bakraur-villageप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित सांसद आदर्श ग्राम योजना का मगध में बुरा हाल है. प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि प्रत्येक सांसद अपने क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर उसका सर्वांगीण विकास करेंगे. सांसदों ने शुरू में धूमधाम से अपने आदर्श ग्रामों में कार्यक्रम कराकर गांवों को विकसित करने का वादा किया था.  इस योजना के घोषित हुए डेढ़ साल से अधिक हो गए, लेकिन इन गांवों की तस्वीर नहीं बदली. समझ सकते हैं कि इन गांवों के विकास में सांसदों की कितनी रुचि हैै. जब सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत डेढ़ साल में भी एक गांव का विकास नहीं हो सका, तो अनुमान लगाया जा सकता है कि विकास की अन्य बातें कितनी सही होंगी.

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मगध के चार संसदीय क्षेत्र में एनडीए के सांसदों ने अपने-अपने क्षेत्र के चर्चित ऐतिहासिक-धार्मिक गांवों का चयन सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत किया था. गया संसदीय क्षेत्र के सांसद हरि मांझी ने बोधगया प्रखंड के बकरौर गांव, औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने टिकारी प्रखंड के धार्मिक महत्व वाले केसपा गांव, जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार ने मखदुमपुर प्रखंड के धराउत गांव, तो नवादा के सांसद और केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जन्मस्थली खनवां का चयन किया था. घोषणा के कुछ दिनों बाद इन गांवों में सांसदों ने ग्रामीणों को बताया कि आपके सहयोग व सरकारी योजनाओं के सहारे इन गांवों की तस्वीर बदलने वाली है. किसी भी तरह के कार्य के लिए ग्रामीणों को प्रखंड या अन्य किसी कार्यालयों का चक्कर नहीं लगाना होगा. लेकिन डेढ़ साल बीतने के बाद भी इन गांवों की तस्वीर जस की तस है.

गया के सांसद हरि मांझी द्वारा गोद लिया गया बकरौर गांव भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति से जुड़ा है. तपस्यारत सिद्धार्थ गौतम को इसी गांव की सुजाता ने खीर खिलाया था. इसके कुछ दिनों बाद भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. यहां खुदाई के दौरान सुजातागढ़ नामक बौद्धस्तूप मिला है. 1865 में यहां प्रसिद्ध अंग्रेज इतिहासकार कनिंधम भी आए थे. सांसद ने इस गांव को गोद तो ले लिया, लेकिन कभी इस गांव की सुध नहीं ली. इस गांव में विद्युतीकरण भी पूरी तरह से नहीं हो पाया है. यहां तक कि ट्रांसफर्मर भी नहीं लगे हैं.  27 चापाकल लगाने की योजना भी हवा-हवाई साबित हुई. निमा-बकरौर पईन का जीर्णोद्धार नहीं हो पाया है. ग्राम कचहरी को अपडेट करते हुए वहां कम्प्यूटराजेइशन होना था, जो अभी तक नहीं हो सका है. 171 बीपीएल परिवारों के लिए आवास निर्माण की योजना भी अधर में है. यहां स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना भी नहीं हो सकी है. बकरौर से मोहनपुर तक जाने वाली सड़क का निर्माण हो चुका है. सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत अभी तक केवल इस सड़क का निर्माण कार्य ही हुआ है.

औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले टिकारी विधानसभा क्षेत्र के केसपा गांव को गोद लिया है. यह गांव मां तारा देवी की प्राचीन मंदिर के कारण प्रसिद्ध है.  सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गांंव में ग्राम पंचायत की नियमित बैठक, पक्के मकान व सड़क का निर्माण, गलियों और नालियों का पक्कीकरण, स्वच्छ पेयजल, बिजली, सिंचाई, स्कूल व स्वास्थ्य सेवा की समुचित सुविधा उपलब्ध कराने की बात थी. लेकिन इस गांव में किसी तरह का विकास नहीं हुआ. प्रखंड व अनुमंडल मुख्यालय टिकारी से केसपा गांव जाने वाली सड़क खस्ताहाल है. विकास कार्य के नाम पर गया के जिला पदाधिकारी की ओर से गांव में लगाने के लिए बीस सोलर लाइटें मिली थीं. इन सभी लाइट्‌स को भी गांव में जहां-तहां लगाकर केवल खानापूर्ति की गयी. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि इस योजना के तहत गोद लेने के बाद गांव की तस्वीर बदल जाएगी. साथ ही मां तारा देवी की यह प्राचीन भूमि बिहार के चर्चित धार्मिक पर्यटन स्थलों में शामिल हो जाएगी.

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नवादा के सांसद व केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने नरहट प्रखंड के खनवां गांव को गोद लिया है. यह गांव बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की जन्मभूमि है. खनवां गांव डॉ. श्रीकृष्ण सिंह का ननिहाल है. वे बचपन में यहीं पढ़े-लिखे थे. दस हजार की आबादी वाले इस गांव में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत घोषित कोई भी काम अभी तक नहीं हुआ है. हालांकि यहां सड़क, बिजली की व्यवस्था पूर्व से ही ठीक ठाक है.

जहानाबाद के संासद अरुण कुमार ने अपने संसदीय क्षेत्र के मखदुमपुर प्रखंड के धराउत गांव को गोद लिया है. यह गांव राजा चन्द्रसेन की राजधानी थी. यह गांव बौद्ध धर्म से भी जुड़ा है. इस गांव में खुदाई के दौरान बहुत सी बुद्ध की मूर्तियां भी मिली हैं. सांसद के प्रयास से इस गांव में सड़क व पावर सबस्टेशन बना है. उच्च विद्यालय की आधारशिला रखी गई है. इसके साथ ही 52 बीघा के विशाल तालाब को विकसित करने की भी योजना है. इस गांव में संासद अरुण कुमार के व्यक्तिगत प्रयास से कुछ विकास कार्य हुए हैं. लेकिन प्रशासनिक तथा संबंधित विभागों से समुचित सहयोग नहीं मिलने के कारण कई कार्य अधूरे पड़े हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रामीण विकास की गति तेज करने के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी.

प्रत्येक सांसद को अपने पांच साल के कार्यकाल में कम से कम तीन गांवों को गोद लेकर विकसित करने की योजना थी. हालांकि इस योजना के तहत गांवों में विकास कार्यों के लिए अलग से फंड की घोषणा नहीं होने के कारण अपेक्षित तेजी नहीं आई. संबंधित विभागों की विभिन्न योजनाओं से ऐसे गांवों में प्राथमिकता के आधार पर कार्य किए जाने की योजना थी. लेकिन सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत मगध के चार संसदीय क्षेत्र के इन चार गांवों की तस्वीर भी सांसद अपने पांच साल के कार्यकाल में बदल सकें, तो कहा जा सकता है कि उन्होंने कुछ विकास कार्य किया है. लेकिन इन गांवों में विकास कार्यों की रफ्‌तार देखकर यह नहीं लगता कि फिलहाल यहां की तस्वीर बदल पाएगी.

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