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नई दिल्ली। 19 मार्च 2017 को बीजेपी के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले योगी आदित्यनाथ के हाथ में उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंपी गई। 19 सितंबर को योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी पर बैठे 6 महीने  पूरे हो गए। वादे बहुत बड़े-बड़े किए गए थे तो लोगों की उम्मीदों का आकार भी उतना ही बड़ा था। आइए देखते हैं कि इन 6 महीनों में सरकार अपने आप वादों के धरातल पर काम-काज के कितने पौधें रोंप पाई है।  परत दर परत विश्लेषण पढ़िए।

पहले 6 महीनें में बुनियादी चीजों का विश्लेषण किया गया। क्योंकि इतना वक्त पुरानी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए काफी होता है।

बे-करंट बिजली

सीएम योगी आदित्यनाथ ने वादा किया था कि वो पूरे राज्य में बिना भेदभाव के 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराएंगे। इस वादे पर योगी सरकार कोई भी कमाल दिखाने में नाकामयाब रही। प्रदेश के खंभों में अभी  बिजली के तार अभी भी बेकरंट हैं। हां उन्होंने वीवीआईपी जिले के कल्चर को जरूर खत्म किया लेकिन राज्य अभी भी बिजली की कमी से जूझ रहा है। अभी भी लोग बिजली के लिए कलेक्टर के खिलाफ नारेबाजी करते हैं। बिजली के स्टेशनों पर तोड़ फोड़ करते हैं। कई जिलों में गहरा बिजली संकट है। खुद बिजली मंत्री मानते हैं कि बिजली की हालत ठीक नहीं है। हालांकि इसका ठीकरा वो पुरानी सरकारों पर ही मढ़ते हैं।

बीमार है प्रदेश का स्वास्थ्य

स्वास्थ्य विभाग की पोल तो पूरे देश के सामने खुल चुकी है। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जो हादसा हुआ उस पर सरकार ने जमकर लीपा पोती की। गोरखपुर मामले की कलई तब खुल गई जब फर्रुखाबाद के  लोहिया अस्पताल में भी 50 बच्चों की मौत हो गई। अब जांच के लेप से इसे छिपाने की कोशिश की जा रही है। गोरखपुर के एम्स के शिलान्यास को एक साल से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है। राज्य में मौत की  बढ़ती संख्या चिंता जनक है लेकिन सरकार अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त है। अखिलेश सरकार के दौर में सुपर स्पेशलिटी कैंसर और लीवर अस्पताल की योजना भी खटाई में दिख रही है।

सड़कें भी खस्ता हाल

सीएम योगी ने शपथ लेते ही राज्य के अधिकारियों को 100 दिन वक्त देते हुए जनता से वादा किया था कि अगले 100 दिनों में राज्य की सड़के गड्ढा मुक्त हो जाएंगी। 100 दिनों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है।  लेकिन सड़कें अभी भी गड्ढों से भरी पड़ी है। योगी सरकार इसका ठीकरा भी पुरानी सरकारों पर फोड़ रही है। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार के गड्ढे इतनी जल्दी नहीं भरे जा सकते। अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट  सीबीआई जांच की आंच झेल रहा है। वाराणसी का वरुणा रिवर फ्रंट का काम भी रुका हुआ है।

कानून व्यवस्था

पिछले 6 महीने में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की लगाम जरूर खींची है। यूपी पुलिस ने हाल ही में आंकड़े जारी किए थे, जिसमें सामने आया कि प्रदेश में एनकाउंटर्स की संख्य़ा बढ़ी है और बड़े अपराधियों को सलाखों के पीछे ढकेला गया। एंटी रोमियो स्कवायड शुरुआती दौर में कई सवालों के घेरे में आया था लेकिन अब पुलिस गुपचुप तरीके से अपने अभियान को चला रही है। हालांकि समाजवादी पार्टी का  कहना है कि यूपी पुलिस के एंटी रोमियो स्कवायड के काम करने में 1090 का बड़ा योगदान है जोकि अखिलेश यादव ने शुरू किया था।

किसान की कर्ज माफी ने भी कराई किरकिरी

योगी सरकार ने आते ही किसानों को बड़ा तोहफा दिया। उनके कर्ज माफी का एलान किया गया। लेकिन जब चेक बंटे तो कर्ज माफी की राशि कुछ पैसों से लेकर कुछ रुपयों तक सामने आई। जिसकी वजह से  सरकार की जमकर किरकिरी हुई। हालांकि इस योजना का लाभ काफी किसानों को भी मिला है। किसानों के 1 लाख रुपये तक के कर्ज भी माफ हुए हैं। इस सफलता पर योगी सरकार ने अपनी पीठ थपथपानी शुरू ही  कि थी कि 40, 50 पैसों के चेक देखकर उन्होंने भी अपने हाथ रोक लिए।

इन योजनाओं के अलावा एंटी भू-माफिया टास्क फोर्स भी काम कर रही है। जानकारी के मुताबिक कई बड़े दबंगों से जमीन खाली करवाई गई है। लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकार लगभग सभी फ्रंटों पर, ऊंची दुकान फीके पकवान साबित हुई है। हालांकि अभी तो सिर्फ 6 महीने हुए हैं। सरकार के कामों पर हमारी नजर लगातार बनी हुई है। यहां हर कदम का विश्लेषण निर्भिक और निष्पक्ष होकर किया जाएगा।

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