पूर्वोत्तर में आई बाढ़ दिनों दिन विकराल होती जा रही है. बाढ़ का सबसे ज्यादा कुप्रभाव असम में देखने को मिला है, जहां शनिवार और रविवार को पांच लोगों की मौत हो गई, वहीं मणिपुर से भी एक व्यक्ति के बाढ़ के कारण मरने की खबर है. पूरे पूर्वोत्तर में अब तक बाढ़ के कारण 23 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. केवल असम के छह जिलों में बाढ़ से 4.5 लाख लोग प्रभावित हैं. हालांकि कुछ जगहों पर बाढ़ की स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है. इस बीच मौसम विभाग ने संभावना जताई है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में मौसम का मिजाज बिगड़ सकता है.

असम में कई जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. इनमें होजाई, पश्चिम कार्बी अंगलोंग, गोलाघाट, करीमगंज, हैलाकांडी और काछर शामिल हैं. बाढ़ का सबसे ज्यादा असर करीमगंज में है, जहां 2.5 लाख लोग प्रभावित हैं. यहां बद्रपुर घाट पर बराक नदी खतरे निशान से ऊपर बह रही है. इसके अलावा भी कई नदियां कोहराम मचा रही हैं. ब्रह्मपुत्र नदी जोरहट में निमातीघाट पर और काछर जिले के एपी घाट पर तथा करीमगंज में धनसिरी, जिया भराली, कोपिली, काटाखाल और कुशियारा आदि नदियां भी कई जगह खतरे के निशान से ऊपर हैं. असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों की मानें तो राज्य में बाढ़ से हुए हादसों के कारण मरने वालों की संख्या 12 हो गई है.

त्रिपुरा में हालांकि हालात में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी 32 हजार लोग राहत शिविरों में हैं. यहां के 3000 से ज्यादा किसान फसलों के नुकसान को लेकर चिंतित हैं. राज्य आपदा अभियान केंद्र की मानें तो बाढ़ प्रभावित 32 हजार लोग 173 राहत शिविरों में पनाह लिए हुए हैं. उधर, उत्तरी मिजोरम के 25 गांवों का संपर्क राज्य के अन्य हिस्सों से कट गया है. मणिपुर में 2 नदियां अब भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. यहां बाढ़ के पानी में बहने से रविवार को एक शख्स की मौत हो गई और इसके साथ ही राज्य में बाढ़ से मौत का आंकड़ा आठ हो गया. बाढ़ के कारण 400 पशुओं के भी मारे जाने की खबर है, वहीं 3 हजार 947 हेक्टेयर में लगी धान की फसल खराब हो गई है.

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