यह प्रोफेसर मधू दंडवतेजी की जन्मशताब्दी वर्ष होने के कारण उनकी स्मृति में बोलने लिखने के लिए उन्होंने आपातकाल में बंगलुरू जेल में लिखी हुई 144 पन्नों की किताब मार्क्स और गांधी स्नेहलता रेड्डी को अर्पण की है ! जिनका आपातकाल में बंगलुरू जेल में निधन हो गया है !
वैसे ही अभी कल ही मै उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया होते हुए बनारस से लौटा हूँ ! और नाथ संप्रदाय के बारे में काफी उत्सुकता थी ! तो आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी ने लिखि हुई 231 पन्ने की किताब जो गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर को अर्पण की है ! लेकर आया हूँ ! आचार्य 1930-50 तक शांतिनिकेतन के आंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रमुख रहे हैं ! और वह पुनः बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में रेक्टर 1967 में रहे हैं !
मुझे अंदेशा था कि इस संप्रदाय की स्थापना आजसे एक हजार वर्ष पहले जैसे दक्षिण में संत बश्वेशरजी ने लिंगायत पंथ की स्थापना की है ! और महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन के दौरान संत ज्ञानेश्वर महाराज से लेकर संत विनोबा भावे तक ! और उत्तर भारत में मच्छिंद्रनाथ और उनके बाद गोरखनाथ के प्रयास से नाथ संप्रदाय की स्थापना की गई है ! जो जाति – सांप्रदायिकता के खिलाफ अलख जगाने का सभी जाति धर्म के लोगों को लेकर बनाए गए थे ! अगर आज पचास लाख नाथ संप्रदाय के जोगी है ! तो उनमें कम-से-कम दस लाख मुस्लिम समुदाय के जोगी होने की संभावना है ! लेकिन हिंदू सांप्रदायिकता सर चढकर बोल रही है ! तो प्रतिक्रिया में मुस्लिम कठमुल्लापन के लोगों को भी मौका मिला है ! तो वह मेवाट के मुसलमानों से लेकर नाथ संप्रदाय के जोगी और सबसे अधिक सुफी परंपरा के खिलाफ जबरदस्त विरोध किया जा रहा है ! इसलिए मुस्लिम समुदाय के जोगी अपने ने आपको छुपाने की कोशिश कर रहे हैं !


जैसे 1989 के 24 अक्तूबर को शुरू किया गया, शिलापूजा जुलूस के समय हुआ भागलपुर दंगे के बाद ! बाबुपुर नाम के गांव के सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों के मकान जमीनदोस्त किए हुए देखकर ! मैंने पूछा कि “यहाँ रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग कहा है ? ” तो लोगों ने बताया कि “बगल के ही मुस्लिम बहुल राजपूर नाम के गांव में चले गए हैं ! ” तो हमने राजपूर जाकर बाबुपुर से विस्थापित हुए लोगों की तलाश की !

जो राजपूर के अंदर जाने के पहले ही भागलपुर – हावरा रेल मार्ग के और राजपूर के दरम्यान खाली जगह पर बसे हुए थे ! तो उनके साथ बातचीत करते हुए शाहीद और वाहीद नाम के दोनों लोगों ने रोते हुए कहा कि ” भागलपुर दंगे के पहले हमें यह एहसास भी नहीं था कि हम मुसलमान हैं ! हम लोग छठ पूजा करने से लेकर सभी हिंदू त्योहारों को मनाते आए हैं ! हमारी जुबानी भाषा अंगिका है ! और जिंदगी में कभी भी नमाज अदा कीया नही ! और रोजे रखने का सवाल ही नहीं ! लेकिन राजपूर के मुस्लिम समुदाय के लोग हमे इस उम्र में अब नमाज अदा करने के लिए और रमजान के महिने में रोजे रखने की गुस्से से जबरदस्ती कर रहे हैं ! और हमें अब हम बेवतन हो गए ऐसा लगता है !” और दोनों के दोनों फुटफुटकर रोने लगे !


संघ अपनी शाखाओं में मुस्लिम समुदाय के बारे में अनर्गल बोलते रहता है ! लेकिन भारत के ज्यादातर अन्य धर्मों के लोग हजारों वर्ष से गंगा – जमनी संस्कृति वाले होने की वजह से शाहीद और वाहीद के जैसे ही थे ! लेकिन बाबरी मस्जिद – रामजन्मभूमि आंदोलन के बाद भारत के सभी मुसलमानों को जबरन मुस्लिम होने का एहसास दिलाया और कठमुल्लाओ की बांखे खिल गई !
संघ की तथाकथित उग्रहिंदूत्वादि भूमिका से भारत के सभी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को असुरक्षित बनाने का काम किया है ! जुलियस रिबेरो जैसे जांबाज पुलिस अधिकारी ने अपना अनुभव इंडियन एक्सप्रेस में लिखा है ! और मशहूर अभिनेता नसरुद्दीन शाह ने भी “अपने बच्चों को लेकर चिंतित हूँ “करके कहा है ! जो कि उसकी पत्नी मशहूर अभिनेत्री रत्ना पाठक दिना पाठक की बेटी है !
महात्मा गाँधी की हत्या के प्रसंग को संघ के लोगों ने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से हटाने की पहल इसीलिये की है ! कि कोई हिंदू – मुस्लिम भाईचारे की बात नहीं करे ! और उन्हें मारने के बाद संघ को तत्कालिन गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल ने बंदी लगा कर उनके हजारों कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया था ! तत्कालीन संघ प्रमुख श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर उर्फ गुरुजिके और सरदार पटेल के बीच हुआ पत्राचार के दस्तावेज मौजूद हैं !


लेकिन वर्तमान समय में लिंगायत हो या नाथ संप्रदाय दोनों के अंदर भयंकर जाती और सांप्रदायिकता सर चढकर बोल रही है ! वर्तमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के अध्यक्ष भी है ! और कर्नाटक में येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए 35 लिंगायत मठों के स्वामी मिलकर प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदीजी को मिलने का उदाहरण है !
हमारे कुछ मित्र आजकल पंढरपूर की वारी में शामिल हो रहे हैं ! लेकिन वारकरी संप्रदाय के संमेलन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में विश्व हिंदू परिषद के डॉ. प्रविण तोगड़िया को बुलाया जाता है ! कहा जाता है कि महात्माओं के शिष्य ही उनके विचारों का हनन करते हैं !


डॉ. राममनोहर लोहिया की हिंदू बनाम हिंदू नामक पुस्तिका में उन्होंने पांच हजार वर्ष पुरानी कट्टरपंथी और उदारपंथी हिंदू धर्म में चल रही लड़ाई का विष्लेषण करने का प्रयास किया है ! जो आज शायद कट्टरपंथी हावी हो गए हैं ऐसा लग रहा है ! देखिए कितने दिनों तक चलता है ?
अगर उदारपंथी हिंदू हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे तो यह समय और भी लंबा हो सकता है ! और गोरखनाथ, बसव अण्णा तथा इतिहास के क्रम में विभिन्न उदार पंथी लोगों की सक्रियता समय – समय पर होने से यह दौर खत्म किया जा सकता है ! ऐसा मेरा मानना है !
डॉ. सुरेश खैरनार 24 अप्रेल 2023, नागपुर

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