जन्मदिन- 21 जनवरी 1924

पुण्यतिथि- 12 नवंबर 2005

madhuआए दिन राजनीति में गंदगी और भ्रष्टाचार की बात होती है, तो कुछ ऐसे नेताओं की याद बरबस ही आ जाती है, जिनका पूरा राजनीतिक जीवन बेदाग रहा और जो सियासत की काल कोठरी में रहकर भी अपना लिबास सदा सफेद किए रहे. ऐसे नेताओं में मंधु दंडवते का नाम प्रमुखता से लिया जाता है. उनका पूरा जीवन बेदाग रहा.

यह भी कहा जाता है कि सत्ता से बाहर रहकर बेदाग रहना आसान है, लेकिन सत्ता में रहे लोग किसी न किसी आरोप में घिर ही जाते हैं. लेकिन मधु दंडवते ने इस मिथक को तोड़ा. उन्हें मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में रेल मंत्री जैसा बड़ा और महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया गया. उसके बाद वी.पी. सिंह मंत्रिमंडल में वे वित्त मंत्री बनाए गए थे. लेकिन उनपर कोई दाग नहीं लगा. मधु दंडवते का जन्म 21 जनवरी 1924 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था.

दंडवते ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था. अपनी शालीनता और विद्वता के कारण चर्चित मधु दंडवते ने वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार में वित्त मंत्री के रूप में काम किया. इससे पहले वे जनता पार्टी की सरकार में रेल मंत्री भी रहे. कोंकण रेलवे को वास्तविकता में बदलने के पीछे उनकी भी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है.

मधु दंडवते कोंकण क्षेत्र के राजापुर क्षेत्र से पांच बार लोकसभा का चुनाव जीते थे. मधु दंडवते 1951 से 1971 तक मुंबई विश्वविद्यालय में न्यूक्लियर फिजिक्स के अध्यापक रहे. एक वैज्ञानिक आखिर राजनीति में कैसे आ गए, इस सवाल के जवाब में मधु दंडवते ने एक बार कहा था कि मैं राजनीति में आया, ताकि राजनीति अधिक वैज्ञानिक बन सके.

1971 में वे पहली बार महाराष्ट्र के राजापुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. उस सीट से पूर्व सांसद रहे नाथ पै क्षेत्र में मशहूर थे और लोगों में उनकी जबरदस्त पैठ थी. यशस्वी और तेजस्वी सांसद नाथ पै ने अपनी प्रतिभा से देश और संसद को बहुत प्रभावित किया था. उनके असामयिक निधन के बाद वो सीट खाली हे गई थी.

उनकी जगह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने मधु दंडवते को चुनाव मैदान में उतारा. जब मधु दंडवते का नाम उम्मीदवार के रूप में सामने आया, तो वहां के लोगों को उनके बारे में ज्यादा पता नहीं था कि वे कैसे होंगे. लेकिन एक जन प्रतिनिधि के रूप में मधु दंडवते द्वारा की गई अपनी सियासी जिम्मेदारियों का निर्वहन कहें या उनके व्यक्तित्व का आकर्षण, दंडवते वो चुनाव तो जीते ही, वहां से लगातार पांच बार सांसद रहे. मधु दंडवते की सादगी के बारे में भी बहुत बातें होती रही हैं.

भारतीय राजनीति में उनके सादगीपूर्ण जीवन की मिसाल दी जाती है. उनकी सादगी के कई किस्से मशहूर है. ऐसा ही एक किस्सा है कि 1977 में जब केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने के लिए फोन के जरिए उनका बुलावा आया, तो उस समय मधु दंडवते अपने बाथरूम में अपने कपड़े खुद धो रहे थे. उसके बाद रेल मंत्री बनने पर भी वे सर्व साधारण की तरह ही जीवन व्यतित किए.

रेल मंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्य भी उल्लेखनीय हैं. रेल मंत्री बनने के बाद मधु दंडवते ने रेलवे में पहले से जारी विशेष कोटा को समाप्त कर दिया. साथ ही, उन्होंने जनरल मैनेजरों को एक परिपत्र भेजा, जिसमें उन्होंने लिखा था कि अगर कोई अपने को मेरा मित्र या रिश्तेदार बताकर विशेष सुविधा चाहे तो उसे ठुकरा दिया जाए.

मधु दंडवते कहते थे कि कई बार जो गलत काम होते हैं, चाहे वो भ्रष्टाचार हो या अपने रिश्तेदारों के प्रति पक्षपात, वे ऊपर से शुरू होते हैं और नीचे तक जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि ऊपर भ्रष्टाचार नहीं हो, रिश्तेदारों के साथ पक्षपात नहीं हो, इसीलिए मैंने जनरल मैनेजरों को सर्कुलर जारी कर दिया. मधु दंडवते के रेलमंत्री बनने से पहले, आपातकाल के दौरान देश में ट्रेनें समय पर चलती थीं. जब मोरारजी देसाई की सरकार बनी, तो इस चुस्ती में थोड़ी कमी आई.

कुछ पत्रकारों ने इसकी शिकायत रेल मंत्री से की. इस पर मधु दंडवते ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से कहा कि वे अफसरों और यूनियन के नेताओं से मिलें और उनसे कहें कि अगर इस तरह बदलाव होगा, तो लोगों को यह लगेगा कि रेल को ठीक से चलाने के लिए इमरजेंसी जरूरी है. यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा. इसलिए यह सुनिश्चित करें कि ट्रेनें सही समय पर चलें.

मधु दंडवते ने कई आंदोलनों का भी नेतृत्व किया था. रेल मजदूर आंदोलन, समाजवादी आंदोलन, भूमि मुक्ति आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन में भी वे सक्रिय रहे. ऐसे कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण मधु दंडवते के पास अनुभवों का खजाना था. उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं. प्रमिला दंडवते के रूप में उन्हें एक आदर्श जीवन संगिनी मिली थीं. प्रमिला दंडवते खुद भी राजनीति में सक्रिय थीं. वे सांसद भी रहीं. 2002 में प्रमिला जी का निधन हो गया. पत्नी के निधन के 3 वर्ष बाद 81 वर्ष की अवस्था में 12 नवंबर 2005 को मधु दंडवते भी परलोक सिधार गए.

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