मुंबई: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले तमाम राजनीतिक पार्टियों की तरफ से तेज़ हो गई हैं। इस बीच नीतीश कुमार के दूत प्रशांत किशोर मातोश्री पहुंचे हैं। प्रशांत किशोर ने उद्धव ठाकरे से मुलाक़ात की हैं। प्रशांत क्यों आये हैं और किसका सन्देश लेकर आए हैं ये अब तक साफ़ नहीं हो पाया हैं। बताया जा रहा हैं कि 2019 लोकसभा चुनाव कि ज़िम्मेदारी भी प्रशांत किशोर की टीम को दी गयी हैं। हो सकता हैं उन्हीं तैयारियों के सिलसिले में शिवसेना प्रमुख से मिलने पहुंचे हैं।

वहीं लोकसभा चुनाव को लेकर ये भी खबर आ रही हैं कि बीजेपी और शिवसेना समझौते के करीब पहुँच चुकी हैं।दोनों ही पार्टियां 24-24 सीटों पर चुनाव लड़ सकती हैं। शिवसेना अभी ऐसे किसी प्रस्ताव से ही इंकार कर रही है। मातोश्री में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मार्गदर्शन ले बाहर निकले सांसदों में से एक संजय राऊत ने अभी तक किसी प्रस्ताव से इंकार किया हैं।

प्रशांत किशोर से जुड़ी खास बातें

प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का जन्म साल 1977 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ. प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक हैं और बक्सर में मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी रह चुके हैं. वहीं मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं.

प्रशांत किशोर के बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं और उनका खुद का कारोबार है. प्रशांत किशोर की दो बहनें भी हैं. पिता डॉ. श्रीकांत पांडे सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद बक्सर में ही अपनी क्लिनिक चलाते हैं.

प्रशांत किशोर की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार में ही हुई और बाद में वे इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गए. यहां तकनीकी शिक्षा हासिल की. इसके बाद उन्होंने यूनिसेफ (UNICEF) में नौकरी ज्वाइन की और ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला.

यूनिसेफ के साथ काम करने के बाद साल 2011 में प्रशांत भारत लौटे और गुजरात के चर्चित आयोजन ‘वाइब्रैंट गुजरात’ से जुड़े. इस आयोजन की ब्रांडिंग आदि का जिम्मा खुद संभाला और यह बेहद सफल रहा.

कहा जाता है कि ‘वाइब्रैंट गुजरात’ के आयोजन के दौरान ही उनकी राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जान-पहचान हुई और फिर प्रशांत किशोर ने मोदी के लिए काम करना शुरू किया.

प्रशांत किशोर की असली पहचान साल 2014 के लोकसभा चुनावों से बनी. इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के लिए काम किया और भाजपा की प्रचंड जीत के लिए प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति को श्रेय दिया गया.

कहा जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के चुनाव प्रचार के दो अहम अभियान, ‘चाय पर चर्चा’ और ‘थ्री-डी नरेंद्र मोदी’ के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था. ये दोनों अभियान काफी सफल रहे और बीजेपी सत्ता तक पहुंची.

हालांकि 2014 में जीत के बाद प्रशांत किशोर की भाजपा से दूरी बढ़ गई और वे बिहार की तरफ मुड़े. साल 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के लिए काम किया और यहां भी वे करिश्मा दिखाने में सफल रहे.

इस चुनाव के बाद प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ी और दोनों लोग कई जगह साथ दिखे. हालांकि जब नीतीश कुमार फिर बीजेपी के साथ आए तो प्रशांत से खटास की भी खबरें सामने आईं.

इस बीच अलग-अलग चुनावों में प्रशांत के अलग-अलग दलों के साथ काम करने की चर्चाएं भी चलती रहीं. फिर राजनीति में आने की खबर आई और आज प्रशांत किशोर बिहार से अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं.

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