chattisgarhछत्तीसगढ़ की राजनीति इन दिनों एक भूचाल के दौर से गुजर रही है. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और भाजपा पर लगातार हमलावर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल खुद व्यक्तिगत हमलों से घिर गए हैं. उनपर हो रहा ये हमला दो तरफा है. एक तरफ विरोधी हैं, तो दूसरी तरफ समाज का वो गरीब और पिछड़ा तबका है, जिसकी आवाज उठाने का दावा कांग्रेस करती है.

दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से भूपेश के खिलाफ दो शिकायतों की चर्चा होती रही है. भिलाई की मानसरोवर परियोजना में ईडब्ल्यूएस के 6 भूखंडों को जोड़कर बने उनके घर पर विरोधी सवाल उठाते रहे हैं. एक दूसरा मामला है, भूमिहीनों को आवंटित जमीन पर कब्जे का. दुर्ग की पाटन तहसील के भुपेश के पुस्तैनी गांव कुरुदडीह में भूमिहीनों को सरकारी की तरफ से जमीन आवंटित की गई थी.

विरोधी ये आरोप लगाते हैं कि उन जमीनों पर भुपेश बघेल ने कब्जा कर रखा है. ईडब्ल्यूएस के भूखंडों को जोड़कर घर बनाए जाने के मामले में शिकायत दर्ज कराई गई थी. मामले की औपचारिक जांच के बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने भूखंडों को जोड़कर बड़ा मकान बनाने को गैरकानूनी मानते हुए एफआईआर की सिफारिश कर दी.

इसके बाद आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा में भूपेश की मां और पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज हो गया. भूमिहीनों की जमीन पर कब्जा करने के मामले में राजस्व विभाग ने जांच के बाद जमीन को सरकारी बता दिया. दोनों मामलों में भूपेश खुंदक की लड़ाई पर उतर आए. वे अपनी मां और पत्नी को साथ लेकर ईओडब्ल्यू ऑफिस पहुंच गए और तीन घंटे तक अफसरों को बयान लेने की चुनौती देते रहे. हालांकि किसी ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की.

वे लौट आए, लेकिन सरकार को संदेश दे दिया. उसके अगले दिन उन्होंने जमीन के मुद्दे पर दांव खेला. उन्होंने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से मिलने का समय मांगा. सीएम ने उन्हें समय दिया, दोनों की मुलाकात भी हुई. इधर रमण सिंह अपने बयानों से उन्हें आम फरियादियों की तरह दिखाने की कोशिश करते रहे. पिछले 14 वर्षों में यह भूपेश और रमन सिंह की पहली औपचारिक मुलाकात थी. इस बार भूपेश ने गेंद सरकार के पाले में डाल दिया. मुख्यमंत्री के सामने उन्होंने भी दो टूक कह दिया कि वो सरकारी जमीन है और किसान उसका पट्टा मांग रहे हैं, सरकार उन्हें पट्टा दे दे.

भूपेश बघेल ने ये भी कहा कि अगर वहां उनकी जमीन है, तो उसे भी किसानों को दे दिया जाए. हालांकि सरकार इस प्रस्ताव को मानने के लिए तैयार नहीं है. राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने उसी समय स्पष्ट कर दिया कि सरकार पहले विवादित जमीन को अपने कब्जे में लेगी उसके बाद तय होगा कि उसका क्या किया जाना है. राजस्व अधिकारियों का कहना है कि मौजूदा नियमों के तहत वो जमीन किसानों को नहीं दी जा सकती है.

क्या है कुरुदडीह ज़मीन विवाद

दुर्ग जिले की पाटन तहसील कुरुदडीह गांव की 77 एकड़ जमीन पर बघेल परिवार का कब्जा है. इसमें करीब 55 एकड़ कास्त भूमि है. आरोप है कि ये जमीन बघेल परिवार ने अपनी मालगुजारी जमीन में शामिल कर ली है. भूपेश बघेल स्थानीय विधायक होने के साथ ही पीसीसी चीफ भी हैं. किसानों का कहना है कि बघेल के विधायक बनने के बाद उनके परिवार ने हमारी जमीनों पर कब्जा कर लिया. वहीं, भूपेश बघेल इन आरोपों को गलत बताते हैं. उनका कहना है कि मेरे कब्जे में कोई जमीन नहीं है.

