beguआगामी लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से स्थानीय प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर भाजपाइयों ने कमर कस ली है. बड़ी मुश्किल से प्रथमवार बेगूसराय संसदीय सीट पर भाजपा का कैंजा हुआ है और किसी भी हालत में वह इसे गंवाना नहीं चाहती है. लेकिन यह तभी संभव होगा, जब एन.डी.ए यह सीट पुन: भाजपा को देगी और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया जाएगा.

बेगूसराय में अभी नाम बाहरी प्रत्याशी के ही उभरे हैं, इसलिए स्थानीय कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर बेगूसराय के भाजपाइयों ने मुहिम तेज कर दी है. पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं में से प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व जिले के बाहरी व्यक्तियों के सांसद बनने से बेगूसराय के विकास की गति थम सी गई थी, जिसे भाजपा के वर्तमान स्थानीय सांसद डॉ. भोला सिंह ने काफी परिश्रम से गतिशील बनाया है. इसे न सिर्फ यथावत रखने के लिए बल्कि जिले के विकास के लिए और अधिक गति प्रदान करने के लिए स्थानीय नेता को अगामी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए.

भाजपा के वर्तमान सांसद डॉ. भोला सिंह की अधिक आयु होने एवं अस्वस्थ रहने के कारण यह कयास लगाया जा रहा है कि अगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी उन्हें प्रत्याशी नहीं बना सकती है. इसी कयास के बीच जिले के भाजपाइयों की यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि स्थानीय जमीनी कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाया जाए.

बेगूसराय संसदीय सीट को भाजपा खोना नहीं चाहती

बाढ़ के जल का प्रबंधन, औद्योगिक नगर से उद्योगपतियों का पलायन, भूमि अधिग्रहण के बावजूद औद्योगिक विकास केन्द्र की स्थापना से वंचित, गंगा नदी के कटाव, कटाव से विस्थापित परिवारों को पुनर्वासित नहीं किया जाना, सिंचाई प्रबंध, शिक्षा आदि क्षेत्रों में बेगूसराय जिला काफी पिछड़ चुका है. जिले को विकास के रास्ते पर लाकर उसे गतिशील बनाने के लिए स्थानीय सांसद का होना जरूरी है.

आगामी लोकसभा चुनाव में बाहरी व्यक्तियों को प्रत्याशी बनाए जाने पर उसका विरोध होना पक्का माना जा रहा है. बेगूसराय भाजपा की सीट है. प्रथमवार भाजपा के डॉ. भोला सिंह ने पार्टी का खाता खोला और केसरिया को लोकसभा तक पहुंचाया. बड़ी मुश्किल से प्राप्त बेगूसराय संसदीय सीट को भाजपा खोना नहीं चाहती है. इसके लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाए हुए है. यदि यह सीट भाजपा के खाते में एन.डी.ए नहीं डालती है तो पार्टी के युवा वर्ग दूसरा रास्ता अख्तियार कर सकते हैं.

यह तय माना जा रहा है कि बेगूसराय संसदीय सीट के प्रत्याशी का चुनाव अतिमहत्वपूर्ण होगा. एक ओर एन.डी.ए के प्रत्याशी चुनावी रथ पर भगवा ध्वज एवं गांडीव-तीर से लैश होंगे, तो दूसरी ओर महागठबंधन के प्रत्याशी उनसे दो-चार करने को तत्पर होंगे. लेकिन लोकसभा चुनाव में किस गठबंधन या दल के कौन प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे, इस पर संसय कायम है. एक ओर भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह घोषणा कर चुके हैं कि जे.एन.यू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार को पार्टी बेगूसराय संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाएगी. यदि कन्हैया कुमार को महागठबंधन का प्रत्याशी बनाया जाता है तो देश भर की निगाहें बेगूसराय संसदीय सीट के चुनाव पर होंगी.

स्थानीय सांसद का होना ज़रूरी

भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री, युवातुर्क नेता, बिहार विधान परिषद में सत्तारूढ़ दल के उपमुख्य सचेतक, रजनीश कुमार का कहना है कि बेगूसराय जिले का विकास जिले के बाहरी व्यक्तियों से संभव नहीं है. जिले के विकास का भार युवाओं के मजबूत कंधो पर डाला जाना चाहिए. जिले के मतदाता चाहते हैं कि स्थानीय नेता को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाए.

