आप लोगों ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के पहले चुनाव आचार संहिता की घोषणा की है और उसमें जात धर्म या किसी देवी-देवताओं की आलोचना करने की मनाही की है और इस आचार संहिता के उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई करने की बात भी कही है ! गत एक महिने से पहले ही चुनाव की प्रचार सभाओं का दौर शुरू हो गया है और मुख्य रूप से जिन्होंने अपने देश के संविधान की शपथ लेकर प्रधानमंत्री का पद सम्हालने वाले नरेंद्र मोदी के आयेदिन की सभाओं के भाषण पहले हिंदूओं की संपत्ति ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस बाँटने वाली है से लेकर दलितों तथा आदिवासी तथा पिछड़ी जातियों का आरक्षण भी मुसलमानों को देने वाले हैं से लेकर राहुल गांधी को पाकिस्तान भारत का प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश कर रहा है जैसे झुठे और गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी करते जा रहे हैं ! लेकिन आपने जो आचारसंहिता का एलान किया था क्या यह उसका उल्लंघन नहीं चल रहा है ? क्या हो गया है आप लोगों को टी एन सेशन ने और अन्य चुनाव आयुक्तों ने इस देश के चुनाव आयोग को जिस मुकाम तक पहुंचाया है ! कम-से-कम उसका ख्याल रखते हुए और आपके द्वारा घोषित की गई आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नरेंद्र मोदी को आप लोगों ने अभितक कोई नोटिस तक नहीं दी कारवाई तो बहुत दूर है ! क्या मजबूरी है आप लोगों की ? क्यों महात्मा गाँधी के तीन बंदरों के जैसे अंधे, बहरे और मुक होकर बैठे हो ? कम-स-कम अपने संविधानिक कर्त्तव्यों का पालन तो किजिये ! अन्यथा इस देश का नरेंद्र मोदी के सांप्रदायिक ध्रविकरण के राजनिती से इस देश की एकता और अखंडता खतरे में चली जा रही है और देश और दुसरे बटवारे के संकट की और ढकेला जा रहा है ! और ढकेलनेवाला व्यक्ति और कोई नहीं इस देश का प्रधानमंत्री है !


1905 मे लार्ड कर्झन ने हिंदू-मुस्लिम आधार पर पहली बार बंगाल के बटवारे की बात थी ! और संपूर्ण बंगाल मे उसके विरोध स्वरूप जबरदस्त आंदोलन शुरू हुआ था ! और उसीके निषेध मे रवींद्रनाथ टैगोर ने नाइट हूड का पुरस्कार ब्रिटेन की महारानी को वापस किया है ! और सही मायने मे बंगाल मे अंग्रेजी राज के खिलाफ लड़ने के लिए बंगाली समाज मे सभी क्षेत्रों में आग की तरह असंतोष फैला है ! यह भी एक इतिहास आजसे एक सौ उन्नीस साल पहले का है !


उसके बीस साल बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 1925 के दिन दशहरे की तिथि पर, स्थापित करन के बाद, भारत के जिन हिस्सोमे अपने कार्य को फैलाने के लिए नागपुर से महाराष्ट्रीय ब्राम्हण प्रचारक भेजे थे ! और वह वर्तमान बंगला देश के, नोवाखली से लेकर मैमनसिह और ढाका में संघ के कार्य को फैलाने के लिए विशेष रूप से भेजे गए थे !


हालाँकि 1906, यानी बंगाल के बटवारे की कोशिश के दुसरे ही साल, ढाका के नवाब और प्रिंस आगाखान और मुसलमान जमीदार और नवाबी समुदाय के लोगों की पहल से, मुस्लिम लीग, जिसे पडदे के पिछेसे अंग्रेजी राज भी बखूबी मदद कर रहा था ! क्योंकि 1905 के बटवारे की कल्पना को बंगाली समाज के विरोध के कारण अंग्रेजी राज के लोगों को बटवारा छोड़ने की बात नागवर लगी थी ! और इसलिये फुट डालो राज करो की नीति के तहत, 1906 मे मुस्लिम लीग ! और 1909 मे हिंदुमहासभा, जो की भारत की हिंदू जमीदार और राजे रजवाड़ों की पहल से शुरू की गई है ! और इन दोनों सांप्रदायिक संगठनों को अंग्रेजी राज के लोगोंने फलने-फूलने के लिए काफी मदद की है !


