katlदुस्साहसिक वारदातों के लिए बदनाम सीतापुर की बदतर कानून व्यवस्था की बदरंग किताब में एक और काला अध्याय जुड़ गया जब छह जून को रात के करीब दस बजे शहर के वीआईपी मोहल्ले में सीतापुर के एक व्यापारी, उनकी पत्नी और बेटे गोली मारकर हत्या कर दी गई और लाखों रुपए लूट लिए गए. डीएम आवास, एसपी आवास और शहर कोतवाली के नजदीक हुई इस सनसनीखेेज वारदात ने पुलिस तंत्र की नाकामी उजागर कर दी है.

सीतापुर शहर के सिविल लाइन निवासी सुनील जायसवाल दालों के थोक व्यापारी थे. सीतापुर के राजा बाजार में उनकी सुनील दाल स्टोर के नाम से दुकान है. आस-पास के कई जनपदों में उनका व्यापार फैला हुआ है. छह जून को सुनील दुकान बन्द करने के बाद अपनी मोटर साइकिल से प्रतिदिन की तरह घर जाने के लिए निकले. उनके घर से करीब चार सौ मीटर दूर शहर कोतवाली, डीएम और एसपी के आवास हैं.

सुनील के पास उस दिन की कमाई का रुपया अधिक था जो एक काले रंग की लेदर बैग, मोटर साइकिल की डिग्गी और पैंट की जेब में रखा हुआ था. यह रकम करीब चालीस लाख रुपए बताई जा रही है. रात करीब 09 बजकर 55 मिनट पर वो जैसे ही अपने घर के बाहर पहुंचे, तीन मोटर साइकिलों पर सवार पांच नकाबपोश सशस्त्र लुटेरों ने पीछे से आकर इन्हें रोक लिया और रुपए से भरा बैग छीनने लगे. कुछ सशस्त्र लुटेरे घर के सामने रोड पर दोनों ओर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैद खड़े थे.

बैग न देने पर लुटेरों ने इन्हें लात मारकर मोटर साइकिल सहित जमीन पर गिरा दिया और बैग छीन लिया. चीखने-चिल्लाने पर लुटेरों ने इनकी गोली मारकर हत्या कर दी. चीख-पुकार और गोलियों की आवाज सुनकर पत्नी कामिनी जायसवाल अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे रितिक के साथ गेट खोलकर बाहर आईं और निहत्थे ही सशस्त्र लुटेरों से भिड़ गईं. दो लुटेरों को उन्होंने जमीन पर पटक भी दिया, इस अन्य लुटेरे उनकी गर्दन से पिस्टल सटाकर गोली मार दी. मां और बाप को रक्त रंजित तड़पता देख रितिक चीखा और घर के अन्दर भागा तो लुटेरों ने उसकी पीठ में गोली मारकर हत्या कर दी और फरार हो गए.

स्वचालित हथियारों सै लैस पेशेवर लुटेरों ने लूट के दौरान जो भी घर से निकला और लूट में बाधक बना, उसी की हत्या कर दी. लुटेरों की सभी गोलियां तीनों के सीने के ऊपर ही मारी गईं, यानि लुटेरे शातिर लुटेरे और शार्प शूटर थे. एक राहगीर ने करीब सौ मीटर दूर खड़ी 100 नंबर की गाड़ी में बैठे पुलिसकर्मियों को सूचना दी, लेकिन उन्होंने अपना इलाका न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया. खास बात यह थी कि पेशेवर लुटेरों को यह बखूबी मालूम था कि घर के पास सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, इस वजह से उन लोगों ने स्ट्रीट लाइट को पहले ही तिरछा करा दिया था और कैमरे के बेहद करीब आए बिना ही वारदात को अंजाम दिया.

खबर है कि वारदात के कुछ घंटे पहले कुछ लोग सीढ़ी लेकर सिविल लाइन पहुंचे थे और उन्होंने खम्भे पर चढ़कर व्यापारी के घर के ठीक सामने की स्ट्रीट लाइट को उल्टी दिशा में घुमा दिया था. उनलोगों ने आस-पास की कई स्ट्रीट लाइटों से भी छेड़छाड़ की थी, ताकि रोड पर अंधेरा रह सके और सीसीटीवी कैमरे भी बेअसर रहें. स्ट्रीट लाइटों से छेड़छाड़ करने वाले लोग कौन लोग थे? इसका जवाब न तो विद्युत विभाग के पास है, न नगर पालिका के पास और न पुलिस के पास. पुलिस इसकी छानबीन भी नहीं कर रही है.

सीसीटीवी में वारदात की स्पष्ट रिकार्डिंग हो जाने के बाद भी बेखौफ लुटेरे शहर की सड़कों पर अपनी रेसर बाइकों से फर्राटे भरते रहे और कुछ दूर जाकर रहस्यमय तरीके से गायब हो गए. शहर के तिराहों और चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे भी उनकी लोकेशन दिखाने में नाकाम ही साबित हुए हैं.

