ऐसे में पेटीएम पर भरोसा कैसे किया जा सकता है? मामला सीबीआई के पास है, लेकिन सवाल ये है कि सरकार ने ऐसी कंपनी के मालिक को किस भरोसे पर बैंकिग लाइसेंस दे दिया? आए दिन पेटीएम से जुड़ी खतरनाक खबरें सामने आ रही हैं. एक मामले में एक बैग बेचने वाले दुकानदार ने लोगों से जी भरके पेटीएम से भुगतान तो लिया, लेकिन एक छोटी सी चूक से उसकी सारी कमाई हवा हो गई. पेटीएम से उसका सारा पैसा गायब हो गया. हैरानी की बात ये है कि पेटीएम वालों को भी ये पता नहीं है कि उसका पैसा कहां गया? इस दुकानदार के लेन-देन का पूरा रिकॉर्ड भी गायब है.

ये गरीब दुकानदार पेटीएम के रोज चक्कर लगा रहा है, लेकिन कंपनी की तरफ से हर बार ये कहा जाता है कि शिकायत ई-मेल के जरिए करो. अब ये बेचारा दुकानदार कहां से और कैसे ईमेल करे? क्या अगर वो ईमेल नहीं करेगा तो उसका सारा पैसा डूब जाएगा? एक दुकानदार ने सामान बेचे, लेकिन पैसे उसके अकाउंट में जमा होने के बजाय कहीं और चले गए. इसी तरह कई खबरें आ रही हैं कि बिना कुछ किए लोगों के पैसे खाली हो जा रहे हैं. इसी तरह सूरत शहर में तीन लोग ऑनलाइन ठगी के शिकार हुए और उनका सारा पैसा डूब गया. उनके पैसे की कोई खोज-खबर नहीं है.

इन मामले से जुड़ी कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. एक और खबर आई कि मध्यप्रदेश पुलिस ने पेटीएम समेत कई अन्य ई-वॉलेट पोर्टल्स के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है. मध्यप्रदेश में अब तक धोखाधड़ी के 300 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. ऐसी खबरें रोज सामने आ रही हैं, जिसमें गरीब व छोटे दुकानदारों के साथ धोखाधड़ी हो रही है.

इनको तो ये भी नहीं पता है कि वो कहां जाएं. हैरानी की बात ये है कि देश में सिर्फ चार साइबर थाने हैं और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में अचानक बाढ़ सी आ गई है. देश का कानून नए जमाने के ऑनलाइन अपराध के मामलों में सजा दिलाने के लिए काफी नहीं है.

इसका मतलब यही है कि हम ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि लोगों के पैसे की गारंटी लेने वाला कोई नहीं है. सामान्य स्थिति में हर रुपये की गारंटी भारत सरकार की होती है. लेकिन जब हम कैशलेस हो जाएंगे, तो लोगों के पैसे की गारंटी कौन देगा? यह सवाल गंभीर इसलिए है, क्योंकि इससे देश में आत्महत्या का एक नया दौर शुरू होगा.

किसी व्यक्ति की जीवन की कमाई पलक झपकते गायब हो जाए और ये कंपनियां ये कह दें कि उसे उसके पैसे की कोई जानकारी नहीं है तो ऐसे भुक्तभोगी लोगों के सामने क्या विकल्प बचेगा? क्या मोदी सरकार जो इन कंपनियों के प्रचार में लिप्त है, वो लोगों के आत्महत्या की जिम्मेदारी लेगी. हकीकत तो ये है कि ऐसी स्थिति में सरकार भी कुछ नहीं कर पाएगी क्योंकि पैसे के भुगतान पर पूरा नियंत्रण चीन की एक कंपनी का होगा. और चीन की कंपनी को भारत में पैर जमाने का ये मौका पेटीएम ने दिया है.

अलीबाबा चीन की कंपनी है, जो हिंदुस्तान में पेटीएम नामक कंपनी के जरिए मोबाइल-पेमेंट सर्विस में घुस चुकी है. अलीबाबा और पेटीएम के बीच 2015 में समझौता हुआ.

अलीबाबा की तुलना में पेटीएम एक छोटी कंपनी है. चीनी मीडिया के मुताबिक, अलीबाबा की पेटीएम में 40 फीसदी हिस्सेदारी है. अब सवाल ये है कि पेटीएम अधिकारी और मीडिया अलीबाबा के निवेश को सिर्फ 25 फीसदी ही क्यों बता रहा है? इस झूठ का प्रचार क्यों किया जा रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि पेटीएम ने हर अखबार और टीवी चैनलों पर अपने विज्ञापन देकर सच पर पर्दा डाल दिया है? पेटीएम और अलीबाबा का ये रिश्ता सिर्फ पैसे का नहीं है.

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