1947 को भारत के आजादी के साथ अंग्रेजी राज के लोगों की फुट डालो राज करो की नीति के कारण ही, बटवारे की नौबत आ गई थी ! और चालीस साल पहले बंगाल के बटवारे की कल्पना को अंतिम रूप से पंद्रह अगस्त 1947 को अंग्रेजी राज के लोगों को अपनी मुहर लगाने मे कामयाबी मिली !


14 मई 1948 को फिलिस्तीन और इस्राइल के बटवारे की बात भी, दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करने के लिए, द्वितिय विश्व युद्ध के बाद, दुनिया के काफी देशो में इस तरह के बंदरबाट करने का काम तथाकथित दोस्त राष्ट्रों ने कर के ! और तथाकथित शीत युद्ध के दिनों में भी गत पचहत्तर सालो से वे अपने दबदबे को कायम रखने मे कामयाब रहे हैं ! और आज विश्व की अशांति का कारण तथाकथित प्रथमं विश्व के मुल्कों द्वारा समस्त द्वितीय और तृतीय श्रेणी के देशों का शोषण कर रहे हैं !
लेकिन संघ परिवार और उसकी राजनीतिक इकाई, वर्तमान में बीजेपी देशभक्ति की आडमे, लगभग सौ साल पहले से अंग्रेजी राज के लोगों की मदद से, और अब तथाकथित साम्राज्यवादी देशों की शह पर, भारत में पहले आजादी की लडाई के विरोध मे, फिर आजादी के बाद विशुद्ध रूप से सांप्रदायिक राजनीति शुरू कर के, गुजरात नाम का प्रयोग जिसके प्रमुख वैज्ञानिक वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी नाम का एक संघ प्रचारक ! अचानक 2002 मे तात्कालिक तौर पर दिल्ली से भेजा जाता है ! उसे मुख्यमंत्री बनकर चार महीने भी पूरे नही हुऐ थे ! तो 27 फरवरी 2002 के दिन गोध्राकांड पर 28 फरवरी से मुख्यमंत्री का काम राज्य की कानून व्यवस्था बनाए रखने की शपथ इस आदमी ने ली थी ! लेकिन उसके बावजूद 28 फरवरी की कैबिनेट मिटिंग में नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों तथा बैठक में शामिल अन्य अधिकारियों को कल से गुजरात मे जो भी कुछ होगा वह होने देना है ! और कोई हिंदूओको रोकेगा या टोकेगा नहीं !


यह बात जस्टिस कृष्णा अय्यर के नेतृत्व में ‘क्राइम अगेन्स्ट हुमानीटी’ नाम के इन्क्वायरी कमीशन के सामने तत्कालीन गृहराज्य मंत्री हरेन पंडया ने शपथ के साथ कहीं है ! और वैसे ही गुजरात केडर के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी कहा है कि नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी की श्याम को केबिनेट की बैठक में “कल से गुजरात में हिंदूओ के तरफसे जो भी प्रतिक्रिया होगी उसे कोई नहीं रोकेगा ! ”


और उस बात की पुष्टि 28 फरवरी की श्याम से तीन हजार भारतीय सेना के जवानों को लेकर गये लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दींन शाह ने अपनी सरकारी मुसलमान नाम की आत्मकथा में भी लिखी है ! कि” हम तीन दिन अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पडे रहे! ! लेकिन नरेंद्र मोदी ने हमें एयरपोर्ट के बाहर नहीं निकलने दिया ! और गुजरात जल रहा था !”
फिर राना अयूब की ‘गुजरात फाइल्स’ ,आर बी श्री कुमार की और मनोज मित्ता से लेकर सिद्धांर्थ वरदराजन, आशिश खैतान और दर्जनों लोग,पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओने गोध्राकांड के बाद भारत के आजादी के बाद भारत के किसी भी राज्य में सरकार प्रायोजित कार्यक्रम यानी गुजरात का दंगा ! इस विषय पर काफी कुछ लिखा गया है !


तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री. अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी के रहने के बावजूद “नरेंद्र मोदी ने राजधर्म का पालन नहीं किया” यह बात अहमदाबाद में कहीं है ! और उसके बाद गोआ की बीजेपी के बैठक मे, नरेंद्र मोदी के इस्तीफे स्वीकार करने की तैयारी से अटल बिहारी वाजपेयी बैठे थे ! लेकिन लालकृष्ण आडवाणी ने अपने वेटो का इस्तेमाल कर के नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर को कायम रखने की भुमिका निभाते हुए, ( आज भले ही पछताते हुए, आहे भर रहे होंगे ! ) लेकिन नरेंद्र मोदी के तारनहार लालकृष्ण आडवाणी ही रहे हैं यह सही है !
नरेंद्र मोदी देश की 10 साल सत्ता पर रहने के बाद, अब पुनः तीसरी बार सत्ता में आना चाहते हैं ! और इस कारण वह सत्ता के नशे में अंधे हो गये हैं ! क्योंकी बटवारे के बावजूद भारत में कस-मे-कम दुनिया के दो नंबर की जनसंख्या मे मुसलमान रहते हैं !
और नरेंद्र मोदी की इच्छा हो या नहीं यह मुसलमान कही भी नहीं जानेवाले ! और कितने भी गुजरात कर लो ! दुनिया के इतिहास मे इतनी बड़ी संख्या में किसी भी युद्ध या हिटलर जैसी फासिस्ट पद्दती से कितने लोगों को मौत के घाट उतार सके ?
और सबसे अहम बात भारत का संविधान इस तरह के निर्णय की इजाजत नहीं देता है ! जिसपर हाथ रखकर आपने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है !


लेकिन नरेंद्र मोदी के तीन बार मुख्यमंत्री की शपथग्रहण और दोबारा भारत के प्रधानमंत्री के पद की शपथ इस आदमी ने ली ! और “भारत मे रहने वाले हर आदमी-औरत भले उनके धर्म,जाती और किसी भी लिंग के रहते हुए मै मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री के नाते जानमाल की रक्षा करने का आश्वासन देता हूँ !”
इस तरह की शपथ नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनो ने लेने के बावजूद ! गुजरात के कांड को इस साल बाईस साल पूरे हो गए है ! लेकिन भारत के चुनाव आयोग अंधा,बहरा और गुंगा हो गया है ! नरेंद्र मोदी के और अमित शाह दोनो ने राजस्थान असामसे लेकर केरल,तमिलनाडू , पुद्दुचेरी और बंगाल के चुनाव के प्रचार सभाओमे जीस तरह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके चुनाव प्रचार कर रहे हैं ! और इस सांप्रदायिक जहरीला प्रचार को अभितक रोकने के लिए कोई पहल नहीं की गई है वर्तमान भारत के चुनाव आयोग ने मुकदर्शक बनकर बैठा है यह बहुत ही चिंता का विषय है !


नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनो को बाल ठाकरे के जैसा कम-से-कम छह साल के लिए चुनाव में भाग लेने के लिए मना करने की मांग करता हूँ ! क्योकिं नरेंद्र मोदी और अमित शाह भारत के सबसे महत्वपूर्ण संविधानीक पदोपर रहते हुए ! जीस तरह के जहरीले और देश की अखंडता-एकता के साथ खिलवाड़ करते हुए चुनाव प्रचार कर रहे है ! उसके शेकडो प्रमाण उप्लब्ध हैं ! इसलीये मै नरेंद्र मोदी के और अमित शाह दोनो ने हमारे संविधान का अपमान करने का काम कर के चुनाव आयोग ने घोषित की हुई चुनाव के आचारसंहिता के उल्लंघन अपराध करने के कारण करवाई की मांग कर रहा हूँ !

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