आजसे 25 साल पहले 22 जनवरी 1999 की रात में मतलब 23 जनवरी को कह सकते हैं ! ओरिसा के आदिवासियों के बीच महारोगीयोकी सेवा करने के लिए मयुरभंज के महाराज रामचंद्र भंजदेव ने 1895 को मयुरभंज लेप्रसी होम की स्थापना की है ! और इसे चलाने के लिये एक आस्ट्रेलियाई मिशनरी महिला केंट अॅलनबी को सौंप दिया था ! केंट 19 साल की थी , जब उन्होंने इस आश्रम को चलाने की जिम्मेदारी सम्हालने की शुरुआत की है !

उन्हें मदद करने के लिए फादर ग्राहम स्टेंन्स 1965 के जनवरी में भारत आये जिस समय उनकी उम्र 24 साल की थी उनका जन्म 18 जनवरी 1941 को हुआ था ! और उन्हें उनके दो किशोर बच्चों को निंद में जलाने की घटनाके दिन उनका पांच दिनों पहले 58 वा जन्म दिन मनाया गया था ! 1999 को 25 साल पहले, 23 जनवरी को ! ओरिसा के मनोहर पुकुर नामकी जगह, महारोगियोकी सेवा करने वाले फादर ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चो ( फिलिप्स ग्यारह वर्ष, और तीमथी हेराल्ड सात साल की उम्र ) रात में निंद में उनके जिप के भीतर आग लगा कर जिंदा जलाया था ! वैसे भारत में दलित, आदिवासी या स्रियो को जलाकर मारने की परंपरा बहुत पुरानी है !


लक्ष्मण बाथे बीहार के एक गांव में, सव्वासौ दलितों को घेरकर उनके बच्चों औरतें और बुढे बुजुर्गों के साथ जलाने की घटना पूर्ण देश को मालुम हैं ! और सभी अपराधियों को, उच्च जाति के न्यायाधीशों ने बाईज्जत बरी कर दिया है ! क्योंकि सभी अपराधियों की जाती उंची थी ! अगर लार्ड बेंटिंग ने राजा राम मोहन राय की बात नहीं मानी होती, तो आज भी औरतों को पति निधन के बाद जलाने की प्रथा जारी रही होती ! लेकिन उसके बावजूद राजस्थान के देवराला की रूपकूंवर के सती का समर्थन, और उसके बाद सती मंदिरों की होढ ! इसी देश में अस्सी वाले दशक में देखा है ! और आज भी दहेज के लिए बहुओ को जलाने की घटना रुकी नही है !
क्या इसी बर्बरता के कारण भगवान गौतमबुद्ध, भगवान महावीर और महात्मा गांधी को अहिंसा के सिद्धांत का इतना ज्यादा प्रचार- प्रसार करने के लिए, यहाँ की बर्बरतापूर्ण व्यवहार के कारण तो नहीं ना इतना प्रयास करना पडा होगा ? अन्यथा इतना अहिंसा – अहिंसा का मंत्र जप करने की आवश्यकता क्या थी ?
क्योंकि आज भी दंगे या, दलित महिला आदिवासियों के साथ होने वाले अत्याचार की घटनाओं में, उनके बस्तियों को घेरकर जलाने की घटनाएं बदस्तूर जारी है !


श्रीमती ग्लाडिस स्टेन्स ने वहीं रहकर, अपने पति के हत्यारों को माफ करने की गुजारिश की है ! और उनके अधुरे कामको आगे चलानेका मनोदय दिखाया ! यह है येसु ख्रिस्त के फाॅरगिव्ह & फाॅरगेट के उनके तत्वज्ञान का सबसे बडा उदाहरण है !
खुद को सुली पर चढाने वाले लोगों के लिए , येसू ख्रिस्त ने भगवान के सामने यही प्रार्थना की थी ! “कि वह नादान है ! उन्हें खुद को मालुम नहीं है, कि वह क्या कर रहे हैं ! इसलिये इन्हें माफ कर देना !”
हालांकि फिलासफी के स्तर पर यह ठीक है ! लेकिन पच्चीस साल पहले ओरिसा के कंधमाल जिले के मनोहरपुकुर के इस, जधन्य कांडको करने के बाद गोध्रा की साबरमती एक्सप्रेस के एस – 6 कोच की आग, फिर उन्ही अधजली लाशों को, बगैर पोस्ट मार्टम के, खुले ट्रकों के उपर रखकर अहमदाबाद की सड़कों पर जुलुस निकाल कर, दुसरे दिन से अहमदाबाद की गुलमर्ग सोसायटी में उससे अधिक लोगों को जिंदा जला दिया ! जिसमें एक पूर्व संसद सदस्य भी था ! जिसकी बीवी आज भी न्याय की गुहार लगाई जा रही हैं !


