सत्ता गलियारे के उच्च पदस्थ अधिकारी बसपा काल के स्मारक घोटाले के बाद सपा काल के कुंभमेला घोटाले की फाइल के खुलने की भी संभावना जताते हैं. सपा सरकार के कार्यकाल में हुए कुंभ मेला घोटाले की भी सीबीआई से जांच कराने की मांग होती रही है. महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में भी कुंभ मेला घोटाले की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है. कुंभ मेले के कर्ताधर्ता तत्कालीन मंत्री आजम खान थे. सपा सरकार के कार्यकाल में 14 जनवरी 2013 से 10 मार्च 2013 तक इलाहाबाद के प्रयाग में महाकुंभ हुआ था. कुंभ मेले के लिए अखिलेश सरकार ने 1,152.20 करोड़ दिए थे. कुंभ मेले पर 1,017.37 करोड़ रुपए खर्च हुए. यानि, 1,34.83 करोड़ रुपए बच गए. अखिलेश सरकार ने इसमें से करीब हजार करोड़ (969.17 करोड़) रुपए का कोई हिसाब (उपयोग प्रमाण पत्र) ही नहीं दिया. अखिलेश सरकार ने कुंभ मेले के लिए मिली धनराशि में केंद्रांश और राज्यांश का घपला कर के भी करोड़ों रुपए इधर-उधर कर दिए.

मायावती काल के स्मारक घोटाले के बारे में भी कैग ने इसी तरह के सवाल उठाए थे. बसपा के स्मारक निर्माण की मूल योजना 943.73 करोड़ रुपए की थी, जबकि 4558.01 करोड़ रुपए में योजना पूरी हुई. योजना में 3614.28 करोड़ रुपए की भीषण बढ़त हुई. तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा बार-बार डिजाइन में बदलाव कराने और पक्के निर्माण को बार-बार तोड़े जाने के कारण भी खर्च काफी बढ़ा. कैग ने इस पर भी सवाल उठाया था कि स्मारक स्थल पर लगाए गए पेड़ सामान्य से काफी अधिक दर पर खरीदे गए थे.

इसके अलावा पर्यावरण नियमों के विपरीत 44.23 प्रतिशत भू-भाग पर पत्थर का काम किया गया था. दलितों और कमजोर वर्ग के प्रति कागजी समर्पण दिखाने वाली मायावती ने इन स्मारकों के शिलान्यास पर ही 4.25 करोड़ रुपए फूंक डाले थे. स्मारक घोटाले में अहम भूमिका निभाने वाली सरकारी निर्माण एजेंसी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम पर मायावती सरकार की इतनी कृपादृष्टि थी कि 4558.01 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति की औपचारिकता के पहले ही निर्माण निगम को 98.61 प्रतिशत धन आवंटित कर दिया गया था.

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