सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के लिए बने मंच के पास हुई दलित शख्स की हत्या के मामले में शुक्रवार देर शाम को एक निहंग ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। निहंग सरवजीत सिंह ने दावा किया कि उसने ही हत्या की थी। पुलिस निहंग को शनिवार को कोर्ट में पेश करेगी, जिससे पहले उसका मेडिकल करवाया जाएगा।

न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार तड़के सिंघू बॉर्डर पर एक व्यक्ति की निर्मम हत्या की जिम्मेदारी एक निहंग सिख ने ली है।

निहंग सरवजीत सिंह ने शुक्रवार शाम को पुलिस के सामने सरेंडर किया। उसने जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि उसने ही लखबीर सिंह की हत्या की। अब पुलिस वीडियो के जरिए से सरवजीत सिंह की पहचान करेगी। घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें लखबीर को बैरिकेड से लटकाया हुआ दिखाया गया था।

गौरतलब है कि किसान आंदोलन के लिए बने मंच के पास से दलित शख्स लखबीर सिंह की हत्या कर दी गई थी, जिसके शव से हाथ को अलग करके बैरिकेड पर लटका दिया गया था। सुबह मामले के सामने आने के बाद देशभर में हड़कंप मच गया। लखबीर सिंह पंजाब के तरन-तारन जिले के चीमा खुर्द गांव का रहने वाला था। लखबीर की उम्र 35-36 साल बताई जा रही है। उसके माता-पिता की पहले ही मौत हो चुकी है, जबकि उसकी तीन बेटियां भी हैं, जोकि अपनी मां के साथ रहती हैं।

चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री आवास पर CM मनोहर लाल की गृहमंत्री अनिल विज, DGP पीके अग्रवाल और दूसरे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग के लगभग 2 घंटे के अंदर निहंग सरबजीत सिंह का सरेंडर हो गया। लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर हरियाणा सरकार की ओर से रोहतक रेंज के IG संदीप खिरवार ने मोर्चा संभाला। शुक्रवार दोपहर 2.15 बजे सोनीपत के DC ललित सिवाच और SP जशनदीप सिंह रंधावा के साथ कुंडली थाने पहुंचे। खिरवार ने यहीं बैठकर निहंग जत्थेबंदियों और किसान आंदोलन से जुड़े संगठनों से संपर्क साधा। खिरवार ने उनसे हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को पेश किए जाने पर बातचीत शुरू की।

कुंडली थाने पहुंचने के घंटेभर बाद खिरवार ने जब दोनों अफसरों के साथ मीडिया के सामने आकर कहा कि आरोपी उनके राडार पर आ चुके हैं, तभी तय हो गया था कि इस मामले का पटाक्षेप जल्द ही हो जाएगा। शुक्रवार तड़के साढ़े 3 बजे लखवीर की हत्या किए जाने के 8 घंटे बाद यानी दोपहर 12 बजे तक निहंग जत्थेबंदियां इसके लिए लखवीर को ही दोषी ठहराती रहीं। अपने स्टैंड पर अड़ी नजर आईं, मगर उसके बाद धीरे-धीरे उन पर बढ़ते दबाव का असर दिखने लगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले प्रेस बयान और बाद में जब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हत्या की निंदा करते हुए इसे कानून के खिलाफ बताया तो निहंगों पर दबाव और बढ़ गया।

सरकार का कोई मंत्री या अफसर नहीं बोला
रोहतक रेंज के IG संदीप खिरवार दोपहर 2.15 बजे सोनीपत के SP जशनदीप सिंह रंधावा के साथ कुंडली थाने पहुंच गए। लगभग उसी समय सोनीपत के डीसी ललित सिवाच भी वहां पहुंच गए। दरअसल हरियाणा सरकार ने मामला सुलझाने का जिम्मा इन्हीं तीनों अधिकारियों को दिया। कोई भी मंत्री या दूसरे वरिष्ठ अफसर इस पर नहीं बोले। ऐसा करके सरकार ने स्पष्ट मैसेज दे दिया कि यह लॉ एंड ऑर्डर से जुड़ा इश्यू है। इसमें कोई ढील नहीं दी जा सकती। तीनों अफसरों ने रणनीति के तहत काम करते हुए सबसे पहले उन लोगों को आइडेंटिफाई किया गया जो दोनों पक्षों के बीच कड़ी की भूमिका निभा सकते थे। इसमें सोनीपत के DC और SP का अहम रोल रहा। DC और SP किसान आंदोलन की वजह से बंद पड़े नेशनल हाईवे को खोलने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से गठित हाईपावर कमेटी के मेंबर हैं। ये दोनों पहले से ही किसान नेताओं के संपर्क में थे।

मामला जल्द से जल्द सुलझाने की रणनीति
तीनों अफसरों की रणनीति मामला जल्द से जल्द सुलझाने की रही। इसके लिए उन्होंने कुंडली थाने में ही बैठकर अलग-अलग माध्यमों से किसान नेताओं और निहंग जत्थेबंदियों के प्रमुख लोगों से बातचीत शुरू की। साढ़े 3 घंटे में कई दौर की बातचीत के बाद शाम 5.45 बजे के आसपास उन्होंने निहंग जत्थेबंदियों को हत्या के आरोपी का सरेंडर करवाने पर राजी कर लिया। जब सरेंडर पर सहमति बन गई तो कुंडली थाने से सोनीपत के DSP वीरेंद्र राव की अगुवाई में पुलिस की एक टीम सिंघु बॉर्डर पर निहंगों के डेरे में भेजी गई। तय स्क्रिप्ट के मुताबिक DSP वीरेंद्र राव सोनीपत सीआईए इंचार्ज योगेंद्र यादव के साथ सीधे निहंगों के पंडाल में पहुंचे। पुलिस अधिकारी लगभग 15 मिनट पंडाल में रहे और 6.15 बजे निहंग सरबजीत सिंह के साथ बाहर निकले। इसके बाद निहंग सरबजीत सिंह पुलिस टीम के साथ गुरु ग्रंथ साहिब के दर्शन के लिए गया। फिर पुलिस उसे गाड़ी में बैठाकर कुंडली थाने के लिए रवाना हो गई।

गौरतलब है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की अलग-अलग सीमाओं पर किसान तीन नए कृषि कानूनों के विरुद्ध धरना दे रहे हैं। इस धरने को 9 महीने से अधिक का समय बीत चुका है किसान संगठनों और सरकार के बीच कई बैठकें भी हुईं, मगर अबतक कोई हल नहीं निकला है. किसानों का कहना है कि वे लोग कृषि कानूनों की वापसी से पहले नहीं हटेंगे। जबकि सरकार का कहना है कि वह कानूनों को वापस नहीं लेगी, हालांकि किसानों के बताए हर संभव बदलाव करने को तैयार है।

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