चली जा रही है ! तो क्या तथाकथित इस्लामी आतंकवाद और वर्तमान सत्ताधारी दल का मातृ संघठन आर एस एस के संबंध है ? क्योंकि यह आरोप इंद्रेश कुमार से लेकर मोहन भागवत के उपर बहुत पहले से ही लगाएं गए हैं ! (शायद मालेगांव ब्लास्ट के बाद अभिनव भारत की कारगुजारियों के विडियो क्लिपिंग हेमंत करकरे ने कोर्ट में पेश किए गए आरोप पत्र में भी मौजूद हैं ! ) अब प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लोकसभा में लेने के लिए शायद मालेगांव विस्फोट केस को कमजोर करने के लिए ! हो सकता कि बहुत कुछ बदल दिया गया होगा ! नरोदा पटिया जैसे जधन्य घटना में जलाये गए लोगों ने खुद ही अपने आपको जला लिया होगा तभी तो खुद अॉन कॅमेरा बोलने वाले बाबु बजरंगी से लेकर डॉ माया कोडनानी बरी कर दिया जाता है !


और बिल्किस बानो के गुनाहगारों के रेमिसन इसके जिते – जागते प्रमाण है ! और उन्हें सन्मानित किया जा रहा है और उन्हें किस आधार पर रेमिसन दिया गया है यह फाईल्स सर्वोच्च न्यायालय को दिखाने में गुजरात की सरकार तथा केंद्र सरकार आनाकानी कर रहे हैं !
सबसे अहं बात नरेंद्र मोदीजी को गुजरात दंगों के आरोप से क्लिनचिट और अमित शाह को सोहराबुद्दीन एंकाऊटर जैसे संगीन अपराध के मामले में बरी कर दिया गया है ! तथा उसी उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री जो अपराधियों को मट्टी में मिला दूंगा की घोषणा भरी विधानसभा में करनेवाले आदमी के मुख्यमंत्री बनने के पहले के एक दर्जन केसेस मे से आधे हत्या से संबंधित थे ! और अब उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें रफा-दफा कर लिया !


लेकिन अब यह बात लोगों के भी समझ में आ रही है ! वर्तमान सत्ताधारी दल को आखें बंद कर के दुध पिने वाली बिल्ली के जैसा लगता है ! कि उन्हें और कोई देख नहीं रहा है ! हालांकि किसी भी बात की एक मर्यादा होती है ! और शायद बीजेपी या उसके मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लगता होगा कि वह उग्रहिंदूत्वादि अजेंडा को आगे बढ़ाने में कामयाब हो गए हैं ! तो वे मुर्खो के नंदनवन में रह रहे हैं !
मै खुद कल ही उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लेकर कुशीनगर और अंतिम पड़ाव बनारस में रहकर आम गोरखपुर के लोगों से लेकर कुशीनगर, देवरिया तथा बनारस के लोगों से बातचीत में पता चला है ! “कि यह चालाकी अब लोग भी थोडीबहुत समझने लगे हैं !” इसलिये अतिक हत्याकांड में जो तथ्य सामने आ रहे हैं ! उनसे लगता है कि शतप्रतिशत राज्यपुरस्कृत कांड है ! पुलिस ने अपने हाथ में अत्याधुनिक उपकरण वाली अॉटोमेटिक गन से लेकर अपने कमर पर लगी पिस्तौल को हाथ लगाने का कष्ट नहीं किया ! और हत्यारों को अतिक के करिब जाकर कनपटी पर पिस्तौल रखकर गोलीया चलाने की कृती को क्या कहेंगे ? इतने आसानी से उन्होंने अतिक और उसके साथ वाले की हत्या की साजिश को अंजाम दिया है !
साबरमती जेल से इलाहाबाद तक के सफर में तथाकथित मीडिया के लोगों को जगह – जगह पर बोलने देना और हरबार अतिक ने बताना कि मुझे मारने के लिए ले जा रहे हैं ! और इलाहाबाद के अस्पताल में लोगों को हटाकर सिर्फ तीन लोगों को तथाकथित पत्रकारों के नाम पर नजदीक आने देना और उन्होंने आराम से अपने पिस्तौल निकाल कर करीब से गोलीया चलाने की घटना को देखते हुए मुझे आजसे पचहत्तर साल पहले दिल्ली के बिड़ला हाऊस के प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे और उसके साथ वाले लोगों ने गोली चलाई और वही पर खड़े रहकर अपने आपको पुलिस के हवाले करने और जय श्री राम के नारे देना मतलब बहुत बड़ा धार्मिक कार्य किए हैं !