उसी तरह वडोदरा के बेस्ट बेकरी की जलती हुई भट्टी में पूरे परिवार के 15 के आसपास के सदस्यों को जलाने की घटना, गुजरात, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगड मे ख्रिश्चन धर्म के अनुयायियों के साथ लगातार हमले कीये गये हैं ! और उनके धार्मिक स्थलों को जलाने का काम भी किया है !


( यह 27 फरवरी 2002 के स्टेट स्पाॅन्सर दंगे के पहले से ही जारी था ! ) क्योंकि हमने खुद महाराष्ट्र की सिमा से सटे हुए जिले डांग – अहवा के चर्च और चर्च के द्वारा चलाए जा रहे, निवासी स्कूलों के उपर, किए हमलों की जांच में पाया कि, इस घटना के पिछे संघ परिवार के आसिमानंद नाम के तथाकथित बंगाल से नब्बे के दशक में आये ! स्वामी आसिमानंद ने स्थानीय भील आदिवासियों के द्वारा , तथा संघ परिवार की मदद से, इन हमलों को अंजाम दिया था ! हालांकि इतने सालों में कुल डांग जिले की एक लाख नब्बे हजार आबादी में ! सिर्फ डेढ़ से दो प्रतिशत क्रिस्चियन की जनसंख्या है ! और लगभग संपूर्ण भारत में क्रिस्चियन आबादी का अनुपात बढ़ने की जगह कम ही होने की खबरें हैं ! और वह आज भी डेढ़ से दो प्रतिशत से अधिक नहीं है !


क्योंकि तीन साल पहले के अंतिम महिने से भारत में कर्नाटक के बेलुर नाम के जगह पर ( हसन जीले की घटना है ! ) एक प्रार्थना स्थल पर जाकर, तथाकथित हिंदुत्ववादी लोगों ने जाकर हमला किया ! और उसके बाद देश के अन्य हिस्सों में भी चर्चों के उपर हमले बदस्तूर जारी है ! और इसके खिलाफ वर्तमान केंद्र में बैठी हुई, बीजेपी की सरकार के किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति ने, अबतक इस तरह की घटनाओं पर चिंता या आपत्ति नहीं जताई है ! इस बात का क्या संकेत मिलता है ? उल्टा हरिद्वार से रायपुर तक हिंदुत्ववादी तत्वो के तथाकथित धर्मसंसद के नाम पर अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ विषवमन लगातार जारी है !


