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साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट केस में कर्नल श्रीकांत पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट की तरफ से राहत नहीं दी गयी है बल्कि अब इनकी मुश्किलें और भी बढ़ गयी हैं. हालाकि इनके ऊपर से मकोका को हटा लिया गया है लेकिन अब इनपर IPC की धाराओं के तहत केस चलेगा.

कोर्ट ने इसके अलावा श्याम साहू, प्रवीण टक्कलकी और रामचंद्र कालसांगरा को बरी कर दिया. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में अंजुमन चौक पर शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हो गयी थी. वहीँ इस धमाके में 101 लोग बुरी तरह से ज़ख़्मी हुए थे.

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यह धमाका एल एम एल फ्रीडम मोटरसाइकिल में हुआ था. विस्फोटक को उस मोटरसाइकिल में फिट किया गया था. इस संबंध में आजाद नगर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में हत्या, हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश के साथ यूएपीए भी लगाया गया था. बाद में जांच एटीएस को सौंप दी गई थी. एटीएस ने मोटरसाइकिल की चैसीस नम्बर से मिले सुराग के आधार पर सबसे पहले साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार किया. धमाके वाली मोटरसाइकिल साध्वी के नाम से रजिस्टर्ड थी. उसके बाद स्वामी दयानंद पांडे, मेजर रमेश उपाध्याय और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित कुल 11 को गिरफ्तार कर लिया गया.

इस मामले पर 20 नवंबर 2008 को मकोका लगा दिया गया और एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को पहला आरोप पत्र दायर किया, जिसमें 11 गिरफ्तार और 3 फरार आरोपी दिखाए गए. लेकिन उसके बाद इस केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA को सौंप दी गई. NIA ने तकरीबन 4 साल की जांच के बाद 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी.

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