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राज्य में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के लिए बिहार सरकार 11 फरवरी को शुरू होने वाले विधानमंडल के बजट सत्र में विधेयक लाएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधिक परामार्श लेने के बाद यह निर्देश दिया कि बजट सत्र में इसके लिए विधेयक लाया जाए.

उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा  है कि सभी प्रक्रियाएं फरवरी माह में ही पूरी कर ली जाएं. मुख्यमंत्री ने सवर्ण आरक्षण के संबंध में मुख्य सचिव दीपक कुमार, महाधिवक्ता ललित किशोर, सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव आमिर सुबहानी, अपने प्रधान सचिव चंचल कुमार और सचिव मनीष कुमार वर्मा के साथ बैठक की.

महाधिवक्ता ललित किशोर ने कानूनी परामर्श दिया. परामर्श मिला कि सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को ले अलग से अधिनियम बनाया जाना जरूरी है. एग्जक्यूटिव ऑर्डर से यह संभव नहीं. मुख्यमंत्री ने सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस बारे में निर्देश दिया.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रक्रियाएं फरवरी माह में ही पूरी कर ली जाएं. इस मसले पर एक हफ्‌ते से मंथन चल रहा था. दो विकल्प पर बातें हो रही थीं. एक विकल्प यह था कि इसे एग्जक्यूटिव ऑर्डर से लागू किया जाए जबकि दूसरा विकल्प यह था कि इसके लिए विधानमंडल में विधेयक लाया जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सवर्णों को आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के पक्षधर रहे हैं. उनका कहना है कि सवर्ण अगर गरीब हैं, तो उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए ?

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