संजय सोनी : कोसी प्रमंडल के सहरसा, मधेपुरा व सुपौल जिले के एक दर्जन से अधिक गौशालाओं की सैकड़ों एकड़ जमीन अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गई है. जिस गौमाता की रक्षा के नाम पर देश के विभिन्न प्रांतों में बवाल मचा है, वही कोसी की सड़कों पर लावारिस हालत में चारा चरने को मजबूर है. स्थानीय नेताओं व प्रशासन को गौशाला की सम्पत्तियों की सुरक्षा की परवाह नहीं है. गौशाला की जमीन अतिक्रमणकारियों की आमदनी का एक आसान जरिया बन गया है.

कोसी प्रमंडल के सहरसा मुख्यालय व कहरा प्रखंड के बरियाही में बनगांव गौशाला, सोनवर्षाराज, सिमरी बख्तियारपुर के सरडीहा, कोपरिया में संचालित है. इसी तरह मधेपुरा स्थित गौशाला, मुरलीगंज गौशाला व पुरैनी गौशाला के अलावा सुपौल जिले के सुपौल, लौकही व निर्मली में प्रमुख रूप से गौशाला का संचालन हो रहा है. इन सभी गौशालाओं की हालत कमोबेश एक जैसी ही है. इनके सैकड़ों एकड़ जमीन से गौचारा का प्रबंध भी मुश्किल से हो रहा है, वहीं माफिया व गौशाला प्रबंधक मोटी कमाई कर रहे हैं. इनमें सबसे खराब स्थिति बनगांव गौशाला की है. बनगांव गौशाला पर हमेशा राजनीतिक दल से जुड़े लोगों का ही कब्जा रहा है. बनगांव गौशाला की सम्पत्ति कौड़ी के भाव किराये पर दे दी गई है.

गौशाला के लाखों की आमदनी सचिव से लेकर अध्यक्षीय कार्यालय के बाबुओं तक में बंट जाती है. इसके आजीवन व सक्रिय सदस्य भी वैसे ही लोग हैं, जो सिर्फ गौशाला समिति के चुनाव व बैठकों में हाथ उठाकर हर गलत काम को भी उचित ठहराते रहे हैं. गौशाला के सचिव पद पर 70 के दशक तक स्व. मनीलाल तुलस्यिान के बाद क्रमशः स्व. रामदेव साह, स्व. सत्यनारायण प्रसाद गुप्ता व स्व. नरोत्तम तिवारी आसीन रहे. गौशाला के विकास पर इस क्षेत्र के विधायक व सांसद ने भी कभी ध्यान नहीं दिया है. इस करोड़ों की सार्वजनिक सम्पत्ति की लूट पर सरकार व प्रशासन किसी का भी ध्यान नहीं है.   इलाके में गौदान करने वालों की कोई कमी नहीं है. ऐसी गायों को गौशाला संचालक या तो बेच दे रहे हैं या फिर मवेशी हाट के माध्यम से तस्करी के जरिए बांग्लादेश भेज दिए जाते हैं.

चांदनी चौक स्थित बनगांव गौशाला में वैध-अवैध तरीके से 25 भाड़ेदार हैं. इनमें बड़ा ट्रांसपोर्टर से लेकर टेंट व शामियाना समेत कई कारोबारी शामिल हैं. इन सभी भाड़ेदारों से मात्र 50 रुपए से लेकर 200 रुपए तक प्रतिमाह किराया लिया जाता है. जबकि बाजार का न्यूनतम किराया भी दो हजार रुपए से अधिक है. इसके बावजूद इन 25 किरायेदारों का 3 लाख 39 हजार 106 रुपए बकाया है. सबसे खास बात तो यह है कि गौशाला परिसर में अब एक इंच जगह भी खाली नहीं रह गया है, जहां गौ पालन हो सके. गौशाला के जर्जर कमरों पर इन भाड़ेदारों का कब्जा है. वैध भाड़ेदार भी निर्धारित वर्गफीट से अधिक भूमि व भवन पर कब्जा जमाए हैं. इन लोगों के पास किराये का कोई एकरारनामा भी नहीं है.

गौशाला की करोड़ों की सार्वजनिक सम्पत्ति को हथियाने के लिए दबंग यहां के कमरों व भूमि पर कब्जा बनाए हैं.  बनगांव थाना क्षेत्र के बरियाही बनगांव गौशाला, बरियाही एवं सहरसा के चांदनी चौक स्थित बनगांव गौशाला की स्थापना बनगांव निवासी पं. अजब लाल खां ने 1921 में  किया था. लोेगों का कहना है कि उस दौरान गौशाला में सैकड़ों गाएं थीं. चूंकि बनगांव, पड़री, चैनपुर, नरियार, बलहा-गढिया, बरियाही सहित पूरे जिले के गांवों में गौ-दान की परम्परा थी. लेकिन जब से गौशाला के लिए सचिव का चुनाव होने लगा, तब से गायों की संख्या घटती गई. आज स्थिति यह है कि गौशाला में मात्र पांच गाएं ही बची हैं, जबकि बनगांव गौशाला, बरियाही के पास अपना 10 बीघा 18 कट्ठा जमीन है. इसमें दो बीघा जमीन पर सुधा डेयरी का दूध शीतलन केन्द्र व मवेशी अस्पताल का संचालन हो रहा है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here