एकांऊटर की राजनीति यह भारतीय राजनीति में कोई नई बात नहीं है ! अगर आप गौर से देखेंगे तो कम – अधिक प्रमाण में सभी राजनीतिक दलों ने जब – जब उनके राजनीति के लिए सुविधाजनक लगा तब – तब तथाकथित डॉन पैदा किए ! और जब उन्हें लगा कि यह अपने लिए “नाक से मोती भारी पड रहा” कहावत के मुताबिक उसे रास्ते से हटा दिया है !
चर्चित सोहराबुद्दीन एकांऊटर उसकी सबसे बडी मिसाल है ! सोहराबुद्दीन का परिवार बीजेपी के पुराने अवतार भारतीय जनसंघ से संबंधित रहा है ! और यह परिवार भले मध्य प्रदेश के उज्जैन के पास एक गांव का रहने वाला है ! लेकिन गुजरात मध्य प्रदेश और राजस्थान इन तीनों प्रदेश के सिमावर्ति इलाके में मार्बल लॉबी से लेकर अन्य धंदा करने वाले लोगों से हप्ता वसूली के लिए सोहराबुद्दीन का इस्तेमाल किया है ! और कभी-कभी हत्या के लिए भी ! और इसी कारण उसे हैदराबाद से सांगली के प्रवास में बीच रास्ते में कर्नाटक के बीदर के आसपास रात के अंधेरे में बस से उतार कर ! और कौसर बी पत्नी साथ मे होने के कारण जबरदस्ती से वह भी सोहराबुद्दीन के साथ, गुजरात के एटीएस के गाडी मे चढी ! और बाद में उन्हें अहमदाबाद के पास एक फार्म हाउस में लाकर मारा गया ! और यह बात गिता जौहरी की जांच में सामने आई है ! और इस बात को तत्कालिन मुख्यमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी को स्वीकार करते हुए कारवाई करनी पडी है !


वैसे ही महाराष्ट्र के नागपुर में, 2004 में भारत कालीचरण उर्फ अक्कू यादव नाम के गैगस्टर, डाकू, अपहरण करने वाले और सिरियल किलर तथा कई बलात्कार करने वाले अक्कू यादव ने पुलिस को समय-समय पर रिश्वत देते रहने के कारण ! उम्र के उन्नीस साल का था ! तबसे वह चोरी, डकैती, बलात्कार जैसे गुनाह नागपुर जैसे महानगर में कर रहा था ! मारा गया तब वह बत्तीस साल का था ! मतलब तेरह साल खून, बलात्कार, तथा चोरी – डकैती करता रहा ! और वह भी किसी जंगल या पहाडो में नही नागपुर जैसे महाराष्ट्र की उपराजधानी के शहर में ! तबसे वह यह अपराध कर रहा था ! लेकिन पुलिस ने कभी भी कारवाई नही की ! और न ही तथाकथित सभ्य समाज ने !
अंत में 13 अगस्त 2004 के दिन दो सौ से अधिक महिलाओं ने भरी अदालत में बाकायदा कोर्ट रुम के भीतर घुसकर उसे पथ्थरो तथा कोई तेज धार वाले हथियार से उसके गुप्तांग को काटकर ! और सत्तर से अधिक उसके शरिर पर नुकीले शस्त्र के जख्म थे ! और वह नागपुर के कोर्ट रुम मे ही मर गया था ! उसके बाद नागपुर में एक गोष्ठी हुई थी ! जिसमें नागपुर के वरिष्ठ पत्रकार से लेकर सामाजिक – राजनीतिक दलों के लोग भी शामिल थे ! और अन्य वक्ताओं के साथ मै भी एक वक्ता के रूप में शामिल था ! और मैंने कहा कि नागपुर जैसे शहर में एक अठारह – उन्नीस साल का जवान घरों में घुसकर लुट बलात्कार तेरह साल तक बेखटके करता रहा ! और एक तप के बाद अगर उसे समाज ने भरें कोर्ट में सुनवाई जारी रहते हुए ! उसे पथ्थरो तथा नुकीले शस्त्रों से मारने की घटना को तत्कालिन मुख्य मिडिया के सभी दिल्ली, मुंबई के प्रतिनिधि नागपुर में डेरा डाल कर बैठें थे ! और कुछ ने तो उस घटना का वर्णन क्रांति की शुरुआत हुई जैसा भी किया था ! तो मैंने कहा कि सबसे पहले इतने दिनों तक लोग यह अन्याय, अत्याचार सहते रहे और पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद अतिक अहमद अंसारी के जैसे सार्वजनिक क्षेत्र में सुरक्षा बलों की उपस्थिति में यह ऑपरेशन अक्कू यादव की हत्या में अगर किसी को क्रांतिकारी कदम लगता है तो उनके बौद्धिक दिवालियेपन का लक्षण है ! तो मुझे तथाकथित क्रांतिकारी लोगों ने सभा के बाद नपुंसक से लेकर क्रांतिविरोधी वगैरे शब्दों से मेरा उध्दार किया है !
अतिक अहमद हो या सोहराबुद्दीन या अक्कू यादव या दाऊद इब्राहिम या अरुण गवळी, छोटा राजन या इसके पहले के करीम लाला, हाजी मस्तान, सुकुर नारायण बखिया, छोटन शुक्ला, महादेव सिंह, कोल माफीया सूरजदेव सिंह, ठाकूर बंधू, पप्पू कलानी शायद मै सिर्फ नाम ही गिनने लगूंगा तो यह पोस्ट उसीसे भर जायेगी !


