emergency militry deals, war wastage reserve, central governmentनई दिल्ली, (निरंजन मिश्रा) : भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को और भी चाक-चौबंद बनाने के लिए सरकार ने लगभग 20 हजार करोड़ रुपए के आपात रक्षा सौदे किए हैं. पिछले दो-तीन महीनों में किए गए ये सौदे सैन्य साजोसमान और गोला-बारूद की खरीद से संबंधित हैं. खबरों के अनुसार, इन सौदों को लक्ष्य है कि सुरक्षा बल कम से कम 10 दिन तक बिना हथियारों की कमी की चिंता करते हुए जंग लड़ सकें. ये सौदे रूस, फ्रांस और इस्राइल जैसे देशों की कंपनियों के साथ किए गए हैं.

देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सेना के पास 30 दिन का गंभीर लड़ाई का और 30 दिन की सामान्य लड़ाई का वॉर वेस्टेज रिजर्व होना चाहिए. लेकिन पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि सेना के पास रिजर्व गोला बारूद नहीं है. कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस कमी की ओर ध्यान दिलाया था. जिसके काद ये रक्षा सौदे हुए हैं.

खबरों के अनुसार इन सौदों में, सुखोई-30एमकेआई, मिराज 2000 और मिग29 सहित अन्य लड़ाकू व ट्रांसपोर्ट विमानों के लिए 9200 करोड़ रुपए के 43 सौदे शामिल हैं. केवल रूसी कंपनियों से ही 5800 करोड़ रुपए के 10 सौदे हुए हैं, जिनमें टैंक टी-90 और टी-72 के लिए इंजन, 125 एमएम APFSDS गोला-बारूद की खरीद होगी. साथ ही एंटी टैंक मिसाइल और स्मर्च रॉकेट भी खरीदे जा रहे हैं. हालांकि इन सौदों के बाद भी सुरक्षाबलों के पास युद्ध रिजर्व जरुरत के हिसाब से एक तिहाई ही होगा.

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