दीनबंधु कबीर : इस्तीफा देने वालों में शामिल डॉ. अशोक वाजपेयी मुलायम के पुराने वफादार साथियों में रहे हैं. मुलायम सरकार में वे शिक्षा मंत्री थे. लेकिन अखिलेश ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी. डॉ. वाजपेयी समाजवादी परिवार में चले विवाद में शिवपाल के साथ खड़े रहे. अखिलेश को वाजपेयी की वफादारी नहीं बल्कि नरेश अग्रवाल जैसे नेताओं की अवसरवादिता पसंद थी. वाजपेयी और अग्रवाल दोनों हरदोई के हैं, लेकिन अखिलेश को चतुर नरेश पसंद आए. इस्तीफा देने के बाद डॉ. अशोक वाजपेयी ने कहा, ‘नेताजी मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी. लेकिन पार्टी में उनकी ही लगातार उपेक्षा की जा रही थी.

ऐसे माहौल में पार्टी में बने रहने का कोई औचित्य नहीं था. उनकी उपेक्षा से मैं बहुत आहत हुआ हूं. अगर ऐसी स्थिति नहीं होती तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को ऐसी शर्मनाक हार का सामना नहीं करना पड़ता.’

अशोक वाजपेयी जैसों अपनों की उपेक्षा से मुलायम सिंह भी बहुत आहत हैं और इनका इस्तीफा समाजवादी पार्टी के लिए सीरियल ब्लास्ट की तरह था. इन्हीं सीरियल धमाकों में मुलायम सिंह का पलट वार भी शामिल हो गया, जब उन्होंने लोहिया ट्रस्ट से अखिलेश के सारे समर्थकों को निकाल बाहर किया. मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई लोहिया ट्रस्ट की बैठक में मुलायम ने अखिलेश यादव के करीबी चार लोगों रामगोविंद चौधरी, अहमद हसन, उषा वर्मा और अशोक शाक्य को लोहिया ट्रस्ट से हटाने का फैसला सुनाया.

बैठक में शिवपाल सिंह यादव, भगवती सिंह के साथ समाजवादी पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. रामगोविंद चौधरी विधानसभा में नेता विरोधी दल हैं और अहमद हसन विधान परिषद सदस्य. ट्रस्ट की बैठक में अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव नहीं आए, जबकि उन्हें बुलाया गया था. मुलायम सिंह यादव लोहिया ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव ट्रस्ट में सदस्य हैं.

 

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