अरुण जेटली ने कहा कि सरकार छह करोड़ मकानों का निर्माण कराएगी. इनमें से दो करोड़ शहरी इलाकों और बाकी गांवों में होंगे. आम बजट 2015-16 में इसके लिए 14,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसमें इंदिरा आवास योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं. जीआरएएम के प्रस्ताव के तहत प्रति मकान निर्माण की लागत 1.1 लाख रुपये तक जा सकती है. साथ ही शौचालय सहित एरिया बढ़कर 30 वर्गमीटर हो जाएगा. हर घर में पानी एवं बिजली की सुविधा भी होगी. 

Indian-finance-minister-A-0केद्रीय बजट (2015-16) में सामाजिक सरोकारों का ध्यान रखते हुए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की गई है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा देने के लिए नई मंंजिल नामक योजना की घोषणा करते हुए कहा कि किसी को भी धन के अभाव में उच्च शिक्षा से वंचित नहीं होने दिया जाएगा. निर्भया फंड की राशि 1000 करोड़ से बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपये और सुकन्या समृद्धि को आयकर से मुक्त करके केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है. बालिकाओं के सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना के तहत 0 से 10 वर्ष आयु तक की कन्याओं के खाते न्यूनतम 1,000 रुपये से खोले जाएंगे. इसके तहत अभिभावकों को एक हज़ार रुपये प्रतिमाह 14 वर्ष तक जमा करने होंगे. 21 वर्ष के बाद खाता परिपक्वहोने पर उन्हें 6,41,092 रुपये की धनराशि वापस मिलेगी. एक कन्या के नाम पर केवल एक ही खाता खोला जा सकेगा. इस योजना की सुविधा केवल दो बेटियों के लिए मिलेगी, लेकिन पहली बेटी के बाद यदि जुड़वां बेटियां पैदा होती हैं, तो तीसरी बेटी को भी इसका लाभ मिलेगा. यह खाता डाकघरों और अधिकृत बैंक शाखाओं में खोला जा सकेगा. इस खाते पर 9.1 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा. अगर खाते में न्यूनतम राशि न रखने पर प्रति वर्ष 50 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. कन्या के 18 वर्ष की होने के बाद उच्च शिक्षा के लिए खाते से 50 प्रतिशत राशि निकाली जा सकेगी. न्यू पेंशन स्कीम में कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले अंशदान के कारण कटौती की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.50 लाख रुपये की जाएगी. यही नहीं, 1.50 लाख रुपये की सीमा के अलावा भी 50,000 रुपये की कटौती प्रदान करने का प्रस्ताव बजट में है.

