प्रेस को सम्बोधित करते हुए मंत्री श्री मंडल ने बताया कि उनका विभाग हर आम व खास आदमी से जुडा विभाग है. चाहे वो धनी हो या सबसे निचले पायदान के लोग हों, सभी को जमीन का मसला होता है. उन्होंने कहा कि सूबे के थानों और न्यायालयों में जितने भी मामले लंबित हैं, इनमें सबसे ज्यादा भूमि से जुड़े विवाद ही हैं. भूमि विवादों को कम करने के लिए सरकार सभी स्तर पर काम कर रही है. इसी को लेकर दाखिल खारिज आदी को ऑनलाइन किया गया है.


MKGमहात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के निर्माण हेतु एक माह में भूमि उपलब्ध करा दी जाएगी. पूर्व में बनकट गांव की 34 एकड़ भूमि केविवि को उपल्ब्ध करा दी गई है. साथ ही दर निर्धारण और भूमि के वर्गीकरण का आकलन करके सुधार कर दिया जाएगा. उक्त बातें बिहार सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल ने कही.

श्री मंडल केविवि के भूअर्जन में हो रहे अनावश्यक विलंब और शिकायतों के बाद भूअर्जन सहित अन्य योजनाओं की समीक्षा करने मोतिहारी आए थे. ज्ञात हो कि मोतिहारी के विधायक सह बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार और सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने भी केविवि के लिए अविलम्ब भूमि का अधिग्रहण कर हस्तगत कराने के लिए राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल से लिखित मंाग की.

मोतिहारी में मंत्री श्री मंडल ने जिला प्रशासन के साथ योजनाओं की समीक्षात्मक बैठक से पूर्व फुरसतपुर के ग्रामवासियों से भेंट की और भूमि अधिग्रहण की समस्याओं को सुना. ग्रामीणों ने बताया कि कुछ पदाधिकारी जान बूझकर अधिग्रहण में पेंच फंसा रहे हैं. ग्रामीणों ने आवेदन देकर बताया कि किसानों और भूस्वामियों को भूमि के दर पर भी परेशान किया जा रहा है.

फुरसतपुर की दूरी नगर परिषद की सीमा से महज 2.5 किलो मीटर है, लेकिन इसे पेरीफेरल क्षेत्र की श्रेणी में नहीं लिया गया है. जबकि बिहार स्टाम्प नियमावली (संशोधन) 2013 में स्पष्ट है कि नगर परिषद सीमा से 4 किलोमीटर की परिधि वाले क्षेत्र की भूमि को पेरीफेरल माना जाएगा. विदित हो कि ग्राम बैरिया जो केविवि के निर्माण के लिए प्रस्तावित है, के मौजा भूमि से पश्चिम में एनएच 28 है और उत्तर में मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज जाने वाली पीडब्लयूडी की पक्की सड़क पर फुरसतपुर अवस्थित है.

यहीं बिहार का सबसे बडा एफसीआई का गोदाम, इंजीनियरिंग कॉलेज, सिमेन्ट ईंट फैक्ट्री सहित कई व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं. इतना ही नहीं, विगत 4 वर्षों से फुरसतपुर और बैरिया के एमवीआर का पुर्नमूल्यांकन भी नहीं किया गया है. इसके कारण यहां भूमि के वास्तविक मूल्य से भूअर्जन विभाग द्वारा निर्धारित मूल्य कई गुणा कम है. जबकि दोनों ही गांव बनकट से सटे हैं और एक ही पंचायत चन्द्रहिया के राजस्व ग्राम हैं. इससे किसानों को भारी क्षति होने की प्रबल संभावना है, जबकि सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानी हो रही है.

आवेदन के अनुसार 25/04/2016 को जब इसकी जानकारी तत्कालीन जिलाधिकारी अनुपम कुमार को दी गई तो उन्होंने इसे भारी चूक बताते हुए सुधार हेतु निबंधन उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग, पटना में आवेदन देकर सुधार की मांग करने की सलाह दी थी. तत्पश्चात 30/05/2016 को निबंधन, उत्पाद एवं मद्यनिषेध विभाग के प्रधान सचिव श्री केके पाठक, महानिरीक्षक श्री कुंवर जंगबहादुर और सचिव मंजू कुमारी को देकर न्याय की गुहार लगाई गई. एक ही पंचायत चन्द्रहिया के राजस्व ग्राम बनकट और फुरसतपुर के भूमि दर में 10 गुणा से अधिक अन्तर है और इसका कारण स्पष्ट तौर पर प्रशासनिक हठधर्मिता ही है, क्योंकि 2014 के बाद से फुरसतपुर के भूमि के एमवीआर का पुनरीक्षण किया ही नहीं गया है.

