crime-in-indiaदेश में मानव तस्करी का बाज़ार गर्म है. इस बात की पुष्टि सरकारी रिपोर्टें भी कर रही हैं और अख़बारों में लगातार छपने वाली खबरें भी. दरअसल मानव तस्करों के निशाने पर  लड़कियां, नौजवान औरतें और कम उम्र के बच्चे हैं. हाल में फरीदाबाद (हरियाणा) से 24 घंटे के भीतर 8 लड़कियों को   अगवाकर्ताओं से छुड़ाया गया. उन लड़कियों की आयु 15-17 वर्ष के बीच थी. अख़बारों में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उन सभी पीड़ितों को अच्छी नौकरी का झांसा देकर झारखंड के गोड्डा जिले से अगवा कर यहां लाया गया था. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि अधिकतर पीड़ितों के साथ जोर-ज़बरदस्ती और मारपीट हुई थी. एक दूसरी घटना कुरुक्षेत्र जिले की है जहां पुलिस ने एक यतीम बच्ची को वैश्यावृत्ति में फंसाने के इल्जाम में एक महिला समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया.

दरअसल मानव तस्करी की के तार पूरे देश में फैले हुए हैं. पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि मानव तस्करी देश में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला अपराध है. एनसीआरबी के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक पूरे वर्ष 2016 में देश में मानव तस्करी के 8132 मामले दर्ज किए गए, जबकि पिछले वर्ष ऐसे कुल 6877 मामले दर्ज किए गए थे. इसमें चौंकाने वाले तथ्य यह हैं कि पुरुषों के मुकाबले में महिला पीड़ितों की संख्या अधिक है. वर्ष 2016 में पूरे देश में 5058 पुरुषों के मुकाबले में 10150 महिलाओं को मानव तस्करों का शिकार होना पड़ा. इनमें 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के 8842, जबकि 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 15099 पीड़ित शामिल थे.

वर्ष 2016 में पूरे देश से 182 विदेशियों समेत 23,117 पीड़ितों को मानव तस्करों के चंगुल से आज़ाद कराया गया. छुड़ाए गए पीड़ितों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. कुल 10347 पुरुषों के मुकाबले में 12770 महिलाओं को तस्करों के चंगुल से आजाद कराया गया. जहां तक मानव तस्करी की राज्यवार वारदातों का सवाल है तो इस मामले में इस वर्ष पश्चिम बंगाल ने असम को भी पीछे छोड़ दिया है. पश्चिम बंगाल की स्थिति इतनी ख़राब है कि देश के कुल मानव तस्करी के 44 प्रतिशत मामले इसी राज्य में दर्ज हुए. उसके बाद 17 प्रतिशत वारदातों के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर और फिर गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान आता है. बंगाल में मानव तस्करी के 3579 मामले दर्ज किये गए जबकि राजस्थान में 1422, गुजरात में 548 और महाराष्ट्र में 517 मामले दर्ज किये गए.

मानव तस्करी की सबसे बड़ी वजह गरीबी बताई जाती है. आंकड़े बताते हैं कि मानव तस्करी के सबसे अधिक शिकार सबसे ग़रीब लोग होते हैं. एनसीआरबी के मुताबिक, मानव तस्करी के कई आयाम हैं, इनमे जबरन  मज़दूरी, वैश्यावृत्ति, यौन शोषण, घरेलू गुलामी, जबरन विवाह आदि शामिल हैं. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में जबरन मजदूरी के लिए 10,509, वैश्यावृत्ति के लिए 4,941, अन्य प्रकार के यौन शोषण के लिए 2,590, घरेलू गुलामी के लिए 412, जबरन विवाह के लिए 349, छोटे-मोटे अपराध के लिए 212, चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए 162, भीख मांगने के लिए 71, नशीली दवाओं के व्यापार के लिए 8, मानव अंग के लिए 2 पीड़ितों की तस्करी की गई.

जहां तक इन मामलों को अंजाम तक पहुंचाने और दोषियों को सजा दिलवाने की बात है, तो उसमें भी कोई उत्साह जनक तस्वीर उभर कर सामने नहीं आती. कुल 8,132 मामलों में से केवल 2,403 मामलों में पुलिस ने चार्ज शीट दाखिल किया, यानी 50 प्रतिशत से भी कम मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई. इनमें से 163 मामलों में सजाएं हुईं, 424 में कोई सजा नहीं हुई और 587 मामलों में अदालत की सुनवाई पूरी हो गई है. यानी केवल 27 प्रतिशत मामले अदालत तक पहुंच सके हैं. वही हाल गिरफ्तार आरोपियों   का भी है. देश में कुल 10,815 लोगों को मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्‌तार किया गया, उनमें से 7,292 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि 159 को सजा हुई आर 753 बाइज्ज़त बरी हो गए.

ज़ाहिर है कि एनसीआरबी के आंकड़े पुलिस द्वारा दर्ज मामलों की बुनियाद पर तैयार किये गए हैं. ऐसे और न जाने कितने मामले हैं जिनकी रिपोर्टिंग तक नहीं हुई है. इनमें सबसे गंभीर अपराध कम उम्र महिलाओं से सम्बंधित हैं, जिन्हें न केवल देह व्यापार में धकेला जा रहा है बल्कि उनका शारीरिक शोषण भी किया जा रहा है. कई अन्य मामलों में जबरन शादियां कराई और धर्म परिवर्तन कराये जा रहे हैं. ये अपराध ऐसी वारदातों के खिलाफ कानून की मौजूदगी के बावजूद पूरे देश में फल-फूल रहे हैं. इस व्यापार की सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसमें नाबालिग लड़के-लड़कियों की संख्या सबसे अधिक है.

गैर सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम आदि राज्यों से छोटे बच्चों को उनके गरीब मां बाप को पैसे देकर या दिल्ली जैसे शहरों में बेहतर नौकरी का लालच देकर तस्करों द्वारा उठाया जाता है और उन्हें हरियाणा, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में लाकर बेच दिया जाता है. फिलहाल सबसे भयानक स्थिति पश्चिम बंगाल की है जहां मानव तस्करी के सबसे अधिक मामले दर्ज किये जा रहे हैं. खास तौर पर लड़कियों की तस्करी के अधिकतर मामले भी इसी राज्य से सामने आ रहे हैं, इसमें 24 परगना, मुर्शिदाबाद, नदिया और मिदनापुर जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं. एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल से जवान मुस्लिम लड़कियों को हरियाणा लाकर जबरन शादी के लिए 50,000 से 100,000 रुपए में बेचा जा रहा है. इस तरह के मामले अखबारों में अक्सर छाए रहते हैं. एनसीआरबी के आंकड़े भी इस भयानक और अमानवीय अपराध रूपी व्यापार की पुष्टि कर रहे हैं. इसके बावजूद इस ओर सरकारें ध्यान नहीं दे रही हैं.

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