एक देश एक टैक्स यानि जीएसटी के बाद सरकार एक और बड़े रिफॉर्म की तैयारी में है. खबर आ रही है कि स्टॉक्स, डिबेंचर सहित कई फाइनैंशल इंस्ट्रूमेंट के ट्रांसफर पर सरकार देशभर में समान स्टैंप ड्यूटी दर को लागू कर सकती है. गौरतलब है कि अभी सभी राज्यों में अलग-अलग स्टैंप ड्यूटी रेट है. इससे पहले एकसमान स्टैंप ड्यूटी रेट के लिए 1899 के तत्कालीन सरकार ने कानून में बदलाव के लिए प्रयास किया था, लेकिन तब राज्यों ने इस अपील को खारिज कर दिया, क्योंकि वे स्टैंप ड्यूटी पर अधिकार खोना नहीं चाहते थे.

एक अंग्रेजी अखबार ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि इसे लेकर सरकार के स्तर पर प्रस्ताव तैयार है. इसमें राज्यों की भी सहमति है. कहा जा रहा है कि इस बदलाव को संसद से पारित कराने के लिए शीतकालीन सत्र में बिल लाया जा सकता है. सरकार का कहना है कि ऐसा होने से राज्यों के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

स्टैंप ड्यूटी भूमि खरीद से जुड़े ट्रांजैक्शंस और डॉक्युमेंट्स पर लगता है. गौरतलब है कि इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. बिल्स ऑफ एक्सचेंज, चेक, लेडिंग बिल्स, लेटर्स ऑफ क्रेडिट, इंश्योरेंस पॉलिसीज, शेयर ट्रांसफर, इकरार-नामा जैसे वित्तीय साधनों पर स्टैंप ड्यूटी संसद से तय होता है. हालांकि, अन्य वित्तीय साधनों पर राज्य सरकारें स्टैंप ड्यूटी की दर करती हैं.

अलग-अलग राज्यों में स्टैंप ड्यूटी की दर अलग-अलग है. इसके कारण अक्सर लोग ऐसे राज्यों के जरिए ट्रांजैक्शन करते हैं, जहां दर कम होती है. इसे लेकर मार्केट रेग्युलटर सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने राज्यों को सलाह भी दी थी कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाले फाइनैंशल ट्रांजैक्शन पर स्टैंप ड्यूटीज को एकसमान बनाएं या माफ कर दें.

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