1-_hemlal_murmuआगामी लोकसभा चुनाव तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के लिए खास होगा. उन्होंने लोकसभा चुनाव झारखंड में भी लड़ने का मन बनाया है. ममता के लिए सुखद यह है कि उन्हें जनसमर्थन भी मिल रहा है. झारखंड में जल, जंगल एवं जमीन के मुद्दों पर पिछले एक दशक से राजनीति कर रहे दलों को इससे जहां एक ओर करारा जवाब मिलेगा, वहीं कुछ नेताओं को एक बड़ा मंच मिलने की भी संभावना है. राज्य के गठन के बाद से अब तक झारखंड में सक्रिय राजनीति दल, चाहे वे क्षेत्रीय हों या राष्ट्रीय, सभी ने जल, जंगल एवं जमीन के मुद्दे से अपना नाता लगभग तोड़ लिया है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस का झारखंड की राजनीति में उतरने का ़फैसला कई राजनीतिक दलों पर भारी पड़ने वाला है. पूर्व सांसद ददई दूबे, झारखंड जनाधिकार मंच के विधायक बंधु तिर्की, पूर्व सांसद चमरा लिंडा, पूर्व मंत्री अकलू राम महतो, शिबू सोरेन के भाई लालू सोरेन एवं देश की पहली महिला हॉकी कोच आश्रिता टूटी के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब निर्दलीय पूर्व सांसद मधु कोड़ा एवं गीता कोड़ा का भी टीएमसी में आना लगभग तय हो चुका है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक पौलूस सोरेन एवं पूर्व मंत्री हेमलाल मूर्मु द्वारा बगावती तेवर अपनाने से साफ़ हो गया है कि लोकसभा चुनाव के बाद झामुमो में बड़ा बिखराव होना तय है. झारखंड, खासकर रांची, लोहारदगा, धनबाद, खूंटी, दुमका, गोड्डा एवं राजमहल संसदीय क्षेत्रों के कई असंतुष्ट-उपेक्षित नेता टीमएसी के राष्ट्रीय नेताओं के संपर्क में हैं. टीएमसी महासचिव मुकुल राय ने जिस तरह झारखंड में पार्टी के उदय का बिगुल फूंका है, उससे झारखंड विकास मोर्चा, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आजसू, भाजपा एवं कांग्रेस के नेतृत्वकर्ताओं में हड़कंप मच गया है. विभिन्न दलों के कई नेता लगातार टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं और आगामी चुनाव में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं. ख़बर है कि चतरा के वर्तमान सांसद इंदरसिंह नामधारी और पाकी के निर्दलीय विधायक विदेश सिंह भी टीएमसी नेतृत्व के संपर्क में हैं. लोहारदगा सीट से 2009 में भाजपा के सुदर्शन भगत से हारे चमरा लिंडा का टीएमसी के टिकट पर चुनाव मैदान में आना तय माना जा रहा है. वहीं खूंटी से बंधु तिर्की, दुमका से लालू सोरेन और धनबाद से ददई दूबे का भी चुनाव मैदान में आना लगभय तय है.
टीएमसी इस बार राज्य की सभी 14 संसदीय सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. इन सीटों पर विभिन्न दलों के वे नेता बतौर टीएमसी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेंगे, जो अपने इलाके में मजबूत स्थिति में होने के बावजूद अपनी मौजूदा पार्टी में उपेक्षित हैं. यह तय है कि आने वाले दिनों में तृणमूल कांग्रेस राज्य में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरेगी, जिसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं.
 

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