up airways mayawati helicopter

उत्तर प्रदेश का उड्‌डयन महकमा कितना अराजक और भ्रष्ट है, यह आपको पता चल ही गया होगा. थोड़ी कसर बाकी हो तो मायावती काल का एक और प्रसंग देखते चलें. वह एक सितम्बर 2008 की रात थी. पाइलट से प्रदेश के कैबिनेट सेक्रेटरी बने शशांक शेखर सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को लेकर हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी.

मायावती को पहले संत कबीर नगर, फिर फैजाबाद ले जाया गया. जिस सिंगल इंजिन हेलीकॉप्टर पर मायावती को बैठा कर रात में ले जाया गया, वह हेलीकॉप्टर रात की फ्लाइंग के लिए कानूनन प्रतिबंधित है. उसमें रात्रि उड़ान के उपकरण नहीं हैं. रात में जब मायावती को लेकर वह हेलीकॉप्टर संत कबीर नगर से उड़ा तो टेक-ऑफ के लिए कारों की बत्तियां जलानी पड़ीं. फिर फैजाबाद में नाइट लैंडिंग का खतरनाक जोखिम उठाया गया. उसके बाद लखनऊ से विमान मंगवाया गया, तब मायावती वापस लौटीं. सिंगल इंजिन वाला जर्जर हेलीकॉप्टर खुद शशांक और विंग कमांडर आरएन सेनगुप्ता उड़ा रहे थे. प्रतिबंधित हेलीकॉप्टर को रात में उड़ाने का मसला केंद्रीय नागरिक उड्‌डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) में तूल न पकड़े इसके लिए उड़ान दस्तावेजों में समय को लेकर फर्जी तथ्य दर्ज किए गए.

फैजाबाद में एयरपोर्ट अथॉरिटी का कोई एयर ट्रैफिक कंट्रोल नहीं है, लिहाजा हेलीकॉप्टर की लैंडिंग का समय शाम सवा छह बजे और लखनऊ से रेस्क्यु के लिए गए विमान का टेक-ऑफ टाइम साढ़े छह बजे दर्ज कर दिया गया. लेकिन लखनऊ के एयर ट्रैफिक कंट्रोल में मायावती को लेकर आए सुपर किंग एयरविमान के लखनऊ पहुंचने का समय आधिकारिक तौर पर रात का सवा आठ दर्ज है. अगर हवाई जहाज ने साढ़े छह बजे शाम को फैजाबाद से लखनऊ के लिए उड़ान भरी तो उसे लखनऊ पहुंचने में सवा दो घंटे क्यों लगे? मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर उड्‌डयन महकमे की लापरवाही का आलम यह है कि मायावती को ‘रेस्क्यु’ कर लाने के लिए भेजे गए विमान को भी अयोग्य घोषित पाइलट ही उड़ा रहे थे. इनमें एक थे वयोवृद्ध कैप्टन पीसीएफ डिसूजा, जो मेडिकली अनफिट थे और दूसरे थे कैप्टन वीवी सिंह जो उस समय तकरीबन 62 साल के थे और डीजीसीए की शर्तों के मुताबिक उड़ान के लिए सक्षम नहीं थे.

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