और वर्तमान सरकार ने लाख हमारे संविधान की शपथ ली है ! लेकिन इनके ट्रेक रेकॉर्ड को देखते हुए, संविधान की शपथ ग्रहण एक कर्मकाण्ड के अलावा और कुछ भी नहीं है ! क्योंकि वर्तमान प्रधानमंत्री ने जब उन्होंने 2001 के अक्तूबर की 10 तारीख को में प्रथम बार, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप मे शपथ ली थी ! कि “मै नरेंद्र दामोदरदास मोदी आज से गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालते हूए यह शपथ लेता हूँ कि इस राज्य में रहने वाले हर नागरिक के जानमाल तथा सुरक्षा बगैर किसी भेदभाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करुंगा ! ”
2014 को प्रधानमंत्री बनने के पहले तीन बार मुख्यमंत्री के पद की यही शपथ ली थी ! और इस के बावजूद 27 फरवरी 2002 के दंगों में बहुत ही संगीन भुमिका रही है ! भारत के इतिहास का पहला राज्य पुरस्कृत दंगा जान बुझकर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए, उल्टा दंगे को हवा देने के लिए ! उन्होंने रत्तीभर भी अपने संविधानिक भुमिका का पालन नहीं किया है ! उल्टा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजीको नरेंद्र मोदीजी को कहना पडा था ! कि “आपने अपने राजधर्म का पालन नहीं किया है !”
भले वह नानावटी कमिशन और एस आई टी की इंन्कावयरीयोमे, तकनीकी आधार पर बरी कर दिये गये होंगे !
अगर उनकी उस समय की भूमिका की सही जांच कर के उनके उपर दोबारा कारवाई शुरू होती है ! तो वह शत-प्रतिशत अपराधी साबित हो सकते है ! लेकिन वर्तमान समय में तो यह संभव नहीं है ! जिस दिन वह सत्ता से बाहर होंगे, और उसके बाद अगर वह सब केसेस दोबारा शुरू किया, तो यह संभव है ! हालांकि उनकी पूरी कोशिश उसके पहले भारत को हिंदुराष्ट्र घोषित किया जाय ! आज राममंदिर में मूर्ति की स्थापना करने का कार्यक्रम उसि कड़ी का हिस्सा है ! आज संपूर्ण देश में जिस तरह से सरकारी स्तर पर से, जानबूझकर माहौल तैयार करने की कोशिश की गई है ! वह भारत के संविधान के विपरीत है !
वर्तमान हरिद्वार से लेकर रायपुर तथा अन्य जगहों पर हिंदुत्ववादी लोगों की तरफसे अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ जो जहर उगाला जा रहा है ! वह सब हिंदुराष्ट्र के तरफ रास्ता बनाने के लिए वातावरण निर्माण करना जारी है ! फादर ग्रॅहम स्टेन्स और उनके दोनों मासुम बच्चों की शहादत हिंदुराष्ट्र के मार्ग पर की शुरुआत है ! और तत्कालीन एन डी ए की सरकारने, ओरिसा की फादर ग्रॅहम स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों के जलाने की घटना के जांच के लिए, जानबूझकर जाॅर्ज फर्नाडिस के नेतृत्व में उस घटना की जांच करने के लिए जार्ज के साथ मुरली मनोहर जोशी को चेक करने के लिए रखा था ! और जार्ज फर्नांडीस से एन डी ए को क्लीन चिट दिलाने का काम कर लिया !


और उसी तरह जार्ज फर्नांडीस के मुंह से, भरी लोकसभामे गुजरात दंगों के समर्थन में बोला हुआ रेकॉर्ड लोकसभा के प्रोसिडिंग में मौजूद है ! और यही जार्ज फर्नांडीस है ! जिन्होंने भारत की सेना को तीन दिन तक नरेंद्र मोदीजी ने मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत रहते हुए ! लाॅ & आर्डर के लिए भारत के सरसेनापती पद्मनाभन द्वारा भेजे गये, तीन हजार जवानों को अहमदाबाद एअरपोर्ट के बाहर नहीं निकलने वाली बात से ! जाॅर्ज फर्नांडीस बहुत अच्छी तरह से वाकिफ होने के बावजूद ! भारत की सबसे बड़ी संसद में गुजरात दंगों के समर्थन करते हुए, समस्त विश्व ने देखा है ! यहां जार्ज फर्नांडीस की ऐसी कौन सी मजबुरी थी ? कि वह दंगे के पक्ष में बोले है !

ओरिसा के फादर ग्रॅहम स्टेन्स, और उनके दो किशोर बच्चों की घटना, और गुजरात के भारत के इतिहास के सबसे पहले राज्य पुरस्कृत किया गया दंगे में, राज्य सरकार को बचाने के पिछे की ! कौन-सी सेक्युलर या समाजवादी व्यवस्था दिखाई दी थी ? यह दोनों घटनाओं में जार्ज फर्नांडीस ने की हुई भुमिका से जार्ज फर्नांडीस ने अपनी राजनीतिक आत्महत्या कर ली थी ! यह मेरी राय उनके अंधभक्तो को बहुत नागवार लग सकती है !
वैसे उनका पतन का दौर समता पार्टी की निर्मिति से शुरू हुआ था ! लेकिन ओरिसा और गुजरात के अपराधियों को क्लिनचिट देने की कृती, नानावटी कमिशन की क्लिनचिट से ज्यादा मायने रखता है ! और यह दोनों पाप, शतप्रतिशत जाॅर्ज फर्नांडीस ने किये हैं ! लेकिन अंधभक्त सिर्फ बीजेपी के ही पास नहीं ! तथाकथित समाजवादियों में भी उनकी भरमार है ! और आज भी वह जाॅर्ज फर्नांडीस के गलत नितियो का समर्थन करते रहते है ! और मेरे हीसाबसे यह समाजवादियों के राजनीतिक जीवन का अधपतन का दौर जारी है ! और इसमें इस जमात को नष्ट होते हुए देखना, मेरे जैसे पचास साल से अधिक समय से समाजवाद के प्रति लगाव वाले ‘राष्ट्र सेवा दल’ के सैनिक के लिए बहुत ही पिडादायक स्थिति है !


