सलाम बिजेन सिंह

केंद्र सरकार और नगा संगठन, एनएससीएन (आईएम) के बीच लंबे समय से चल रहा नगा शांति समझौता जैसे-जैसे अंतिम चरण की तरफ बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की आशंकाएं भी गहराती जा रही हैं. अबतक इस समझौते को इतना गोपनीय रखा गया है कि समझौते में शामिल बातों की भनक भी किसी को भी नहीं लग सकी है.  इस समझौते में एनएससीएन (आईएम) की मांग है कि पूर्वोत्तर के राज्य असम के दो पहाड़ी जिले, अरुणाचल के दो जिले और मणिपुर के चार जिलों को इकट्‌ठा कर नगालिम बनाया जाए. यहां तक कि तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी अबतक नहीं मालूम है कि इस समझौते के क्या-क्या मुख्य बिंदु हैं. इस आशंका को लेकर मणिपुर विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है कि इस समझौते में शामिल बातों को केंद्र सरकार सार्वजनिक करे. मणिपुर विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर यह मांग की है कि 2015 में किए गए इस समझौते से पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए और समझौते की मुख्य बातें लोगों को बताई जाएं. पार्टी लाइन को दरकिनार करते हुए मणिपुर विधानसभा ने क्षेत्रीय अखंडता के लिए सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस और अन्य सभी पार्टियां ने मिलकर केंद्र की मोदी सरकार से मांग की कि इस नगा समझौते में शामिल बातों की जानकारी  संबंधित राज्यों को दी जाए. सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से एक ज्ञापन तैयार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा. यह पहला मौका है, जब सभी राजनीतिक पार्टियां एक मंच पर आकर राज्य की अखंडता अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए एक साथ जुटी हैं.

नगालिम का डर

मणिपुर के पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री ओक्रम इबोबी सिंह ने पहली बार खुलासा किया कि कुछ केंद्रीय नेताओं ने उनसे कहा कि इस समझौते का वे विरोध न करें. लेकिन किसी ने उनको इस संदर्भ में विश्वास में नहीं लिया. मणिपुर में 15 साल मुख्यमंत्री रह चुके इबोबी सिंह ने कहा कि यह समझौता होने के बाद केंद्रीय मंत्रियों ने तीनों राज्य के मुख्य मंत्रियों को तुरंत दिल्ली बुलाया था, लेकिन केंद्रीय मंत्रियों ने यह बताने से इंकार कर दिया कि इस समझौते में क्या-क्या बातें शामिल हैं. मणिपुर, असम एवं अरुणाचल प्रदेश को इस बात का डर है कि तीनों राज्यों के कई टुकड़ों, जहां नगा जनजाति बसी है, को मिलाकर नगालिम न बना दे. मणिपुर के सामाजिक संगठनों यूसीएम, अमुको, सीसीएसके के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, नगा समझौता के इंटरलोक्युटर आरएन रवि, सीपीआईएम नेता सीताराम येचूरी एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलकर ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में ये लिखा कि इस समझौते का हम स्वागत करते हैं, लेकिन राज्य की अखंडता पर आंच नहीं आनी चाहिए. हजारों साल से एक साथ रह रहे मणिपुर के लोगों के राजनीतिक एवं ऐतिहासिक पहचान को कोई मिटा नहीं सकता. तीनों राज्य असम, अरुणाचल और मणिपुर की जनता एवं मुख्यमंत्रियों को नजर अंदाज कर यह समझौता नहीं किया जा सकता है. तीनों राज्यों की सहमति के बाद ही यह समझौता शांतिपूर्ण तरीके से होगा.

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