large-buddha-bodh-gaya-indiदेश के पर्यटन स्थलों को बेहतर यातायात सुविधा से जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार की ओर से कई सड़क योजनाएं बनाई गई हैं. इन परियोजनाओं में से कुछ पूरे हुए हैं, तो कुछ का मामला विभिन्न कारणों से फंसा हुआ है. बिहार में भगवान बुद्ध और भगवान महावीर से जुड़े ऐसे अनेक पर्यटन स्थल हैं, जहां पूरे साल भारी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं. लेकिन अच्छी सड़क सुविधा नहीं होने के कारण इन पर्यटन स्थलों तक पहुंचने में पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन्हीं परेशानियों को देखते हुए जापान सरकार के सहयोग से बौद्ध सर्किट को फोरलेन सड़क सुविधा से जोड़ने की योजना है. इसके तहत डोभी-गया-पटना को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 83 को फोरलेन में बदला जाना है. इसके लिए जापान सरकार की संस्था जायका ने 1231 करोड़ रुपए की स्वीकृति दे दी है. बुद्धिस्ट सर्किट डेवलपमेंट के लिए यह राशि ब्याज मुक्त ॠण के रूप में मिली है. 127 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन का निर्माण कार्य 10 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ था. इस परियोजना को 9 अप्रैल 2018 को पूरा होना है, लेकिन आज डेढ़ साल बाद भी मात्र 0.35 प्रतिशत काम ही हो सका है. केवल चार करोड़ रुपए का ठेका लेने वाली कंपनी ही थोड़ा बहुत काम करा सकी है.

बौद्ध सर्किट से जुड़े इस महत्वपूर्ण सड़क परियोजना का काम धीमी गति से होने के कारण पर्यटकों को काफी परेशानी हो रही है. देशी-विदेशी पर्यटकों का कोई भी ग्रुप वाराणसी-सारनाथ से जीटी रोड होते हुए डोभी से बोधगया की ओर जाने पर सिंगल लेन सड़क की दुर्दशा को देखकर परेशान हो जाता है. अगर ये पर्यटक पटना जाकर हवाई मार्ग से अन्य स्थानों पर जाना चाहें, तो भी मुश्किल है, क्योंकि पटना पहुंचने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गया से पटना जाने के क्रम में ही जाम में फंस जाने के कारण कई बार विदेशी पर्यटकों की फ्लाइट छूट जाती है. इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए जापान सरकार ने भारत सरकार को ब्याज मुक्त ॠण देकर, भारत स्थित बौद्ध पर्यटन स्थलों को विकसित करने का समझौता किया था. लेकिन जमीन अधिग्रहण की धीमी और निर्माण कंपनियों की सुस्त चाल के कारण यह परियोजना कछुआ चाल से आगे बढ़ रही है. जमीन मालिकों की ओर से किए जा रहे आंदोलन और ठेका लेने वाली हैदराबाद की कंपनी आईसी एंड एफएस इंजीनियरिंग कंसट्रक्शन लिमिटेड की सुस्त चाल ने इस फोरलेन के निर्माण कार्य को अधर में डाल दिया है. जमीन मालिक कम कीमत दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग 83 फोरलेन को बिहार के तीन जिलों पटना, जहानाबाद और गया से होकर गुजरना है, जिनमें से सबसे अधिक जमीन का अधिग्रहण गया में किया जाना है. गया जिले के 63 गांवों में कुल 3,22,295 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है, जिसमें से 2,85,385 हेक्टेयर जमीन किसानों एवं अन्य लोगों से ली जानी है. सरकार की ओर से इसके लिए 133 करोड़ रुपए जिला प्रशासन को आवंटित किए जा चुके हैं. लेकिन अब तक केवल 18 करोड़ रुपए कीमत की जमीन का ही अधिग्रहण हो सका है. जमीन अधिग्रहण का मामला जहानाबाद की सीमा से लगे खनेटा से गया की ओर आने पर बेलागंज, चाकंद और बोधगया, डोभी के बीच फंसा है. हाल के कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में एनएच 83 के आस-पास की जमीनों की कीमत में काफी वृद्धि हुई है. जमीन मालिकों का कहना है कि सरकार जमीनों को खेतिहर बताकर कम मूल्य पर इनका अधिग्रहण करना चाह रही है. अगर जमीन का उचित मूल्य नहीं मिला, तो हमलोग बाध्य होकर आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे. इस मामले में सरकार जमीन मालिकों से छल कर रही है. जहां-जहां जमीन का अधिग्रहण किया जाना है, वहां के रजिस्ट्री शुल्क में कमी कर दी गई है. वहीं गया के जिला पदाधिकारी का कहना है कि इस फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण का काम जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाएगा. गया जिले के अपर सर्माहता इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं.

इस फोरलेन के बन जाने से पटना-गया-डोभी के बीच दर्जन भर स्थानों पर लगने वाले जाम से लोगों को मुक्ति मिल जाएगी. जहानाबाद की सीमा पार करने के बाद यह फोरलेन गया में खनेटा के आगे पड़ाव मैदान होते हुए बेलाडीह से पूरब लोदीपुर तक जाएगा. फिर चाकंद से बारा गांव, कुजाप, नियाजीपुर परसावां, घुटीया होते हुए बोधगया दोमुहान तक जाएगा. फिर वहां से यह फोरलेन डोभी तक चला जाएगा, लेकिन इस फोरलेन के समय सीमा में नहीं बनने की आशंका से लोगों में निराशा है. क्योंकि इस फोरलेन के बन जाने से गया से पटना और पटना से गया समेत दक्षिण बिहार व झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के आने-जाने में समय की काफी बचत होगी. साथ ही बौद्ध सर्किट से जुड़े वाराणसी, सारनाथ, बोधगया, पटना और वैशाली आने-जाने में विदेशी पर्यटकों को काफी आसानी होगी और साथ ही समय की बचत भी. लेकिन अभी इस फोरलेन के निर्माण कार्य में विभिन्न स्तरों पर उदासीनता के कारण बौद्ध पर्यटन स्थलों तक पहुंचने में विदेशी पर्यटकों को काफी परेशानी हो रही है.

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