राफेल डील को लेकर लगातार सियासी घमासान जारी है. इसी बीच बीते दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वे राफेल डील से जुड़ी सभी जानकारी सुप्रीम कोर्ट और याचिकाकर्ताओँ को सौंपे. अब इस कड़ी में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य पक्षकारों को राफेल डील संबंधित सभी जानकारी दे दी है.

आईए जानते है कि आखिर क्या लिखा था उस दस्तावेज में…

सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया…

गौरतलब है कि लगातार विपक्षी दलों के नेता खासकर कांग्रेस नरेंद्र मोदी पर ये आरोप लगा रहे हैं कि राफेल डील के समय केंद्र सरकार ने उचित नियमों का अनुपालन नहीं किया है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार  के द्वारा सौंपे गए दस्तावेज में ये लिखा हुआ है कि सरकार ने राफेल खरीद के समय सभी नियमों का अनुपालन किया है. साथ ही यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान रक्षा उपकरण खरीद प्रक्रिया 2013 का अनुपालन किया गया है. इस खरीद के लिए कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी (ccs) की अनुमति भी ली गई. इसके बाद जब रक्षा मंत्रालय के अनुमति मिली तब जाकर भारत-फ्रांस के बीच समझौते को 23 सितंबर 2016 को अंजाम दिया गया.

HAL को क्यों नहीं चुना..

अपने दिये गए दस्तावेज में केंद्र सरकार ने इस बात का भी खुलास किया है कि आखिर उसने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को क्यों नहीं चुना. सरकार ने कहा कि जिस तय समय सीमा में विमानों के निर्माण की मांग फ्रांस सरकार कर रही थी उससे दो गुणा अधिक समय एचएएल मांग कर रहा था. जिसके कारण हमने एचएएल को ये समझौता नहीं दिया.

ऑफसेट पार्टनर के बारे में..

दस्तावेज में केंद्र सरकार ने ऑफसेट पार्टनर का भी जिक्र किया है. जिसको लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार नरेंद्र मोदी पर ये आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने अनील अंबानी को 30,000 करोड़ का फायदा पहुंचाने के लिए, फ्रांस सरकार को मजबूर किया कि वे ऑफसेट को चुने. बता दें कि दस्तावेज में केन्द्र सरकार ने कहा कि फ्रांस सरकार ने अपने मर्जी के मुताबिक ऑफसेट पार्टनर को चुना.

सुप्रीम कोर्ट को राफेल की कीमत बताई..

लगातार राफेल डील को लेकर जो मुख्य कारण विवाद का है वो है इसकी कीमत केंद्र सरकार ने अपने दिए गए दस्तावेज में सुप्रीम कोर्ट को राफेल की कीमत बता दी है.

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