nitishmodi. उनका जन्‍म हुआ थ 1 मार्च 1951 को. उनकी जन्म तारीख और उनके अंग ज्योतिष यानि बॉडी लैंग्वेज के आधार पर दो तीन चीजें खास तौर पर उभर कर आती हैं और ये चीजें पार्टियों की सीमाओं का अतिक्रमण करते हुए भी दिखाई देती हैं. नीतीश कुमार के लिए कई चीजें नुकसानदेह हैं, जो उनके मार्ग में बाधाएं पैदा कर रही हैं और उन्हें सुशासन बाबू से कुशासन बाबू की तरफ ले जा रही हैं.

इनमें सबसे पहली चीज यह है कि वर्ष 2015 के बाद से बिहार का नामांक नीतीश कुमार के बहुत विपरीत है. ऐसे अंक वाले व्यक्ति के लिए सुशासन तो छोड़िए, शासन करना भी कठिन हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि जो भी कानूनी प्रक्रिया है उसके हिसाब से नीतीश कुमार बहुमत से बिहार विधानसभा में और आवश्यक हो तो विधान परिषद में भी, एक प्रस्ताव पारित करवाएं और बिहार की अंग्रेजी वर्तनी BIHAAR की जाए. अभी ऐसा नहीं होने से उन्हें नुकसान पहुंच रहा है.

नीतीश कुमार का अंग ज्योतिषीय विश्लेषण यानि कहता है कि उनका मुंह कम खुलता है. उनके मुंह का स्पेस भी कम है, मुंह खुलने में और उसकी जो गहराई है, वो खुलने में भी बहुत कम है. ऐसा लगता है, जैसे वे अपने मुंह में कोई मसाला या कोई पान या कोई सुपारी या ईलायची दबाए हुए हों. उनके मुंह के अंदर का विन्यास कम है.

दूसरा, उनका शुक्र और बुध दोनों ठीक हैं. इस वजह से पॉजिटीव होने से उनकी मानसिक स्थिरता बहुत अच्छी है. दूसरी बात यह भी है कि नीतीश कुमार से विपरीत बॉडी लैंग्वेज वाले लोग उनके लिए हानीकारक हैं. इसमें दो तरह के लोग हैं. एक, जो उनसे ज्यादा कमजोर बॉडी लैग्वेज वाले हैं, पतले में और दूसरे जो उनसे ज्यादा कमजोर बॉडी लैंग्वेज वाले हैं, मोटे में. सबसे पहले एक नंबर पर आते हैं.

वो लोग जिनकी आवाज पूरी नॉर्मल वायस नहीं है, ऐसे लगता है कि दमे की मरीज की तरह बोल रहे हैं, दबे या डरे से बोल रहे हैं, जिनकी नाक तीखी हो, चेहरा मोहरा दबा कुचला हो, बॉडी जिनकी दुबली पतली हो या एवरेज से बहुत पतली हो और जिनको सुनकर या देखकर लगता है कि ये आदमी तो स्त्रीवाचक व्यक्ति है, यानि इसमें पुरुषत्व की बजाय स्त्रीत्व का लक्षण अधिक है. ऐसे लोग भले ही किसी भी क्षेत्र में हों, अगर नीतीश कुमार के गठबंधन के साथी होते हैं, तो बहुत बड़ा नुकसान होता है.

नीतीश कुमार जी के साथ एक दुर्भाग्य यह भी है कि जिनके स्त्री अंक खराब हैं, वैसे लोग उनके साथ अभी प्रदेश में भाजपा पर काबिज हैं, ऊपर से उनके नायब भी हैं, मतलब उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी. ये सभी लक्षण सुशील कुमार मोदी में हैं. एक कहावत है कि वो कप्तान सर्वाधिक सफल होता है, जिसका उप-कप्तान बढ़िया होता है. नीतीश कुमार के साथ उलटा है. सुशील कुमार मोदी का बॉडी लैंग्वेज नीतीश कुमार के लिए सौ फीसदी ही नहीं, बल्कि दो सौ फीसदी हानिकारक है. वे उनके उप-मुख्यमंत्री के रूप में सहायक होने के बजाए उनके लिए एक बोझ ही साबित हुए हैं और हो भी रहे हैं. अगर ऐसा रहा तो आइंदा भी यही होता रहेगा. नीतीश कुमार को ऐसे लोगों से पिंड छुड़ाना चाहिए.

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