भोपाल। लंबे समय से टल रही एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन) की मप्र आमद के रास्ते अब आसान होते नजर आ रहे हैं। इस विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय चुनौती देने के मकसद से ओवैसी की इस सियासी पार्टी ने अपने पैर पसारना शुरू कर दिए हैं। संभवतः इस सप्ताह में पार्टी की नई प्रदेश इकाई का ऐलान हो सकता है। छोटी पार्टियों से जुड़े रहे कुछ लोग इसमें शामिल होने की तैयारी में हैं। जबकि भाजपा और कांग्रेस से उपेक्षित कई नेताओं ने भी इस तरफ कदम बढ़ाना शुरू किए हैं।

सूत्रों का कहना है दो बार विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमा चुके शमसुल हसन जल्दी ही एमआईएम में शामिल होने का ऐलान करने वाले हैं। लंबे समय तक समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हसन ने वर्ष 2008 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर उत्तर विधानसभा से लड़ा था। बाद में वर्ष 2013 के चुनाव में आजाद उम्मीदवार के तौर पर मध्य विधानसभा की तरफ रुख किया। हालांकि दोनों चुनाव में उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था। हसन का कहना है कि प्रदेश की सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों ही पार्टियां आम आदमी की मुश्किलों को नहीं समझ पा रही हैं। ऐसे में एक तीसरे मोर्चे की प्रदेश में सख्त ज़रूरत है।

प्रदेश में एमआईएम की स्थिति
हैदराबाद और महाराष्ट्र में अपना वजूद रखने वाली एमआईएम मप्र में लंबे समय से अपनी जमीन तलाश रही है। पार्टी ने पहले भोपाल के मुफ्ती आमिर जमाल को राजधानी में पार्टी को स्थापित करने की जिम्मेदारी दी। बाद में ये दायित्व इंदौर के हिस्से चला गया लेकिन दोनों ही नेता पार्टी को पहचान नहीं दे पाए। एमआईएम के सर्वेक्षक और पर्यवेक्षक कई बार भोपाल और इंदौर समेत प्रदेश के कई बड़े शहरों में रायशुमारी कर चुके हैं लेकिन उन्हें अब तक कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिल पाया, जो एमआईएम को प्रदेश में पहचान दिला सके।

कांग्रेस के उपेक्षितों पर भी नजर
एमआईएम की प्रदेश में आमद की खबरों के साथ ये बात भी उठती रही है कि कांग्रेस के कई पुराने कार्यकर्ता और नेता एमआईएम का रुख करने को लालायित हैं। सूत्रों का कहना है कि पिछली बार एमआईएम के पर्यवेक्षक दल से मुलाकातों के दौर में सबसे ज्यादा संख्या कांग्रेस के उपेक्षित नेताओं की ही थी।

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