nitish-kumarकिसान मंच ने पूछा, स्वामीनाथन आयोग की स़िफारिशों का क्या हुआ

मध्य महाराष्ट्र के किसानों ने इस साल प्याज का रिकॅार्ड  उत्पादन किया, लेकिन हालत यह है कि किसानों को लागत मूल्य निकालना भी मुश्किल हो रहा है. नासिक में इस बार किसानों को एक रुपये किलो तक में अपना प्याज बेचना पड़ा है, जबकि इसकी लागत 15 रुपये प्रति किलो से अधिक थी. अब ऐसे में कुछ सवाल उठने जायज हैं. मसलन, राजनेताओं, सामाजिक संगठनों और मीडिया में कहीं आपने यह सुना कि महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों की क्या हालत है? क्या किसी भी दल के नेता की बाइट आपने इस मुद्दे पर सुनी? क्या कोई

एनजीओ या सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर आवाज उठाता नजर आया? स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश, जिसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि किसानों को लागत मूल्य पर अलग से 50 फीसदी का मुनाफा दिया जाएगा, किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए ई-मार्केट बनाया जाएगा, इन वादों का क्या हुआ? बकायदा मूल्य स्थिरीकरण फंड की स्थापना तो की गई, लेकिन क्या इसका फायदा महाराष्ट्र समेत देश के किसानों को मिल रहा है? क्या देश के आम किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (50 फीसदी अतिरिक्त लाभ की तो बात ही छोड़ दीजिए) तक मिल पा रहा है?

हिला आत्मविश्वावस समेटने की मायावी कोशिश 

हाल में मध्य महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों से मिल कर आए किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद सिंह बताते हैं कि 2014 तक 18 हजार टन प्याज का निर्यात हुआ था. इस वजह से यहां के किसानों को राहत मिली थी, लेकिन पिछले दो सालों से इनकी हालत खराब हो रही है. किसान मंच ने अकेले मध्य महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक किसानों की दुर्दशा को लेकर आवाज उठाई. उन क्षेत्रों का दौरा किया और प्याज उत्पादक किसानों की खराब हालत को जनता के सामने लाने की कोशिश की. विनोद सिंह बताते हैं कि अब तक केंद्रीय स्तर के किसी भी मंत्री या नेता ने इन क्षेत्रों में जाकर किसानों से बात करने की जहमत नहीं उठाई है.

हमने जब इस मुद्दे को उठाया तब जाकर मीडिया में भी इस संबंध में थोड़ी-बहुत खबरें आनी शुरू हुईं. विनोद सिंह सीधे यह सवाल उठाते हैं कि क्या मोदी सरकार किसानों के मरने के बाद स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी. दो साल बीत गए लेकिन अब तक इस आयोग की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, आखिर किसानों को उनका सही हक कब तक मिलेगा? वह कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा क्योंकि यूपीए और एनडीए, दोनों की आर्थिक व कृषि नीति एक ही है. दोनों के एजेंडे में किसान सिरे से गायब हैं. अगर, भाजपा के एजेंडे में किसान कहीं होता तो आज नासिक और मध्य महाराष्ट्र के किसानों की हालत इतनी खराब नहीं होती.

किसान मंच के महाराष्ट्र इकाई के नेता धनंजय धोर्डे पाटील ने किसान मंच के नेताओं राष्ट्रीय सचिव प्रमोद दल्वी, दिल्ली प्रभारी श्री चंद जैन, उत्तर प्रदेश से किसान मंच के नेता राजेश और किसान मंच यूपी अध्यक्ष शेखर दीक्षित के साथ मिल कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक ज्ञापन सौंपा था और उनसे इस मामले में आवाज उठाने और साथ देने का अनुरोध किया था. इसके बाद नीतीश कुमार ने बकायदा केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को पत्र लिख कर इस समस्या की जानकारी दी और ऐसे कदम उठाने की मांग कि जिससे प्याज उत्पादक किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सके. नीतीश कुमार ने अपने पत्र में लिखा है कि अकेले महाराष्ट्र देश का 28 फीसदी प्याज उगाता है, लेकिन किसानों को प्याज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है. किसान अपना ऋण चुकाने के लिए मजबूरी में कम दाम पर प्याज बेचने को मजबूर हैं. इस पत्र में यह सवाल भी उठाया गया है कि कृषि पदार्थों के मूल्य को स्थिर रखने के लिए केंद्र सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण फंड बनाने का दावा किया था, उसका क्या हुआ?

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एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सरकार ने प्याज को एसेंशियल कमोडिटी में तो शामिल किया लेकिन प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं किया. हालांकि, यह अलग बात है कि जिन उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होता है, उसकी खरीद कितनी होती है. फिर भी, बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्याज जब एसेंशियल कमोडिटी में शामिल हुआ तो इसका नतीजा यह हुआ कि किसान अब अधिक मात्रा में प्याज जमा कर नहीं रख सकते. नतीजतन, किसानों को अपना उत्पाद औने-पौने दाम पर बेचना पड़ रहा है. जाहिर है, प्याज उत्पादक किसानों की दुर्दशा पर अब फैसला तो केंद्र सरकार और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह को ही करना है. महाराष्ट्र समेत देश के तमाम प्याज उत्पादक किसान उनके फैसले के इंतजार में हैं.

क्या मोदी सरकार प्याजउत्पादक किसानों के मरने के बाद स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करेगी. दो साल बीत गए लेकिन अब तक इस आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है, आखिर किसानों को उनका सही हक कब तक मिलेगा?

विनोद सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान मंच. 

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