brahma kumarisहाल ही में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का 80वां वार्षिकोत्सव माउंट आबू शहर में मनाया गया. देश-विदेश से आए करीब 10 हजार प्रतिनिधियों के बीच चौथी दुनिया के प्रधान संपादक श्री संतोष भारतीय ने एक प्रस्ताव दिया, जिसका समर्थन सभी प्रतिनिधियों ने हाथ उठा कर किया.

इस प्रस्ताव में प्रधानमंत्री से विनम्र आग्रह किया गया है कि माउंट आबू शहर को देश और दुनिया का पहला आध्यात्मिक शहर घोषित किया जाए और ब्रह्मा बाबा की प्रेरणानुसार इसे प्राकृतिक और नैसर्गिक तौर पर विकसित किया जाए. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यहां ऐसा वातावरण बने ताकि लोग आध्यात्मिक तौर पर स्वयं का विकास कर देश में नई ऊर्जा के निर्माण में सहयोग दे सके.

प्रस्ताव में यह साफ किया गया है कि माउंट आबू को आध्यात्मिक शहर बनाने का अर्थ धार्मिक कतई नहीं है. आध्यात्मिक और धार्मिक के बीच उतना ही अंतर है जितना जमीन और आसमान के बीच का अंतर है. प्रस्ताव में प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि इस शहर को जीव हिंसा और शराब से मुक्त क्षेत्र बना कर वैश्विक और आध्यात्मिक पर्यटक शहर के रूप में विकसित करने की अनुमति दी जाए और इसके विकास के लिए सभी आधारभूत ढांचा तैयार करने की स्वीकृति दें. साथ ही, दिलवाड़ा के जैन मंदिर को दुनिया के आध्यात्मिक नक्शे पर महत्व देते हुए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी वचन दिया गया.

इस प्रस्ताव में माउंट आबू को शिक्षा के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने का वचन भी दिया गया. ये सभी कार्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय स्वयं तथा सहयोगियों के साथ मिल कर करना चाहता है. उदाहरण के लिए माउंट आबू का पीस पार्कहै. इस आश्रम से लगा एक पार्क है, जिसे पीस पार्कके नाम से जाना जाता है. इस पार्कका निर्माण प्रजापिता ब्रह्माकुमारी आश्रम की तरफ से किया गया है.

मार्च के महीने में एक तरफ जहां पूरे माउंट आबू शहर में गर्म हवाएं चल रही थीं, वहीं इस पार्कमें शीतल बयार बह रही थी. इसकी वजह ये है कि आश्रम की तरफ से इस पार्कको वनाच्छादित कर दिया गया है. इस पार्कमें पहुंचते ही किसी का भी तन-मन शीतल हो जाता है, जबकि ठीक इस पार्क से बाहर की आबोहवा इतनी गर्म है कि आमतौर पर दिन में चलना भी मुश्किल है.

आश्रम इसी पार्क की तर्ज पर पूरे शहर का विकास करना चाहता है. आश्रम चाहता है कि पूरा माउंट आबू शहर इस पीस पार्क की तरह ही शीतल और शांत बन जाए. आश्रम इसके लिए अपनी तरफ से प्रयास करना चाहता है, बशर्ते इसके लिए आवश्यक सरकारी-कानूनी स्वीकृति मिल जाए. प्रस्ताव के अंत में यह विश्वास व्यक्त किया गया कि प्रधानमंत्री जी इस प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति व सहमति दे कर इस प्रस्ताव को सफल बनाने में योगदान करेंगे.

इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा श्री संतोष भारतीय का सम्मान भी किया गया. इस अवसर पर पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरन बेदी, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले समेत कई गणमान्य अतिथि भी मौजूद थे.

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज

ब्रहमाकुमारीज़ विश्व भर में फैला हुआ एक आध्यात्मिक संस्थान है. यह व्यक्तिगत परिवर्तन और विश्व नवनिर्माण के लिए समर्पित है. सन 1937 में स्थापना के बाद ब्रह्माकुमारीज़ का इस समय 10 देशों में विस्तार हो चुका है. ब्रह्माकुमारीज़ का अन्तर्राष्ट्रीय मुख्यालय भारत के माउण्ट आबू में स्थित है. ब्रह्माकुमारीज़ महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली विश्व की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है.

इस संस्था के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने माताओं और बहनों को शुरू से ही आगे रखने का फैसला लिया और इसी के कारण विश्व की अन्य सभी आध्यात्मिक और धार्मिक संस्थानों के बीच में ब्रह्माकुमारीज़ अपना अलग अस्तित्व बनाए हुए है. पिछले 80 वर्षों से इनके नेतृत्व ने लगातार हिम्मत, क्षमा करने की क्षमता और एकता के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता को साबित किया है.

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय

यह विश्वविद्यालय आज भारत और दुनिया के करीब 133 देशों में 8000 से भी अधिक सेवा केन्द्रों के जरिए 9 लाख से अधिक छात्रों को नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा दे रहा है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1936 में हुई थी. माउंट आबू स्थित इस विश्वविद्यालय के मुख्यालय को मधुबन (पांडव भवन) कहा जाता है. 1950 में यह कराची से माउंट आबू स्थानांतरित हुआ था.

ओम शांति भवन

1983 में निर्मित ओम शांति भवन में ही मुख्यालय परिसर का मुख्य हॉल, यूनिवर्सल पीस हॉल है. इस हॉल में 5000 लोग एक साथ बैठ सकते हैं. यहां पर 16 भाषाओं में अनुवाद की सुविधा भी उपलब्ध है. प्रतिदिन 8000 से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक इसे देखने आते हैं.

पीस पार्क

पीस पार्क प्राकृतिक वातावरण और मनोरंजन का अद्भुत संगम है. यह प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय के मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित है. पीस पार्क में प्राकृतिक वातावरण के साथ ही आध्यात्मिक दर्शन का लाभ भी पर्यटकों को मिलता है. 12 एकड क्षेत्र में फैला हुआ यह पार्क कलात्मक दृष्टि से भी परिपूर्ण है. पर्यावरणीय दृष्टि से भी यह पार्क साबित करता है कि भीषण गर्मी वाले इलाके में भी कैसे शांति और शीतलता लाई जा सकती है.

रसोईघर

प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज विश्वविद्यालय का सबसे विशाल परिसर शांति वन है. यहां पर भोलेनाथ का विशाल भंडारा है, जहां एक साथ 20 हजार से अधिक लोगों का खाना तैयार किया जाता है. यहां पर विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र है, जिससे भोजन भी बनाया जाता है. यहां के तीन मंजिला भवन में एक साथ 5 हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था है. यहां मिनरल वाटर की बड़ी-बड़ी मशीनें लगी हुई हैं.

जे डब्लू एम ग्लोबल अस्पताल एवं शोध संस्थान

इसकी स्थापना 1990 में हुई थी. अस्पताल का प्रबंधन एवं संचालन एक धर्मार्थ न्यास द्वारा किया जाता है. यहां चिकित्सा के 16 विभाग हैं. हरेक तरह की चिकित्सा पद्धति यहां पर अपनाई जाती है. अंतरंग रोगी विभाग में 70 बेड है. 4 आवासीय चिकित्सक 24 घंटे आपातकालीन सेवा में रहते हैं. यहां आईसीयू और इमर्जेंसी वार्ड की भी व्यवस्था है.

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