मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक चार साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी महेंद्र सिंह गोंड को फांसी की सजा सुनाई गई है. आरोपी को 2 मार्च को जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय कारागार में फांसी दी जाएगी. हालाँकि दोषी के पास सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका का भी विकल्प मौजूद है लेकिन अगर फिर भी महेंद्र सिंह गोंड को फ़ासी की सजा दी जाती है तो यह नए रेप कानून के तहत किसी को मिलने वाली पहली फांसी होगी। इससे पहले धनंजय चटर्जी को दुष्कर्म मामले में 2004 में फंसी दी गई थी.

इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा निचली अदालत के फैसले को बरकार रखने के फैसले के बाद अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा ने दोषी महेंद्र सिंह गोंड का डेथ वारंट जारी किया. जिसके मुताबिक महेंद्र सिंह गोंड को फांसी देने के लिए 2 मार्च 2019 की तारिख तय की गई है. 19 सितम्बर 2018 को सताना जिले के नागौद अदालत के अपर सत्र न्यायाधीश दिनेश शर्मा 4 साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले महेंद्र सिंह गोंड को दोषी करार देते हुए फांसी  की सजा सुनाई थी. न्यायाधीश दिनेश शर्मा ने इस मामले को “रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर” मानते हुए आईपीसी और पॉस्को एक्ट के तहत दोषी पाया था.जिसके बाद मामाला मध्यप्रदेश हाई कोर्ट पहुंचा जहाँ कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए महेंद्र सिंह गोंड कि फंसी की सजा पर मुहर लगा दी.

गौरतलब है कि पेशे के शिक्षक महेंद्र सिंह गोंड ने 30 जून 2018 की रात एक बच्ची का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया था और उसे मरा हुआ समझकर फेंक दिया था. जिससे बाद बच्ची की तलाश में निकले परिजन उसे तुरंतअस्पताल लेकर गए. वहीं मामले का खुलाशा होने पर पुलिस ने वारदात के कुछ ही घंटो बाद महेंद्र सिंह गोंड को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ़्तारी के बाद रिकॉर्ड समय में पुलिस ने अपनी जाँच पूरी की और 47 दिनों तक चली सुनवाई में के बाद कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई. जिसके बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी आरोपी की अपील खारिज करते 25 जनवरी को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते फांसी की सजा बरकरार रखी थी.

 

Adv from Sponsors