सिर्फ उनके शहादत दिवस के अवसर पर आसु बहाने से नहीं चलेगा ! इन जल्लादो को रोकने के लिए सभी शांतिप्रिय और सर्वधर्मसमभाव के लोगों को संघटीत होकर मुकाबला करना चाहिए !
उस समय के राष्ट्रपति के आर नारायण ने कहा था कि “ओरिसा के लोगों ने, कुष्ठरोगियोकी सेवा कई साल पहले से करनेवाले, फादर ग्राहम स्टेंन्सका आभार माननेकी जगह, उनकी हत्या करने वाले लोगों ने, सहिष्णुता तथा मानवतावादी भारत की छविको नूकसान पहुंचाया है ! इस घटना से भारत नीतिभ्रष्ट हो रहा है !” और दुनिया के इसीतरह के इन्सानियतके गुनहगारों मे भारत का भी समावेश करने के लिए संघ परिवार गत 99 सालोसे लगातार सम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने का काम कर रहा है !


उसी कडि मे 1989 का भागलपुर दंन्गेका काम किया है ! और तेरह साल बाद 27 फरवरी 2002 में गुजरात दंगों के दौरान राज्य सरकार की भुमिका बहुत संगीन रही है !
6 डिसेंबर 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद लगातार देश में सांम्प्रदायिक अलगाववादी ताकते जोर पकडते जा रहि है !
2002 के 27 फरवरीको भारत के सरसेनापती श्री. पद्मनाभनजीने 3000 सैनिकों को लेकर लेफ्टिनेंट जनरल जमिरुद्दीन शाह को, गुजरात की गोधरा के बाद फैली हिँसा को रोकने के लिए भेजा गया था ! लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री जो आज देशके प्रधान-मंत्री पदपर विराजमान है ! इह्नोने तिन दिन तक सेनाको अहमदाबाद एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकल ने दिया ! यह तथ्य सरकारी मुसलमान नामकी किताबमे जमिरुद्दीन शाह ने लिखा है ! कि हम 28 फरवरी को शाम 64 विमनोसे अलग अलग खेपोमे उतार कर ! गाडिय़ों के इन्तज़ार में काफी समय बाद जनरल शाह ने चिफ सेक्रेटरी, तथा विभिन्न अधिकारिओं से फोन पर बातें करनेकी कोशिश की ! पर कहीं से उन्हें मदद नहीं मीली ! तो वे खुदही अपनी जिप्सी जो साथमे लाये थे ! और स्थानीय गाइड की मदद से, गाँधी नगर के मुख्य मंत्री आवास पर चले गये ! वहा पर उस समय के रक्षा मंत्री श्री. जार्ज फर्नांडीज भी वहीपर बैठे थे ! जॉर्ज फर्नांडीज ने मिलकर मुझे कहा कि जनरल साहब, बहुत सही समय पर आप आये हो ! गुजरात दंगा को रोकने के लिए तुरंत लग जाईए ! तो मैंने कहा हम हवाई जहाज से नीचे देख रहे थे ! लगता है कि पूरा गुजरात जल रहा हैं ! मुख्यमंत्रीजी से कहीये कि वे हमे लॉजिस्टिक दे ! जार्ज साहब ने मोदीजी इन्हें गाडिया तथा अन्य मदद करने के लिए कहा भी ! और मै वहासे चला आया ! लेकिन तिन दिन हमे कूछ भी मदद नहीं मीली ! अहमदाबाद एअरपोर्ट पर तीन दिन पडे रहे ! यह संस्मरण लेफ्टिनेंट जनरल जमिरूद्दीन शाह ने अपनी सरकारी मुसलमान नाम की किताब में लिखा है !


इस बात का क्या मतलब होता है ? एक मुख्य मंत्री पद पर बैठा आदमी ! मुख्य मंत्री बनने से पहले यह शपथ लेता है कि ! “मै नरेंद्र दामोदर दास मोदी आजसे गुजरातके मुख्य मंत्री के रूप में यह शपथ लेता हूँ की ! आजसे इस राज्य में रहने वाले सभी लोगों के साथ किसी भी प्रकारका भेद भाव ना करते हुए, निस्पक्ष होकर इस राज्य का करोबार करूंगा !” क्या यह नरेन्द्र मोदीजी के द्वारा ली गई शपथ का उल्हघन नहीं है ? इस से यही जाहिर होता है कि, यह उसके बाद इसी तरह की शपथ तीन बार लिए थे !


