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हाल ही में राजस्थान सचिवालय के लिए चपरासी के पद पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू हुआ है. लेकिन जब इंरव्यू लेने वाले ने आए उम्मीदवारों की शैक्षणिक डिग्री देखी तो हैरान रह गए क्योंकि चतुर्थ श्रेणी के यानी चपरासी के 18 पदों पर आवेदन करने वालों में 129 इंजीनियर, 1 चार्टर्ड अकाउंटेंट, 23 वकील व 393 कला संकाय के में पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार शामिल थे. ऐसे में इंटरव्यू हैरान थे कि इस पद के लिए पोस्ट ग्रेजुएट उम्मीदवार ही हैं. जबकि इस पद के लिए इतनी शैक्षणिक डिग्री अनिवार्य नहीं थी.

बता दें कि राजस्थान सचिवालय में चपरासी भर्ती के लिए कुल 12 हजार 453 लोगों ने इंटरव्यू दिया। जिसमें आखिरी 18 लोगों में जिस शख्स ने जगह बनाई उसमें एक 30 वर्षीय युवक रामकृष्ण मीणा शामिल है, जो 10वीं तक पढ़ा है और बीजेपी विधायक का बेटा है.

रामकृष्ण मीणा के चयन से राजनीति तेज हो गई है. सचिवालय की वेबसाइट में 15 दिसंबर जारी रिजल्ट में रामकृष्ण मीणा का स्थान 12वां है.

बता दें कि इस मामले पर विपक्ष ने इन नियुक्तियों में गड़बड़ी की आशंका जताई है. वहीं राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने इस नियुक्ति पर सवाल खड़े करते हुए. इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.

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गौरतलब है कि इस नौकरी के लिए न्यूनतम योग्यता मात्र 5वीं क्लास पास थी। लेकिन इस भर्ती में जिन लोगों का इंटरव्यू हुआ उनमें 3600 लोग काफी पढ़े लिखे थे। इन उम्मीदवारों में 1533 आर्ट्स ग्रेजुएट, 23 साइंस में पीजी व 9 लोगों के पास एमबीए की डिग्री थी।

वहीं जमवा रामगढ़ के विधायक जगदीश नारायण मीणा ने बेटे का चपरासी पद के लिए चयन होने पर इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी से इंकार करते हुए कहा है कि भर्तियों में ‘अनियमितताओं’ का सवाल ही नहीं है.

विधायक का कहना है कि मेरे बेटे ने सामान्य प्रक्रिया के तहत इस नौकरी के लिए आवेदन किया था और इंटरव्यू के बाद उसका सेलेक्शन हुआ है। विपक्ष कह रहा है कि मैंने अपने बेटे को नौकरानी दिलवाने के लिए पावर का इस्तेमाल किया है, अगर ऐसा होता तो मैं अपने बेटे को चपरासी की नौकरी क्यों दिलाता.

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