जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए चार महीने से अधिक समय हो चुके हैं. इस फैसले के मद्देनजर हिरासत में लिए गए मुख्यधारा के नेताओं को अब तक रिहा नहीं किया गया है. विपक्षी पार्टियां लगातार इसपर सवाल उठा रही हैं. इसको लेकर गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि इसपर अंतिम फैसला प्रशासन को लेना है.

लोकसभा में आज अमित शाह ने कहा, ”जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं को छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन की ओर से लिया जाएगा, और वहां के मामले में केंद्र सरकार दखल नहीं देगी.”

सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के जवाब में शाह ने मुख्य विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य है, लेकिन वह कांग्रेस की स्थिति सामान्य नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि कहा कि कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि 370 हटाने पर खून खराबा हो जाएगा, लेकिन वहां एक गोली भी नहीं चली.

शाह ने कहा कि स्थिति पूरी तरह सामान्य है. उन्होंने आगे ये भी कहा कि जब स्थानीय प्रशासन को लगेगा कि नेताओं को रिहा करने का उचित समय है तो इस बारे में निर्णय लिया जाएगा. केंद्र किसी तरह का दखल नहीं देगा.

दरअसल, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया था कि जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला और दूसरे नेताओं को कब रिहा किया जाएगा और क्या वहां राजनीति गतिविधि बहाल है ? इससे पहले गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर गलत प्रचार कर रहा है, लेकिन सरकार वहां स्थिति सामान्य बनाए रखने को लेकर प्रतिबद्ध है.

बता दें कि मोदी सरकार ने इसी साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का एलान किया था. साथ ही सूबे को दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था. इसी के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं को हिरासत में लिया गया था. हिरासत में लिए गए नेताओं में फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती शामिल हैं.

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