स्थानीय नेता के सांसद बनने पर जिलेवासी समस्याओं एवं विकास को लेकर सीधे उनसे मिलकर अपनी बातें रख पाएंगे और उसके निदान के लिए वे पैरवी करा सकेंगे. आमजनों की चाहत होती है कि स्थानीय प्रतिनिधि होने पर वे उनके सुख-दु:ख, विवाह, श्राद्ध प्राकृतिक विपदा आदि में आसानी से उपलब्ध हो सकें.

हर प्रकार से जनप्रतिनिधियों के साथ सीधा संवाद की उनकी अपेक्षा रहती है. स्थानीय जनप्रतिनिधि ऐसे कार्यों के लिए आसानी से सुलभ हो जाते हैं. यदि भाजपा स्थानीय प्रत्याशी नहीं देती है, तो दूसरे स्थानीय प्रत्याशी को जाति एवं पार्टी से ऊपर उठकर स्थानीय का लाभ मिल सकता है. भाजपा के वरिष्ठ नेता, पार्टी के प्रदेश मंत्री राम लखन सिंह का भी मानना है कि स्थानीय नेताओं की उपेक्षा करने पर पार्टीजनों में गलत संदेश जाएगा. मतदाता चाहते हैं कि जनप्रतिनिधि से उनका सीधा सम्पर्क एवं संवाद हो, जो स्थानीय जनप्रतिनिधि के साथ ही संभव है. स्थानीय नेताओं को प्रत्याशी बनाए जाने से एक ओर उनकी लालसा पूरी होगी.

वहीं दूसरी ओर, आम कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत होगा कि भविष्य में उन्हें पार्टी द्वारा सम्मान दिया जाएगा. भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मटिहानी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सर्वेश कुमार का कहना है कि वे पार्टी के अनुशासित एवं समर्पित सदस्य हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को विजयी बनाकर मोदी को पुन: प्रधान मंत्री बनाना है. पार्टी जिसे भी प्रत्याशी बनाएगी उसका समर्थन करूंगा.

नेताओं के हैं अलग-अलग मत

भाजपा के विभिन्न अनुशांगिक विंग से जुड़े जमीनी एवं समर्पित वरिष्ठ नेता ललन प्रसाद सिंह भी स्थानीय नेता/कार्यकर्ता को लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाए जाने की बात कहते हैं. उनका कहना है कि पार्टी के समर्पित, पुराने वैसे स्थानीय नेता जिन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए त्याग-तपस्या की है और पार्टी ने उन्हें किसी भी चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाया है, वैसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए. चुनाव के समय धनबल, बाहुबल वाले आते हैं और मात खा जाते हैं, स्थानीय हकदार को हवलदार बनाने पर ही भाजपा संगठन चमकेगा और सर्वांगीण विकास के पथ पर बेगूसराय की गाड़ी गतिशील होगी. स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज करने के बदले तजरीह देना चाहिए.

व्यक्तिवादी एवं तुष्टिकरण की नीति से पार्टी में असंतोष बढ़ेगा और बेगूसराय का विकास अवरूद्ध होगा. पार्टी के स्थानीय नेताओं/कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान की रक्षा हर हालत में होनी चाहिए. भाजपा नेता कपड़ा व्यवसायी सुनील कुमार सिंह कहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी स्थानीय या बाहरी कोई भी हो, लेकिन वह काबिल हो.

उसमें क्षेत्र के विकास की सोच होनी चाहिए. क्षेत्र के विकास के साथ ही जनता की खुशहाली के लिए योगदान देने वाला प्रत्याशी होना चाहिए. उसके पास संसदीय क्षेत्र के विकास की योजना होनी चाहिए और आमजनों की पहुंच उस तक आसानी से हो सके. अनुसूचित जाति के भाजपा नेता अनिल भारती (अनिल पासवान) का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी देना श्रेयस्कर होगा. जो पार्टी एवं क्षेत्र के विकास के प्रति समर्पित हो.

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