cm-in-charkhariसूखा, भुखमरी और प्यासमरी से आक्रांत बुंदेलखंड बिजलीमरी का भी शिकार है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड को 24 घंटे बिजली मुहैया कराए जाने का निर्देश दे रखा है. लेकिन वहां 20-20 घंटे बिजली नहीं दी जा रही. लोग त्राहिमाम हैं. बिजलीमरी के खिलाफ लोग धूप में धरना दे रहे हैं, लेकिन बिजली विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों से लेकर शासन-प्रशासन तंत्र के नुमाइंदों का लोगों की त्रासदी से कोई लेना-देना नहीं है. यहां तक कि महोबा दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने भी इस मामले में कोई सुध नहीं ली, अपना ही वादा कार्यान्वित हो रहा है कि नहीं इस बारे में कोई खोज-खबर भी नहीं ली. मुख्यमंत्री के इस रवैये से क्षेत्र में लोगों के बीच घनघोर निराशा और गुस्सा है. लोगों की नाराजगी है कि मुख्यमंत्री ने भयंकर गर्मी में भीषण बिजली कटौती व बिजली जुल्म का शिकार जनता को राहत देने के लिए दो शब्द भी नहीं बोले.

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बुंदेलखंड के ह्रदयस्थल महोबा में आजकल भीषण कटौती व तेज गति से भाग रहे घटिया मीटरों से गरीब जनता में हाहाकार मचा हुआ है. यहां 15 से 20 घंटे की बिजली कटौती चल रही है. लेकिन हर उपभोक्ता का मासिक बिल पांच से 10 हजार रूपये आ रहा है. गांवों में जहां मुश्किल से कुछ देर के लिए बिजली आती है, वहां भी लोगों के बिजली बिल हर महीने हजारों रुपये के आ रहे हैं. लोगों की नींद उड़ी हुई है. ग्राम धरौनमाफ के सुरेश प्रजापति कहते हैं कि अभी तक हम पानी के लिए परेशान थे, अब मनमाने बिजली बिलों ने हमारी नींद उड़ा दी है. बिजली आती नहीं, लेकिन हर महीने डेढ़ हजार का बिल जरूर आ जा रहा है. बड़ी संख्या में लोगों को लगने लगा है कि उन्होंने बिजली लगवाकर बड़ी गलती कर दी. वे मानते हैं कि इससे बेहतर तो वे पहले थे. जनता अब मांग कर रही है कि बिजली के कनेक्शन काट दो. उन्हें अब बिजली नहीं चाहिए.

घटिया मीटरों को बदलवाने और जनता पर हो रहे बिजली जुल्म को रोकने के लिए बुंदेली समाज पिछले करीब ढाई महीने से महोबा के ऐतिहासिक आल्हा चौक पर अनशन व उपवास कर रहा है. शासन-प्रशासन को इस धरना का बाकायदा संज्ञान है, फिर भी सरकार इस मसले को गंभीरता से नहीं ले रही है. उल्टे स्थानीय प्रशासन ने जनता को इस मुसीबत से मुक्त कराने के बजाय अनशनकारियों का ही दमन और उत्पीड़न शुरू कर दिया है. प्रशासन ने बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर, संरक्षक सुखनंदन सिंह यादव, महामंत्री अजय बरसैया के आवास की बिजली काट दी और अनशन को सरकार विरोधी घोषित कर दिया. अब बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने उत्पीड़न के खिलाफ शीघ्र ही आमरण अनशन पर जाने की चेतावनी दी है और कहा है कि अगर शासन ने महोबा में लगे सभी घटिया मीटर तत्काल नहीं बदले और फर्जी बिलिंग के जरिए जनता का उत्पीड़न बंद नहीं किया तो उनको मजबूरन यह कदम उठाना पड़ेगा. गौरतलब है कि अनशनकारी बुंदेली समाज व बिजली विभाग के अफसरों के बीच दो बार समझौता हो चुका है. 

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महोबा के सभी 18 हजार उपभोक्ताओं के बिल एक महीने में सही करने का वादा किया गया, लेकिन बाद में फर्जीवाड़ा खुलने के डर से उसे टाल दिया गया. अकाल के दौर में सरकार यहां की भूखी प्यासी जनता को आटा भाटा बांटकर राहत पहुंचाने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस भ्रष्टाचार जनित समस्या से जनता को उबारने का काम नहीं कर रही. सरकार ने सभी राजस्व वसूली रोकने की घोषणा कर रखी है, लेकिन महोबा में तेज गति से भाग रहे घटिया मीटरों से बिल भेजकर बिजली विभाग गरीब जनता का खून चूसने में जुटा हुआ है. बिल जमा न होने पर इस भीषण गर्मी में उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं. लोगों में सरकार के इस रवैये से भारी नाराजगी का माहौल है. महोबा के 18 हजार बिजली उपभोक्ता इस कारण सदमे में चले गए हैं.