दौलत और शोहरत के धनी इस व्यापारी के परिवार की निर्मम हत्या में पुलिस करीबियों पर शक कर रही है, लेकिन कुछ हासिल करने की दिशा में कुछ नहीं हो रहा है. लुटेरों का मकसद केवल धन लूटना ही नहीं था बल्कि मशहूर दाल व्यापारी और उसके खानदान को नष्ट करना भी था. लेकिन पुलिस को इस एंगल से भी छानबीन करने की फुर्सत नहीं. पुख्ता कानून व्यवस्था का योगी का दावा केवल सत्ता गलियारे की सीमा तक ही सीमित है.

हजारों नाराज व्यापारियों, मजदूरों, सामाजिक संगठनों के कर्ता-धर्ता, अधिवक्तागण और आम लोग घटना के अगले दिन सुबह ही सड़कों पर उतर आए. इस पर सियासत भी होने लगी और यह पूर्व सपा विधायक राधेश्याम जायसवाल और मौजूदा भाजपा विधायक राकेश राठौर के समर्थकों के बीच मारपीट की बदनुमा शक्ल में भी तब्दील हुई.

पूर्व विधायक को मौके से उल्टे पांव भागना पड़ा. देर शाम कोतवाली में पूर्व सपा विधायक राधेश्याम जायसवाल के विरुद्ध मुकदमा भी पंजीकृत किया गया. घटना के खुलासे में पुलिस को नाकाम देख कर व्यापारियों ने तीन दिन शहर बन्द का ऐलान भी किया और शहर की सड़कों पर डेरा डाल दिया. सीतापुर के पुलिस अधीक्षक मृगेंद्र सिंह आए दिन यह डायलॉग मारते रहे हैं, ‘अपराधी शहर छोड़ दें या भूमिगत हो जाए’ं. सीतापुर के इस जघन्य वारदात के बाद पुलिस अधीक्षक का डायलॉग जहरीले तीर की तरह उन्हीं को छेद रहा है.

चिता पर भी सेंक रहे सियासत की रोटी

जनता की अदालत से बेइज्जत करके भगाए कुछ सफेदपोश तिहरे हत्याकांड पर अपनी सियासी रोटियां सेंकने से बाज नहीं आ रहे. धौरहरा के पूर्व कांग्रेसी सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद, कांग्रेस के पूर्व एमएलसी हरीश बाजपेयी, पूर्व सपा विधायक राधेश्याम जायसवाल, मौजूदा भाजपा विधायक राकेश राठौर जैसे नेता इसमें अग्रणी हैं. सीतापुर से भाजपा का एक प्रतिनिधि मंडल तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ तक जा पहुंचा और व्यापारी परिवार की हत्या करने वाले लुटेरों की गिरफ्तारी की मांग की. इनमे मंडल में जिला प्रभारी एवं मंत्री रीता बहुगुणा जोशी, जिला प्रभारी मानसिंह, सीतापुर सांसद राजेश वर्मा एवं सदर विधायक राकेश राठौर भी शामिल थे.

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल, महोली के पूर्व सपा विधायक अनूप गुप्ता सहित अन्य कई नेता भी पीड़ित परिवार के घर पहुंच कर भावुक होने और दिखने का उपक्रम किया. सामाजिक कार्यकर्ता कुमुदलता कहती हैं कि कामिनी (व्यापारी की पत्नी) बहुत दिलेर महिला थीं, जो लुटेरों से आखिरी दम तक लड़ती रहीं, लेकिन सीतापुर की पुलिस वह महिला भी नहीं है, वह क्या है इसके लिए अब कुछ कहने की जरूरत नहीं. योगी सरकार में मंत्री रहते हुए रीता बहुगुणा जोशी ने स्पष्ट कहा कि व्यापारी परिवार हत्याकांड से प्रदेश की कानून व्यवस्था को कड़ी चुनौती मिली है.

आंखों में आंसू पर ज़ुबां पर न्याय की मांग

लूट के दौरान मारे गए दाल व्यापारी सुनील जायसवाल की दोनों बेटियां शिवानी व रिचा लखनऊ में रहकर पढ़ाई करने के चलते बच गईं. इस हृदय विदारक घटना के बाद दोनों बहनें अवाक हैं. वे योगी सरकार से मांग कर रही हैं कि हत्यारों को मौत मिले अन्यथा वे फांसी लगा लेंगी. सियासत करने पहुंच रहे हर नेता से दोनों बेटियां न्याय की मांग कर रही हैं. बेटियों के सुलगते सवालों से शासन और प्रशासन दोनों कठघरे में है.