बजट में सामाजिक सुरक्षा पर विशेष बल देते हुए सरकार ने आगामी एक जून से अटल पेंशन योजना (एपीवाई) शुरू करने का फैसला किया है. यह योजना असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी नागरिकों पर केंद्रित होगी. इसके तहत अंशधारकों को 60 साल की उम्र के बाद प्रति माह 1,000 से लेकर 5,000 रुपये तक पेंशन मिलेगी, जो उनके अंशदान पर निर्भर करेगा. एपीवाई के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 40 साल है. इसमें अंशधारक के लिए अंशदान की अधिकतम अवधि 20 वर्ष है. सरकार की ओर से निश्‍चित पेंशन लाभ की गारंटी होगी. सरकार इस पेंशन योजना में भागीदारी करने वाले अंशधारकों की तरफ़ से वार्षिक प्रीमियम का 50 प्रतिशत या फिर 1,000 रुपये का योगदान करेगी. इनमें जो भी कम होगी, वह राशि सरकार देगी. सरकार की तरफ़ से यह योगदान पांच साल तक किया जाएगा.
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ 18 से 50 साल तक के लोगों को मिलेगा. इसके लिए बैंक खाता होना चाहिए. इस योजना के तहत दुर्घटना या सहज मृत्यु पर दो लाख रुपये तक का जोखिम कवर होगा. इसके लिए सालाना प्रीमियम 330 रुपये रखी गई है. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ 70 साल से ज़्यादा आयु वाले बुजुर्गों को मिलेगा. इसमें दुर्घटना में मृत्यु या पूरी तरह अपंग होने पर दो लाख रुपये और आंशिक अपंगता पर एक लाख रुपये मिलेंगे. इसका सालाना प्रीमियम 12 रुपये होगा. देश के लगभग साढ़े दस करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को विशेष सम्मान देने के लिए उपयोगी उपकरण और सहायता उपलब्ध कराने की नई योजना शुरू की जाएगी. इन वरिष्ठ नागरिकों में एक करोड़ से ज़्यादा लोग 80 वर्ष से ऊपर आयु के हैं. इनमें से 70 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, जिनका एक बड़ा हिस्सा वृद्धावस्था से जुड़ी परेशानियों से पीड़ित है.
ग्रामीण विकास के लिए बजट में 79,526 करोड़ रुपये का प्रावधान है. कांग्रेस की सबसे महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रा़ेजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को विफलताओं का स्मारक बताने वाली मोदी सरकार ने अपने बजट में इसका पूरा ख्याल रखा है. साल में 100 दिनों के काम की गारंटी देने वाली इस योजना के लिए मोदी सरकार ने 34,699 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगर सरकार की कमाई बढ़ी, तो मनरेगा के तहत 5,000 करोड़ रुपये और दिए जाएंगे. 2014-15 में मनरेगा के लिए 34,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन-2022 पूरा करने के लिए सरकार बहुत जल्द नेशनल हाउसिंग मिशन ला सकती है. 2022 में देश को आज़ादी मिले 75 साल पूरे हो रहे हैं, तब तक मोदी ने सबके पास घर होने की बात कही थी. यह योजना ग्रामीण एवं शहरी विकास मंत्रालय को तैयार करनी है.
अरुण जेटली ने कहा कि सरकार छह करोड़ मकानों का निर्माण कराएगी. इनमें से दो करोड़ शहरी इलाकों और बाकी गांवों में होंगे. आम बजट 2015-16 में इसके लिए 14,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसमें इंदिरा आवास योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं.
जीआरएएम के प्रस्ताव के तहत प्रति मकान निर्माण की लागत 1.1 लाख रुपये तक जा सकती है. साथ ही शौचालय सहित एरिया बढ़कर 30 वर्गमीटर हो जाएगा. हर घर में पानी एवं बिजली की सुविधा भी होगी. अगले सात सालों में इस योजना के तहत तीन करोड़ मकान बनाने के लिए 3.45 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की ज़रूरत है. हर साल सरकार को तक़रीबन 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे, जो गांवों में रोज़गार मुहैया कराने वाली योजनाओं के म़ुकाबले बहुत ज़्यादा हैं. सरकार की इस नई योजना के तहत वे सभी ग्रामीण आएंगे, जिनके सिर पर छत नहीं है.
किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय साझा बाज़ार स्थापित करने की भी योजना है. एक बड़ी घोषणा करते हुए सरकार ने 2015-16 के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. इसके अलावा ऊंची कृषि उत्पादकता हासिल करने के लिए सिंचाई व मिट्टी में सुधार के लिए वित्तीय समर्थन की घोषणा की है. 2015-16 में नाबार्ड में स्थापित ग्रामीण एवं संरचना विकास कोष की निधियों में 25,000 करोड़ रुपये, दीर्घकालिक ग्रामीण ऋण कोष में 15,000 करोड़ रुपये, अल्पावधि सहकारी ग्रामीण ऋण पुनर्वित निधि के लिए 45,000 करोड़ रुपये और अल्पावधि आरआरबी पुनर्वित निधि के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव सरकार ने किया है. पूर्वोत्तर राज्यों को जैविक (ऑर्गेनिक) खेती का केंद्र बनाने के लिए 125 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. मत्स्य पालन के प्रमुख कार्यक्रम नीली क्रांति का भी बजट में ध्यान रखा गया है. इस कार्यक्रम के लिए 411 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इसके साथ ही डेयरी विकास अभियान के लिए 481 करोड़ रुपये और कृषि उन्नति योजना के लिए 3,257 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
ऐसा नहीं है कि सरकार ने इन योजनाओं की स़िर्फ घोषणा कर दी है, बल्कि इनके लिए पैसा कहां से आएगा, यह भी बताया है. वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीए में लगभग 3,000 करोड़ और ईपीए में लगभग 6,000 करोड़ रुपये की बिना दावे वाली राशियां पड़ी हैं, जिनका इस्तेमाल बीमा योजनाओं के प्रीमियमों को सब्सिडी देने में किया जाएगा. कमजोर वर्गों, वृद्धावस्था पेंशनधारकों, बीपीएल कार्डधारकों, छोटे एवं सीमांत किसानों को प्रीमियम पर सब्सिडी भी दी जाएगी.

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