pilotअगले महीने होने जा रहे चुनावों में कांग्रेस के मामले में एक बात कॉमन है कि वो सीएम कैंडिडेट घोषित करने में पीछे हट रही है. मप्र में उसके पास तीन-तीन बडे नेता हैं लेकिन उसने किसी को भी सीएम कैंडिडेट के तौर पर मैदान में नहीं उतारा और ऐसी ही स्थिति राजस्‍थान में है.

जबकि वहां भी उसके पास सचिन पायलट के रूप में लोकप्रिय युवा चेहरा है तो अब सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस सचिन पायलट को सीएम चेहरा घोषित करने में क्‍यों‍ हिचकिचा रही है? दरअसल, इसके पीछे कारण है उनका गुर्जर जाति से होना. राजस्थान की परंपरा रही है कि यहां मीणा, जाट, गुर्जर में से कोई मुख्यमंत्री नहीं बनता है. तीनों जातियां एक दूसरे की जानी दुश्मन हैं.

अगर सचिन पायलट को कांग्रेस आगे करती है, तो मीणा और जाट बिल्कुल विपक्ष में चले जाएंगे. वैसे भी जाट, अशोक गहलोत से खफा हैं. सचिन पायलट को यदि आगे करते हैं, तो मीणा साफ तौर पर कांग्रेस से दूर चले जाएंगे. इसलिए सचिन पायलट की सीएम के तौर पर दावेदारी घोषित नहीं की जा रही है.

लेकिन सवाल यह है कि यदि अशोक गहलोत को सीएम चेहरा घोषित किया जाता है, तो फिर सचिन पायलट का खेमा, जो पिछले पांच साल से मेहनत कर रहा है, रूठ जाएगा. पिछली बार जब राहुल गांधी राजस्थान आए थे, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि हमारी पिछली गहलोत सरकार के मंत्रियों ने काम नहीं किया.

इसबार आप हमें जिताइए, हमारे मंत्री काम करेंगे. राहुल गांधी ने यह संकेत दिया कि इस बार अशोक गहलोत मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, बल्कि मुख्यमंत्री सचिन पायलट बनेंगे. राहुल गांधी का इस तरह से अशोक गहलोत पर वार करना सचिन पायलट खेमे को रास आ रहा है.

एक और अहम बात यह है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत स्पष्ट तौर पर आमने-सामने हो गए हैं. इतना अधिक कि यदि अशोक गहलोत प्रेस कान्फ्रेंस करते हैं, तो सचिन पायलट उसके जवाब में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं. पर्दे के पीछे दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हैं. ये चीजें कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत घातक हैं.

 

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