बेटियां पुलिस से पूछ रही हैं कि उनके पिता का मोबाइल फोन कहां गायब है? उनके पिता सुनील की हत्या करने के बाद अपराधी उनका मोबाइल ले गए या किसी अन्य व्यक्ति ने मोबाइल गायब कर दिया? एडीजी अभय कुमार प्रसाद ने भी 72 घंटे के अंदर हत्यारों को सलाखों के पीछे करने की बात कही थी, लेकिन उनका दावा भी नेता का बयान ही साबित हुआ.

हत्याकांड पर व्यापारी समुदाय नाराज़

व्यापारी हत्याकांड और पुलिस की नाकामी के खिलाफ पिछले दिनों सिद्धार्थनगर, सीतापुर, वाराणसी, लखीमपुर, हरदोई व कुछ अन्य जिलों से आए व्यापारियों ने लखनऊ के व्यापारियों के साथ मिल कर राजधानी लखनऊ में गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों में वैश्य समाज, जायसवाल समाज एवं व्यापार मंडल के सदस्य शामिल थे.

इनमें जायसवाल समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय जायसवाल, लखनऊ स्थित मनकामेश्वर मंदिर की महंत स्वामी दिव्या गिरी, विधायक अजय राज, अखिल भारतीय उद्योग मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप बंसल, विकास जन कल्याण सेवा समिति के मुख्य संरक्षक विजय गुप्ता, अखिल भारतीय उद्योग मंडल के महामंत्री सुरेश छबलानी, सेंट्रल बार एसोसिएशन के सचिव मनीष जायसवाल, अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के अध्यक्ष सतीश गुप्ता, नवयुवक जायसवाल समाज के अध्यक्ष राजेश जायसवाल और वैश्य महासभा के महासचिव राजकुमार गुप्ता समेत सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. प्रदर्शनकारियों ने सीतापुर पुलिस के नाकारेपन के आधार पर इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की.

अपराधियों ने धो डाला सरकार का दावा

मथुरा में सर्राफा व्यापारियों की हत्या और सीतापुर में दाल व्यापारी के पूरे परिवार की हत्या समेत कई अन्य सनसनीखेज वारदातों ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और योगी सरकार के दावों को धोकर रख दिया है. अखिलेश सरकार की खराब कानून व्यवस्था पर उंगली उठाने वाले भाजपाई अब अपनी कानून व्यवस्था पर झेंप रहे हैं. आम नागरिक तब भी कानून व्यवस्था को लेकर निराश था, अब भी है. सरकार बदलने के कुछ दिन तक तो लगा कि पुलिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवर का कुछ असर है, लेकिन जल्दी ही वह हनक भी जाती रही.

अब योगी ही कातर भाव में नजर आने लगे हैं. मुख्यमंत्री ने पहले कहा कि प्रशासनिक तबादलों का असर कानून व्यवस्था पर नहीं पड़ता, लेकिन अब अपनी बात बेअसर होता देख कर वे भी धड़ाधड़ तबादले कर रहे हैं. योगी ने जावीद अहमद को हटा कर सुलखान सिंह को डीजीपी बनाया, लेकिन सुलखान सिंह की ईमानदारी और सख्ती भी पुलिस पर कोई असर नहीं दिखा पाई. तबादलों की सूची पर अब यह भी कहा जाने लगा है कि दागी और नाकारा छवि वाले पुलिस अफसर जुगाड़ बिठाकर अहम तैनातियां पा रहे हैं.

जमीनी सच्चाई यही है कि उत्तर प्रदेश में लोग खराब कानून व्यवस्था से त्रस्त हैं. पुलिस वाले अपने धंधे में व्यस्त हैं. प्रधानमंत्री ने अपने विधायकों और सांसदों को हिदायत दे रखी है कि वे किसी के तबादले की सिफारिश नहीं करेंगे. पीएम की यह हिदायत उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है. अफसर भी यह समझ गए हैं कि सांसद विधायक की कोई औकात नहीं रह गई है. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पिछले दिनों जब मेरठ गए तो उन्हें भाजपा सांसद और विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों के रोष का सामना करना पड़ा.

समीक्षा बैठक में जब मौर्य ने पूछा कि अपराधियों में भाजपा सरकार का खौफ है या नहीं तो सबने एक सुर में कहा, नहीं. मौर्य से कुछ कहते नहीं बन पड़ा. मथुरा में सर्राफा व्यापारियों की हत्या, सहारनपुर में शब्बीरपुरकांड, रामपुर में मुस्लिम युवकों द्वारा सरेराह लड़की और उसकी मां से अश्लील हरकत की वारदात, हाथरस में पुलिसवालों द्वारा दम्पत्ति को लूटने का मामला और अब सीतापुर में व्यापारी परिवार की हत्या उत्तर प्रदेश में योगी राज के बजाय जंगल राज की पुष्टि कर रही है.

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