विवाद या सियासत

कुरुदडीह के किसानों की आड़ में भाजपा, कांग्रेस और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी कांग्रेस) आपस में सियासी शह-मात का खेल खेल रही हैं. एक तरफ, किसानों की समस्या हल करने के नाम पर भूपेश बघेल ने सीधे मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलकर उन्हें जमीन देने की मांग कर दी. वहीं दूसरी तरफ, जोगी कांग्रेस ने भूपेश से पहले ही किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से मिलवा दिया. बघेल से मुलाकात के दौरान सीएम ने कहा कि जितनी भी घास जमीन है, उस पर तार का घेराव किया जाएगा.

परीक्षण कराने व राजस्व विभाग से रिपोर्ट मिलने के बाद इस पर निर्णय होगा. 19 मई को तहसील दफ्तर में पेशी है. पहले तो उसके कब्जे का निराकरण होगा. बात यहीं खत्म नहीं हुई. मुख्यमंत्री और बघेल की मुलाकात के बाद राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि कुरुदडीह की जमीन पर हुए बेजा कब्जे को हटाकर सरकार जमीन को अपने कब्जे में लेगी. गौर करने वाली बात ये है कि रमण सिंह और भुपेश बघेल की मुलाकात में वे भी मौजूद थे.

मुलाकात के बारे में बताते हुए पाण्डेय ने कहा, बघेल ने सीएम से कहा कि सरकार उनके गांव कुरुदडीह की शासकीय जमीन का पट्टा वहां के किसानों को दे दे. इस मामले में सरकार पर राजनीति करने के भूपेश के आरोपों पर पाण्डेय का कहना था कि इसमें राजनीति वाली कोई बात नहीं है. यदि पट्टा दिया जाने लायक रहता, तो 2003 के पहले ही दे दिया गया होता. ये भूपेश बघेल के गांव का मामला है. सरकार के पास जब जमीन आ जाएगी, तब इस पर विचार किया जाएगा कि क्या करना है.

ईओडब्लू के एडीजी पर बघेल का पलटवार

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के खिलाफ ईओडब्लू में मामला दर्ज होते ही बघेल ने जमीन आवंटन के राजनीतिक विवाद में ईओडब्लू के एडीजी मुकेश गुप्ता को भी घसीट लिया. भूपेश ने गुप्ता पर आरोप लगाया कि उन्होंने स्पेशल एरिया डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (साडा) के सदस्य के तौर पर प्लॉट लेने में गड़बड़ी की है.

उन्होंने कहा कि साडा के भंग होने के बाद गुप्ता ने वहां सस्ते दर पर प्लॉट की रजिस्ट्री कराई और बाद में उसे 42 लाख रुपए में बेच दिया. गुप्त पर उनका ये आरोप पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि गुप्ता ने ईओडब्लू में इसी तरह के जमीन आवंटन के 22 साल पुराने मामले में भूपेश के खिलाफ केस दर्ज किया है.

दिल्ली तक पहुंची ज़मीन विवाद की आंच

कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी से फ्री हैंड मिलने के बाद भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस को अपने अनुसार मिशन-2018 के लिए एकजुट करने और भाजपा से मुकाबले के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं. इस बीच विरोधियों ने इस जमीन विवाद के जरिए उन्हें सियासी तौर पर घेरने की कोशिश शुरू कर दी है. इस बहाने पार्टी के अंदर के कुछ लोगों को भी मौका मिल गया और उन्होंने दिल्ली दरबार में भूपेश की शिकायत कर दी. लिहाजा, भूपेश के लिए दिल्ली से बुलावा आ गया.

इसे कुछ नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की कवायद के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया. हालांकि, दिल्ली दरबार की तरफ से तत्काल कोई फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन भविष्य में भी कांग्रेस आलाकमान का भरोसा भूपेश पर बना रहता है या नहीं, ये देखने वाली बात होगी.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here