भारत के हर क्षेत्र में इस तरह के लोग हमेशा से ही मौजूद है ! और आगे भी रहने वाले हैं ! क्योंकि हमारे देश की संसदीय राजनीति के लिए गत सत्तर साल से यह भी आवश्यक मटेरियल बन गया है ! मै बंगाल में 1982 – 1997 तक पंद्रह साल रहते हुए देखा हूँ ! कि ज्योति बसु हो या बुद्धदेव भट्टाचार्य दोनों के रहते हुए तथाकथित लेफ्ट फ्रंट के सरकार के दौरान कम्युनिस्ट भाषा में लुंपेन बंगाल की राजनीति में हावी थे ! और उधर मेरे गृहराज्य महाराष्ट्र में बाळासाहेब ठाकरे छाती ठोककर भरी सभा में कहा करते थे “कि अगर दाऊद इब्राहिम है तो हमारे पास अरुण गवळी है !” और दुबई में बैठा हुआ दाऊद इब्राहिम कहता था “कि बालासाहब गलत बोल रहे है ! मेरी गैंग में सब से ज्यादा हिंदू शामिल हैं ! उदाहरण के लिए छोटा राजन वगैरह !”
1993 में तत्कालीन गृहसचिव एन ए न वोरा के रिपोर्ट का टाइटल ही था “The criminalisation of politics and of the nexus among criminals, politicians and bureaucrats in India ” आज तीस साल हो रहे हैं इस रिपोर्ट को लेकिन इन तीस सालों में गुजराल, चंद्रशेखर, देवेगौडा, नरसिंह राव, अटलबिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और उनके बाद गत नौ सालों से पार्टी वुईथ डिफरंस वाली बीजेपी अपराधी श्रेणियों में आनेवाले लोगों का इन राजनीतिक दलों में शामिल होने का अनुपात हमेशा ही सत्ताधारी दल के अंदर अन्य दलों से अधिक होता है ! क्योंकि अपराधियों को सुरक्षित रखने के लिए सत्ताधारी दल का होना जरूरी है ! और उन राजनीतिक दलों को अपनी राजनीति के लिए विशेष रूप से अपराधियों की मदद आवश्यक है ! वर्तमान सत्ताधारी दल के संसदीय राजनीति का जायजा लेने से पता चलता है कि बहुत बडी संख्या में पार्टी वुईथ डिफरंस के अंदर भी अपराधी पृष्ठभूमि के विधायक से लेकर संसद सदस्यों से लेकर मंत्री शामिल है !


इतिहास के क्रम में सतत अपराधियों ने समय – समय पर सत्ताधारी दल का दामन थाम रखा है ! वर्तमान सत्ताधारी दल के मुख्यमंत्री पदो पर बैठे हुए लोगों से लेकर केंद्रीय मंत्री पदोपर बैठे हुए लोगों के अपराधियों के रेकॉर्ड रहे हैं ! तो कौन किसके उपर कारवाई करेगा ? और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री किस – किस को मिट्टी में मिला देंगे ? फिर तो उन्हें अपने आप से शुरुआत करनी होगी ! और लखीमपुर खिरि के विवादास्पद टोनी उर्फ अजय मिश्रा भारत के गृह राज्य मंत्री और शायद गृहमंत्री भी ! बाबा आमटे की ‘मट्टी जगायेगा उसे मत ‘इस मराठी कविता संग्रह में एक कविता है ! जो आदित्यनाथ के जैसे दहाड़ते हुए बोल रहे है ! कि “मैं भ्रष्टाचार और कालाबाजारी करने वाले लोगों को फांसी पर लटका दूंगा ” तो एक विकराल हंसी के साथ आवाज आती है कि “वह दोर भी आपको कालाबाजार से ही लाना पडेगा !”
डॉ. सुरेश खैरनार 24 एप्रिल 2023, नागपुर

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