उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बारिश कहर बनकर बरस रही है। मंगलवार सुबह  नैनीताल जिले के धारी ब्लाक के चौखुटा गांव में बारिश के दौरान मजदूरों की झोपड़ी पर रिटेनिंग दीवार गिर गई। हादसे में पांच मजदूरों की मौत हो गई। जबकि एक को मलबे से जिंदा निकाल लिया गया है। राहत और बचाव कार्य जारी है। उधर, खैरना में झोपड़ी में पत्थर गिरने से दो लोगों की मौत की खबर है।

भूस्खलन से मलबे में दबे दो बच्चों की मौत
अल्मोड़ा के भिकियासैंण में एक मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया। इस दौरान दो बच्चे मलबे में दब गए। जिनके शव बरामद कर लिए गए हैं। जानकारी मिलने पर एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू शुरू कर दिया है। उधर, बाजपुर में लेवड़ा नदी उफान पर आ गई। जिससे मुख्य बाजार और कॉलोनियों में बाढ़ का पानी भर गया। पानी भरने से लोगों के घरों का सामान भी पूरी तरह खराब हो गया है। वहीं, बाजपुर में भी बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के पास उफनते लामबगड नाले में एक कार फंस गई। इसमें यात्री भी सवार थे। इसे बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) द्वारा जेसीबी की मदद से बचाया गया है। इस खौफनाक मंजर का एक वीडियो समाचार एजेंसी एएनआई ने जारी किया है। खराब मौसम से जूझ रहे उत्तराखंड में हालात ज्यादा खराब होते जा रहे हैं। भूस्खलन की वजह से तीन बड़े राजमार्ग बंद कर दिए गए हैं। दूसरी तरफ बद्रीनाथ में भी कुदरती कहर बरप रहा है। यहां अभी भी काफी लोग फंसे हुए हैं। जबकि, रेस्क्यू ऑपरेशन कर 22 लोगों को बचाया गया है।

पूरे मामले पर लगातार केंद्र और राज्य सरकार नजर बनाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और राज्य के मंत्री अजय भट्ट से बात कर भारी बारिश से पैदा हुए हालात की समीक्षा की है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में लगातार दूसरे दिन सोमवार को भारी बारिश से नेपाल के तीन मजदूरों समेत पांच लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए हैं।

राज्य आपात अभियान केंद्र ने बताया है कि एक अन्य घटना में चंपावत जिले के सेलखोला में भूस्खलन के बाद दो लोगों का घर ढह जाने से उनकी मौत हो गई है।

तरे के निशान से ऊपर बह रही कोसी नदी
कोसी नदी में पानी बढ़ने से रामनगर के गर्जिया मंदिर को खतरा पैदा हो गया। पानी मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गया है। वहीं बैराज के सभी फाटक खोल दिए गए हैं। कोसी बैराज पर कोसी नदी का जलस्तर 139000 क्यूसेक है। जो खतरे के निशान से काफी ऊपर है। कोसी बैराज में खतरे का निशान 80000 क्यूसेक है।

उधर, हल्द्वानी में गोला नदी उफान पर आने से नदी पर बना अप्रोच पुल टूट गया। जिसके कारण वहां आवाजाही बंद हो गई है। टनकपुर में शारदा नदी के उफान से क्रशर मार्ग ने नाले का रूप ले लिया है। मंगलवार की सुबह गोला नदी का जलस्तर 90 हजार क्यूसेक पार हो गया। जिससे अप्रोच पुल टूट गया। सूचना पर प्रशासन और एनएचएआई के अधिकारियों ने सड़क का जायजा लिया। नदी का जलस्तर बढ़ने से गोला बैराज को खतरा पैदा हो गया है। बारिश के कारण नाला भी उफान पर आ गया जिससे नाले के किनारे बना एक मकान बह गया। उधर, नैनीताल में भारी बारिश से कई जगह पानी भर गया है।

हरिद्वार में खतरे के निशान पर पहुंची गंगा
पहाड़ों की बारिश के बाद हरिद्वार में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। सुबह साढ़े आठ बजे से पानी के जलस्तर में बढोतरी हुई है। जिसके बाद से प्रशासन अर्लट मोड पर है। बैराज के खतरे का निशान 294 मीटर पर है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के एसडीओ शिवकुमार कौशिक ने बताया कि रात 12:00 बजे के बाद टिहरी बांध व श्रीगंगानगर से पानी छोड़े जाने से गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है। जिससे क्षेत्र में अलर्ट जारी किया गया है

ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट का आरती स्थल डूबा
ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान से महज 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। त्रिवेणी घाट के आरती स्थल समेत विभिन्न गंगा घाट जलमग्न हो गए हैं। प्रशासन तटीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों को आश्रय स्थलों में शिफ्ट कर रहा है। ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर 340.30 मीटर पर पहुंच गया है। गंगा चेतावनी निशान 340.50 मीटर के बिल्कुल करीब पहुंच गई है। केंद्रीय जल आयोग ने मैदानी जिलों के प्रशासन अलर्ट कर दिया है। पुलिस गंगा के तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों लगातार अलर्ट कर रही है। वहीं चंद्रेश्वर नगर, मायाकुंड, चंद्रभागा के आसपास रहने वाले लोगों को शिफ्ट किया जा रहा है। त्रिवेणी घाट का आरती स्थल, परमार्थ घाट, नाव घाट, शत्रुघ्न घाट आदि घाट पानी में डूब गए हैं।

 

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