10यह बात अब साफ़ हो गई है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों में कोई भी दूध का धुला नहीं है, दोनों राष्ट्रीय दलों के दागी नेता चुनाव मैदान में हैं. भाजपा और कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में दो ऐसे नेताओं को मैदान में उतारा है, जो हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहे हैं. भाजपा नेता रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार में रेणुका रावत के सामने और कांग्रेस के डॉ. हरक सिंह रावत को पौड़ी से जनरल भुवन चंद्र खंडूडी के मुकाबले चुनाव मैदान में उतारा गया है. इन दोनों नेताओं (निशंक-हरक) का विवादों से गहरा नाता रहा है. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा शासन के दौरान हुए भ्रष्टाचार, तो हरक सिंह रावत निजी ज़िंदगी से लेकर भ्रष्टाचार तक के आरोपों से घिरे रहे हैं. इसलिए इन दो प्रत्याशियों को लेकर दोनों दलों को एक-दूसरे पर निशाना साधने का मा़ैका मिल रहा है. रमेश पोखरियाल निशंक की तो पीएचडी की डिग्री विवादित रही है.
आरोप है कि निशंक बिना पीएचडी किए फर्जी तौर पर अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखते चले आ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को मुद्दा भी बनाया था. यहां तक कि कांग्रेस ने जिन 419 घोटालों का आरोप-पत्र बनाकर राष्ट्रपति को सौंपा था, उनमें से अधिकांश निशंक के समय के थे. स्टर्डिया भूमि घोटाला, 56 हाइड्रो प्रोजेक्ट्स का आवंटन, 2011 की दैवीय आपदा और हरिद्वार का कुंभ घोटाला आदि मामलों को लेकर कांग्रेस भाजपा, खासकर निशंक को घेरती रही है. ये मामले उत्तराखंड के जाने-माने लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने अपने गीतों के जरिये भी उठाए थे.
देखना यह है कि इन मामलों को हरिद्वार में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी मुद्दा बना पाते हैं या नहीं. पौड़ी से कांग्रेस के प्रत्याशी हरक सिंह रावत तिवारी सरकार के समय राजस्व मंत्री थे, लेकिन जेनी कांड में फंसने के बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा था. बाद में मामले की सीबीआई जांच में वह आरोपों से बरी हो गए थे. 2007 में जब हरक नेता प्रतिपक्ष बने, तो उन पर विकास नगर में क़रीब 100 बीघा भूमि गलत तरीके से हथियाने का आरोप लगा. कृषि मंत्री बनने के बाद वह शिक्षा विभाग की इजाजत के बगैर एक बीईओ दमयंती रावत एवं एक रिश्तेदार प्रधानाचार्य यशवंत सिंह रावत को कृषि विभाग में लाने और मंत्री होने के बावजूद तराई बीज विकास निगम, पूर्व सैनिक कल्याण निगम आदि में लाभ के पद लेने के मामले में विवादित रहे. यही नहीं, पीआरओ युद्धवीर हत्याकांड में हरक सिंह नाम उछलने पर भी तत्कालीन सरकार को विपक्ष का हमला झेलना पड़ा. कुछ माह पहले एक स्थानीय गायिका से भी उनका नाम जोड़ा गया.
बहुगुणा सरकार के जमाने में उनके आवास पर हुई एक दावत में कांग्रेस विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन ने कांग्रेस नेता विवेकानंद खंडूडी पर गोली चला दी थी. यह मामला भी काफी चर्चा में रहा. पौड़ी में भाजपा और अन्य दल इन सब मामलों को लेकर हरक सिंह को घेरने की तैयारी में हैं.
निशंक को भरोसा है कि मोदी लहर के चलते धर्मनगरी हरिद्वार में उनके सभी दाग धुल जाएंगे. वहीं हरीश रावत की धर्मपत्नी रेणुका रावत को पति के जमीनी नेता होने का लाभ मिलने की आशा है. निशंक को त्रिकोणात्मक संघर्ष के साथ-साथ पार्टी का भितरघात भी झेलना पड़ रहा है. उधर हरक समर्थकों का कहना है कि उन्हें युवा होने का लाभ मिल रहा है.

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