नई दिल्ली: Bhagat Singh (भगत सिंह), राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को फांसी पर चढ़ाया गया था, और इन तीन देशभक्तों ने हंसते-हंसते शहादत को गले लगाया था. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की याद में ही शहीद दिवस (Shaheed Diwas) हर साल मनाया जाता है. भगत सिंह भारत के आजादी के आंदोलन के ऐसे सिपाही रहे हैं, जिनका जेहन या जुबान पर आते ही शरीर में जोश दौड़ जाता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं. खुद को देशभक्ति के जज्बे से भरने के लिए उनका नाम लेना ही काफी है. भगत सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया और असेंबली में बम फेंककर उन्हें सोती नींद से जगाने का काम किया था, असेंबली में बम फेंकने के बाद वे भागे नहीं और जिसके नतीजतन उन्हें फांसी की सजा हो गई.

भगत सिंह बॉलीवुड के भी फेवरिट रहे हैं, और मनोज कुमार से लेकर बॉबी देओल और अजय देवगन तक भगत सिंह के किरदार सिल्वरस्क्रीन पर निभा चुके हैं. इन फिल्मों में भगत सिंह की शायरी के साथ ही उनके कोट्स का भी जमकर इस्तेमाल हुआ है.

1. ‘प्रेमी, पागल और कवि एक ही मिट्टी के बने होते हैं.’

2. ‘…लोगों को कुचलकर, वे विचारों का दम नहीं घोंट सकते.’
3. ‘अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा. जब हमने बम फेंका तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था. अंग्रेजों को भारत छोड़ना और उसे आजाद करना चाहिए.’

4. ‘मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसानियत को प्रभावित करती है उससे मेरा मतलब है.’

5. ‘जिंदगी अपने दम पर जी जाती है… दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं’

6. ‘प्यार हमेशा आदमी के चरित्र को ऊपर उठाता है, यह कभी उसे कम नहीं करता है. प्यार दो प्यार लो.’

7. ‘हमारे लिए समझौते का मतलब कभी आत्मसमर्पण नहीं होता. सिर्फ एक कदम आगे और कुछ आराम, बस इतना ही. ’

8. ‘हर वो शख्स जो जो विकास के लिए आवाज बुलंद कर रहा है उसे हरेक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास जताना होगा और उसे चुनौती देनी होगी.’

9. ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं. बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है. इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है.’

10. ‘वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं. वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं.’

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