नई दिल्ली, (राज लक्ष्मी मल्ल) : भारतीय रेलवे अपनी जिम्मेदारी कब अच्छे तरीके से निभा पायेग, ये बता पता इस समय बहुत कठिन हो गया है. क्योंकि शुक्रवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की और इस बात का खुलासा किया कि ट्रेन में परोसा जाने वाला खाना इंसानों के खाने के लायक नही है.

CAG रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेनों में दूषित खाना, रिसाइकिल किया हुआ खाना और डब्बा बंद व बोतलबंद चीजों का इस्तेमाल उस पर लिखे हुए अंतिम तारीख यानि एक्सपायरी डेट के बाद भी यात्रिओं को परोसा जा रहा है. उसके बाद बेचे गए खाना या अन्य सामान का कस्टमर को बिल भी नहीं दिया जाता है.

CAG ने अपने किये गए ऑडिट में पाया कि रेलवे की फूड पॉलिसी में लगातार बदलाव होने के वजह से यात्रियों को बहुत ज्यादा परेशानियां होती हैं. इसलिए रेलवे की फूड पॉलिसी यात्रियों के लिए हमेशा एक सवाल बनी रहती है. यात्री हमेशा कन्फ्यूज्ड रहते हैं कि ट्रेन की चाय-पानी और खानें की कीमत क्या हैं. इस तरह से मनमाने तैर पर यात्रिओं से एक्स्ट्रा पैसे चार्ज किये जाते हैं.

इतना ही नही निरीक्षण से पता चला है कि ट्रेन को साफ-सफाई रखने के लिए स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जो की किया जाना चाहिए. साथ ही खान-पान की तैयारी के दौरान साफ-सफाई का ख्याल भी नही रखा जाता है. खाना बनाने के लिए अशुद्ध पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, डस्टबिन कवर्ड नहीं पाया गया और पूरी तरह से साफ भी नहीें होता. खाने को मक्खी, कीड़े-मकोड़े, चूहे और कॉकरोच से बचाने के लिए कोई पुख्‍ता उपाय नहीं किया जाता है.

इससे पता चलता हैं कि भारतीय रेलवे खुद के ही बनाए गए साफ-सफाई संबंधी के नियम-कानून को तोड़ रही है.

जानकारी के बता दें कि रेलवे और CAG दोनों ज्वाइंट टीम बना कर इस निरीक्षण पर काम किया और चुने हुए 74 स्टेशनों और 80 ट्रेनों में निरीक्षण किया है.

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