और अब तो देश के प्रधानमंत्री के तौर पर , और दो बार शपथ ली है ! जिसके बाद 15 अगस्त को लाल किले के सम्बोधन में 135 करोड़ जनता को टिम इंडिया बोला है ! क्या उन 135 करोड़ लोगों में फादर ग्राहम स्टेन्स और उनके दोनो बेटे, गुजरात के अहसान जाफरी, ईशरत जहा, अखलाक , जुनैद,बिलकिस बानो, कौसरबीका, मलिका शेख और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का उसमे समावेश नहीं है ?
जो आज भयभीत होकर जी रहे हैं ! क्या किसी भी मुल्क में इस तरह 30-35 करोडकी आबादी असुरक्षित स्थिति मे रहना देशके समाज स्वास्थ के लिए बहुत संगिन नहीं है ?


आने वाले 27 फरवरी को 22 साल पहले, गुजरातमे अल्पसंख्यको की जान मालको नुकसान पहुंचाया था ! जो आजादी के बाद भारत का पहला राज्य पुरस्कृत दंगा किया गया है ! उसी दंगा करने वाले को आज देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद , और पिछले दस सालोमे शेकडो लोगों की मॉब लिंन्चीग में जाने ली है ! और कानुन व्यवस्था सह्माल ने की शपथ लेने के बावजूद, मन्दिर वही बनायेंगे की कृतियों को अंजाम देने का काम कर रहे है ! उसके लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय को तक संविधान के खिलाफ निर्णय लेने के लिए मजबूर किया गया है !
और इसके विपरित केरल के शबरिमला के मन्दिर मे महिलाओ को जानेकी इजाजत सर्वोच्य न्यायालय को आजदीके 70 साल बाद देनी पड़ती तो ! यही लोग महिलाओं को रोकने का काम कर रहे ! और केंद्रीय गृह मंत्री कहते है कि “न्यायालय ने बहुसंख्यक लोगों की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए !” याने एक मन्दिर का कोर्ट मे फैसला होना हैं ! तो भी मन्दिर वही बनाएँगे ! तभी तो आज की तारीख में आयोध्या में प्राणप्रतिष्ठापना का कार्यक्रम कोर्ट को भी ‘सवाल आस्था का है कानून का नही ‘और अमित शाह की भाषा में “बहुसंख्य आबादी के भावनाओं को देखते हुए, मंदिर निर्माण का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है !” और दूसरे केसमे कोर्ट महिलाओं को मन्दिर प्रवेश की इजाजत देता है ! तो उसके विरोधमे ! और अगर किसी कोर्ट ने हमारे संविधान के अनुसार निर्णय देकर गुजरात के दंगों में बिल्किस बानो के साथ, सामुहिक बलात्कार और हत्या जैसे संगीन अपराधियों को गिरफ्तार करने का फैसला दिया है ! तो वह बहुसंख्यक समुदाय के है ! तो उन्हें आजादी के पचहत्तर साल के बहाने बाईज्जत बरी कर दिया जाता है ! और उन गुनाहगारों का फुलमालाऐ पहनाकर और मिठाईयों को बाटकर स्वागत-सत्कार किया जा रहा है ! इससे क्या जाहिर होता है ?


बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर ने अपनी ‘सहा सोनेरी पाने’ ( छ सुनहरे पन्ने ) नाम की किताब में शत्रुओं की औरतें भले ही वह बुढी हो बच्ची हो या जवान उसे बलात्कार करके भ्रष्ट करना चाहिए ! और छत्रपति शिवाजी महाराज ने कल्याण के सुभेदार की बहु को युद्ध में जितने के बाद, उसे सुभेदार के पास सालंकृत वापस भेज दिया ! तो सावरकर ने लिखा है कि “शिवाजी महाराज ने बहुत बड़ी गलती की है ! उसे बलात्कार करने के बाद वापस करना चाहिए था !” और अठारहवीं शताब्दी में वसई की लड़ाई में चिमाजी अप्पा पेशवा ने किसी पुर्तगाली महीला को भी छत्रपती शिवाजी महाराज के जैसा सालंकृत पुर्तगाली परिवार में उसे सुरक्षित पहुचाने की व्यवस्था की थी ! तो बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर ने उसे भी भला – बुरा कहा है ! और संघ के सब से लंम्बे समय ( 33 साल ) संघप्रमुख रहे श्री. माधव सदाशिव गोलवलकर ने भी अपने लेख में कहा है, कि “अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को बहुसंख्यक समुदायों की कृपादृष्टि के सहारे रहने की आदत डालनी होगी !” मतलब उनकी जानमाल से लेकर उनकी महीलाओ की इज्जत आबरू भी हिंदुओं की सदाशयता के उपर निर्भर होगी ! इसलिए बिल्किस बानो के गुनाहगारों को माफ करने की कृती, और फादर ग्रॅहम स्टेन्स और उनके दोनों बच्चों की जलाने की घटना को अंजाम देने वाले गुनाहगारों को ! और सबसे महत्वपूर्ण बाबरी मस्जिद विध्वंस से लेकर गुजरात के दंगों के गुनाहगारों को सिर्फ क्लिनचिट देना नहीं उन्हे पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए ! विशेष रूप से इस देश के सर्वोच्च पद पर बैठाने की मानसिकता को देखते हुए, उत्तर प्रदेश के मुख्यंत्री जैसे संविधानिक पद पर रहते हुए ! खुलकर “अगर एक हिंदु को मारा है, तो प्राथमिकी नही करते हुए, दस मुसलमानो को मारकर आना चाहिए !” जैसे गैरजिम्मेदाराना बयान देते हुए, देखा गया है !


हम जो कुछ कह रहे वही बात सही है ! कोर्ट कानुन की हमे कूछ भी पर्वा नही ! आज वे देश के ठेकेदार जो बने हुए हैं ! और वह यह सब कुछ हिंदु धर्म की आड़ में कर रहे हैं ! हाँ क्यो नही करेंगे ? क्योंकि जिस मनुस्मृति को संघ भारत का संविधान मानता है ! उसके अनुसार ब्राम्हण अगर बलात्कार करता है ! तो उसे मामुली सजा देने के बाद छोड़ देना चाहिए, यह प्रावधान है ! तो हिंदुत्ववादीयो ने बिल्किस बानो के गुनाहगारों को ब्राह्मण है ! और उनका जेल का वर्तन अच्छा था ! और उन्होंने इस तरह का गुनाह करने का कोई कारण नहीं है ! क्योंकि ब्राम्हण कभी ऐसा कर नही सकता ! आज यही बात हजारों वर्ष से अधिक समय से चली आ रही है ! और इसी सडी – गली मनुस्मृति को जलाने का कार्य डॉ. बाबा साहब अंबेडकरजी ने अपने जीवनकाल में 25 दिसंबर 1927 के दिन, करने के बाद अंतमे तथाकथित महान हिंदु धर्म का त्याग किया और 14 अक्तुबर 1956 के दिन अपने लाखों अनुयायियों के साथ हिंदु धर्म छोड़कर बुद्ध धर्म का स्विकार किया ! स्वामी विवेकानंद ने भी कहा है कि “भारत के ज्यादातर लोग हिंदु धर्म से अन्य धर्मों में शामिल होने का एकमात्र कारण हमारी जाति-व्यवस्थासे तंग आकर ज्यादा तर लोगों ने धर्मांतरण किया है !” उस उच-निच को खत्म करने का छोड़कर, संघ और जातीयवाद और उसके साथ सांप्रदायिक विष घोलकर जातीयवाद को बढ़ावा दे रहा है ! इन्हें हटाना ही फादर ग्राहम स्टेन्स, और अन्य सभी भागलपुर से लेकर गुजरात तक के, सम्प्रदायिक दंगो मे मारे गये लोगों को सही श्रद्धान्जली होगी ! और वर्तमान समय में तथाकथित हिंदुत्ववादी, धर्मसंसद के नाम पर हमारी संसद से लेकर संविधान की धज्जियाँ उडाने के काम कर रहे हैं ! इन्हें रोकने के लिए सभी शांति – सद्भावना के और सर्वधर्म समभाव को मानने वाले लोगों ने इकठ्ठा होकर रोकने के लिए सक्रिय रूप से कृतिशील होने की जरूरत है ! यही फादर स्टेन्स और अन्य सांप्रदायिकता के आग में जले हुए लोगों के लिए सही श्रद्धांजली होगी !

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