सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि आपूर्ति की अधिकता के बीच अधिकांश उत्पादक राज्यों में थोक बाजारों में टमाटर की कीमतें 4 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गई हैं। वास्तव में, सरकार द्वारा निगरानी किए गए 31 में से 23 उत्पादक केंद्रों में टमाटर के थोक मूल्य एक साल पहले की अवधि से 50 प्रतिशत या तीन साल के मौसमी औसत से नीचे थे। वर्तमान में फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के शुरुआती खरीफ (गर्मी) मौसम की टमाटर की फसल की कटाई की जा रही है।

आंकड़ों के मुताबिक, देश के शीर्ष टमाटर उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश के देवास में टमाटर का थोक भाव इस साल 28 अगस्त को गिरकर 8 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 11 रुपये प्रति किलोग्राम था।

यूपी में भी गिरे दाम
उत्तर प्रदेश में भी टमाटर की कीमतें इस साल 28 अगस्त को 8 से 20 रुपये प्रति किलो के बीच रहीं। ये एक साल पहले इसी अवधि में 14 से 28 रुपये प्रति किलो थीं। पश्चिम बंगाल में टमाटर का थोक मूल्य घटकर 25 से 32 रुपये प्रति किलो हो गया। पिछले साल यह इसी अवधि में 34 से 65 रुपये प्रति किलो थीं।

दिल्ली की मंडी में भी घटे दाम
दिल्ली की आजादपुर मंडी में टमाटर का थोक भाव 28 अगस्त को घटकर 24 रुपये प्रति किलो रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 36 रुपये प्रति किलो था। मुंबई में टमाटर का थोक भाव 30 रुपये प्रति किलो से घटकर 12 रुपये प्रति किलो हो गया, जबकि बेंगलुरु में उक्त अवधि में 30 रुपये प्रति किलो से घटकर 8 रुपये प्रति किलो हो गया।

आपूर्ति की भरमार के कारण बने ये हालात
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के कार्यवाहक निदेशक पी के गुप्ता के अनुसार ‘आपूर्ति की अधिकता के कारण प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में कीमतें दबाव में आ गई हैं। अनुकूल मौसम के कारण टमाटर की फसल अच्छी रही है। अगर खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां बचाव में आगे आती हैं तो किसानों को कीमतों में गिरावट से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।’

उत्पादन 2.10 करोड़ टन
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत में टमाटर उत्पादन 2020-21 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में 2.20 प्रतिशत बढ़कर 2.10 करोड़ टन हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 2.05 करोड़ टन था।

 

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