बुंदेली समाज के संरक्षक सुखनंदन सिंह यादव ने बताया कि यहां बिजली उपभोक्ताओं के अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. उनका व संयोजक तारा पाटकर का कोई बकाया नहीं था. हम लोग हर महीने आ रहे बिल जमा करते हैं. लेकिन धरना देने के कारण बौखलाए अफसरों ने बदले की भावना से हमारी बिजली काट दी. भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी करके लगवाए गए खराब मीटरों से आ रहे अनाप-शनाप बिजली बिलों को माफ किए जाने को लेकर धरनारत लोगों ने अनोखा किंतु दर्दनाक धूप सत्याग्रह भी किया. इसमें अनशनकारी चिलचिलाती धूप में आल्हा चौक पर बड़ी संख्या में एकत्र होकर दिनभर नंगे पांव खड़े रहे.

बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि समूचे बुंदेलखंड में इस वक्त प्राकृतिक आपदा के साथ बिजली आपदा भी आई हुई है, जिसमें फंसकर यहां की 90 फीसदी जनता कराह रही है. यह आपदा बिजली विभाग के अफसरों और दलालों द्वारा पैसे एंठने के लिए भेजे जा रहे लाखों के बिजली बिलों से आई है. इन उल्टे-सीधे बिलों को निरस्त कर बिजली शुल्क की माफी ही अब इस समस्या का समाधान है. पाटकर ने कहा कि बिजली दलालों और बिजली अफसरों के गठजोड़ को तभी तोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि जब तक बुंदेलखंड में बिजली बिल माफ नहीं किए जाते, बुंदेली समाज का अनशन जारी रहेगा. पाटकर ने कहा कि बिजली विभाग के भ्रष्टाचार के खिलाफ महोबा की जनता के सड़क पर उतर आने से विभाग के भ्रष्ट अधिकारी बौखला गए हैं और इस बौखलाहट में विरोध प्रदर्शनों को नेतृत्व देने वाले लोगों को दलाल और बिचौलिया और तमाम ऐसे संबोधनों से विभूषित कर रहे हैं, जिसके वे खुद योग्य हैं. लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की इन हरकतों से जनता का आंदोलन और गहराता ही जा रहा है.

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अंधेरे में डूबे हैं सैकड़ों गांव

महोबा के पनवाड़ी विकास खंड क्षेत्र में बिजली आपूर्ति बिल्कुल ही ठप्प है. इस वजह से सैकड़ों गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं. ग्रामीणों का बुरा हाल है. बिजली न आने से पेयजल संकट और बढ़ गया है. ब्लॉक पनवाड़ी के ग्राम महोबकंठ, नकरा, बैदां, मसूदपुरा, नगारा घाट, दिदवारा, बहादुरपुरा, किल्हौवा, पहाड़िया, भरवारा, तेइया, जखा, तुर्रा, सुगिरा सहित कई की बिजली आपूर्ति ठप्प पड़ी है. कस्बे के बैल बाजार और मुल्लनपुरा मोहल्लों में कई दिनों से ट्रांसफार्मर फुंके पड़े हैं. बिजली महकमा ट्रांसफार्मर बदलवाने की सुध नहीं ले रहा है. बिजली विभाग के एक्सईएन, एसडीओ और जेई को कई बार सूचना देने के बावजूद ट्रांसफार्मर नहीं बदलवाए जा रहे हैं.

भूखे-प्यासे महोबा में अखिलेशी बौछार

भूख और प्यास के शिकार बुंदेलखंड में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अब तालाब खोदवा रहे हैं. जब सारे तालाब खनन माफियाओं ने खोद डाले तब अखिलेश यादव आठ तालाबों के लोकार्पण का चुनावी प्रहसन खेल रहे हैं. पिछले दिनों मुख्यमंत्री समाजवादी जल संचय योजना के तहत तालाबों की खुदाई की जमीनी हकीकत जानने के लिए चरखारी पहुंचे. जो लोग जमीनी हकीकत जानते हैं, वे सब मुख्यमंत्री से बहुत दूर रखे गए और चाटुकार-भांड नजदीक. कुछ तालाबों के पुनर्जीवन निर्माण कार्यों का उन्होंने निरीक्षण करने की औपचारिकता निभाई और जयसागर, कोठीताल, बंसिया ताल, मलखान तालाब, रपट तलैया, गुमान बिहारी तालाब, रतनसागर और गोलाघाट तालाब को फिर से जनता को अर्पित कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए समाजवादी सरकार ने एक दिन में पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. एक दिन में पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य खुद ही बताता है कि यह लक्ष्य कागजों पर कैसे पूरा हो जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी सरकार संकट की घड़ी में बुंदेलखंड के लोगों के साथ खड़ी है, लेकिन उन्होंने बिजली से बेहाल जनता के बारे में कोई सुध ही नहीं ली.

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