राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत तीन दिनों के दौरे पर अयोध्या में हैं। भागवत और वरिष्ठ पदाधिकारी भैयाजी जोशी संघ की ओर से चल रहे अखिल भारतीय शारीरिक वर्ग शिविर में शामिल होंगे। शिविर का समापन 21 अक्टूबर को होगा।

आज अयोध्या में रहेंगे। वे रामलला के दर्शन कर सकते हैं। वे यहां मंदिर निर्माण का जायजा भी लेंगे। संघ के प्रत्येक वर्ष अक्टूबर में होने वाले शारीरिक अभ्यास वर्ग का आयोजन इस बार महाराष्ट्र के नागपुर के बजाए इस बार चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हो रहा है।

भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा पार्टी के कई और सीनियर नेता एवं केंद्रीय मंत्री भी इस बैठक में हिस्सा ले सकते हैं। भाजपा के अलावा आरएसएस से जुड़े कई और संगठन भी इसमें हिस्सा लेंगे, जो शिक्षा, संस्कृति और आर्थिक क्षेत्र में सक्रिय हैं।

आरएसएस और भाजपा के प्रतिनिधियों के बीच अकसर होने वाली इन बैठकों में सरकार के साथ समन्वय और नीतियों को लेकर फीडबैठ पर बात की जाती है। इससे पहले पिछले महीने भी आरएसएस ने 4 दिन लंबा एक सेशन आयोजित किया था, जिसमें आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बात हुई थी। उस मीटिंग को आरएसएस के काडर को चुनाव के लिहाज से तैयार रहने और भाजपा के लिए जीत की राह तैयार करने को कहा गया था। मंगलवार को शुरू हो रही मीटिंग का वक्त काफी अहम है। देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन से जुड़ी हिंसक घटनाएं हुई हैं। इस आंदोलन के एक साल पूरे होने को हैं।

बता दें कि रविवार को ही मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कहा था कि यदि सरकार एमएसपी गारंटी कानून लाती है तो फिर वे किसानों को मना लेंगे। उन्होंने कहा था कि किसान इससे कम पर नहीं मानेंगे और यह उनके लिए जरूरी है। गौरतलब है कि लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद से किसान आंदोलन को लेकर यूपी और केंद्र सरकार पहले ही बैकफुट पर है। यही नहीं इस आंदोलन के चलते पार्टी को यूपी में नुकसान का डर सता रहा है। ऐसे में किसान आंदोलन से निपटने को लेकर भी आरएसएस की ओर से फीडबैक दिया जा सकता है।

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