इसकी पुष्टि आरटीआई स0 402110110021801608 दिनांक 10.02.2018 के जवाब से हो जाता है, जिसमें लिखा गया है कि बनकट मौजा पेरिफेरल क्षेत्र के अधीन है, जिसका मूल्यांकन दिनांक 01.02.2016 से प्रभावी है. फुरसतपुर ग्रामीण क्षेत्र के अधीन है, जिसका मूल्यांकन दिनांक 20.09.14 से प्रभावी है. जिसके कारण एमवीआर के मूल्य4 में अन्तर है. इसको लेकर भूअर्जन पदाधिकारी, जिलाधिकारी से कई बार मिलकर न्याय करते हुए एमवीआर के पुर्नमूल्यांकन और पेरिफेरल क्षेत्र में शामिल करने की गुहार लगाई गई, पर कहीं से न्याय नहीं मिला.

आश्चर्य की बात है कि भूअर्जनाधिन भूमि के दर के पुर्नमूल्यांकन और वर्गीकरण को लेकर बिहार सरकार राजस्व विभाग के प्रधान सचिव श्री विवके कुमार सिंह का स्पष्ट निर्देश ज्ञापांक 10/रा.वर्गीकरण-94/2015-5021 पटना दिनांक 18.12.2017 से प्राप्त है, फिर भी इसके तहत न तो भूमि के वर्गीकरण की कार्यवाही की जा रही है और न ही दर निर्धारण किया गया है. मंत्री ने मामलों को गंभीरता से लेते हुए समाधान का आश्वासन दिया. जिला स्तरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंत्री श्री मंडल ने एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया.

प्रेस को सम्बोधित करते हुए मंत्री श्री मंडल ने बताया कि उनका विभाग हर आम व खास आदमी से जुडा विभाग है. चाहे वो धनी हो या सबसे निचले पायदान के लोग हों, सभी को जमीन का मसला होता है. उन्होंने कहा कि सूबे के थानों और न्यायालयों में जितने भी मामले लंबित हैं, इनमें सबसे ज्यादा भूमि से जुड़े विवाद ही हैं. भूमि विवादों को कम करने के लिए सरकार सभी स्तर पर काम कर रही है.

इसी को लेकर दाखिल खारिज आदी को ऑनलाइन किया गया है. उन्होंने बताया कि कर्मियों की कमी के कारण कार्यों में हो रहे विलम्ब और परेशानी को दूर करने में ऑनलाइन पद्धति सहायक होगी. महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के भू-अधिग्रहण को लेकर कहा कि जिलाधिकारी को कहा गया है कि एक माह के अन्दर भूअर्जन का कार्य पूर्ण कर सूचित करेंगे. उन्होंने कहा कि केविवि का भूअर्जन मुख्यमंत्री भी चाहते हैं और यह सम्पूर्ण चम्पारणवासियों की मांग है.

वहीं, पत्रकारों ने केन्द्रीय विद्यालय को 16 वर्षों में भी जमीन नहीं देने का भी मामला उठा, जिसपर मंत्री प्रमोद कुमार ने जानकारी दी कि समाहरणालय के पास ही केन्द्रीय विद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई है. वहीं चीनी मील के जमीन को रातों रात जिला प्रशासन द्वारा निबंधन करने का विवादित मामला भी उठा, हांलाकि मंत्री श्री मंडल ने जांच की बात कहकर कन्नी काट ली.

ज्ञात हो कि चीनी मील से संबंधित 16 एकड़ जमीन को विगत दिनों रविवार की रात के 12 बजे निबंधन कार्यालय खोल कर कुछ तथाकथित भूमाफियाओं को रजिस्ट्री कर दिया गया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. उन्होंने सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने को विभाग की प्राथमिकता बताई. प्रेस वार्ता में उनके साथ पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार और सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह भी उपस्थित थे. इसके बाद राजस्व मंत्री और पर्यटन मंत्री, पीपरा विधायक श्यामबाबू यादव, कल्याणपुर विधायक सचिन्द्र प्रसाद सिंह ने केविवि का भ्रमण किया.

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