journalistसासाराम के अमरा तलाब पर अहले सुबह गोलियों से छलनी हो मौत की नींद सोने वाले पत्रकार धर्मेंद्र की हत्या ने कई सवाल छोड़े हैं. सूबे में छह महीने के अंदर चार पत्रकारों की हत्या सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ा प्रश्‍न है. यह भी कम चिंताजनक नहीं कि आखिर कब तक सासाराम के समीप करवंदिया में पत्थर खनन माफियाओं को खून की होली खेलने की छूट मिलती रहेगी.

इन खनन माफियाओं के कारण सरकार को प्रतिवर्ष सैकड़ों करोड़ रूपये राजस्व की हानि भी हो रही है. यहां बीते दो वर्षों में बर्चस्व की लड़ाई के कारण बीस से ज्यादा लोगों की हत्या की जा चुकी है. प्रत्येक सप्ताह यहां एक बार बंदूके गरजती ही हैं.

प्रशासन अपना काम करता है और पत्थर माफिया बेपरवाह अपने काम में जुटे रहते हैं. पिछले चार वर्षों में करवंदिया क्षेत्र 30 से ज्यादा लोगों की मौत का गवाह बना. ये घटनाएं सिर्फ अवैध पत्थर खनन के मामलों से जुड़ी हैं. ताजा घटना सासाराम के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह की हत्या की है, जिसमें कई खुलासे हुए और अभी बहुत से खुलासे हाने बाकी हैं.

हत्या के बाद अपराधी द्वारा जेल में बंद दूसरे अपराधी की मोबाईल फोन से बातचीत करने की बात रोहतास एसपी ने खुद ही स्वीकारी. जो इस बात को प्रमाणित करता है कि माफियाओं का नेटवर्क सासाराम मंडलकारा तक फैला है. जहां रोहतास प्रशासन की नाक की नीचे अपराधी मोबाईल फोन का उपयोग करते हैं.

शाहाबाद रेंज के डीआईजी मोहम्मद ए रहमान ने पत्रकार धर्मेंद्र के बारे में कहा कि पुलिस के साथ उनका रवैया सहयोगात्मक था. जबकि रोहतास एसपी ने यह बयान दिया है कि इस पत्रकार का व्यक्तित्व संदिग्ध रहा है. दोनों अधिकारियों के बयान परस्पर विरोधी हैं, जो कहीं ना कहीं पत्थर माफियाओं को सह दे रहे हैं.

रामबिलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, सुशील मोदी, प्रेम कुमार, सांसद डॉ. अरूण कुमार सिंह, सांसद सुशील सिंह, विधायक ललन पासवान, पूर्व विधायक राजेश्‍वर राज, राजेंद्र सिंह जैसे कई नेता पत्रकार की हत्या के बाद उनके पैतृक गांव अमरा पहुंचे.

सभी नेताओं ने राज्य की विधि व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. वहीं यह बात भी दुहराई कि सासाराम का अवैध पत्थर खनन इस हत्या का सबसे बड़ा कारण है. कोई भी उनके खिलाफ आवाज उठायेगा, तो उसपर इन माफियाओं की नजर तीरछी होगी ही. लेकिन इन माफियाओं और अपराधियों पर

रोहतास प्रशासन की कोई पकड़ नहीं है. राज्य सरकार मुकदर्शक बनी हुई है. इसके अलावा सत्ता पक्ष के भी बहुत से नेता पत्रकार के परिजनों से मिलने पहुंचे. राज्य सरकार में उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, जदयू विधायक वशिष्ठ सिंह और राजद विधायक संजय सिंह ने पत्रकार के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की. उन्होंने कहा कि पत्रकार हत्या कांड में पुलिस त्वरित कार्रवाई करेगी.

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अवैध खनन के सवाल पर भी सरकार गहराई से विचार कर रही है. राजनीतिक दिग्गजों के मातमपुर्सी और बयानबाजी के बीच रोहतास के पत्रकारों ने इस घटना के खिलाफ अलग से अभियान छेड़ रखा है. कहीं पुतला दहन, कहीं विरोध मार्च, कहीं सम्मान वापसी तो कहीं महाधरना जारी है.

धर्मेंद्र की हत्या के बाद एक और बात खुलकर सामने आई कि बनारस का सनी गुप्ता अपना नाम बदलकर रोहतास में करवंदिया के आस-पास अपराधिक घटनाओं का अंजाम दे रहा है. इसकी सूचना सासाराम पुलिस को थी. सासाराम पुलिस सनी द्वारा बदले हुए नाम, बनारस के कुख्यात ईनामी मनीष सिंह पर प्राथमिकियां भी करती रही है. पुलिस के सामने करवंदिया में लगातार अपराध और पहाड़ों में अवैध खनन के धमाके जारी रहते हैं.

पुलिस सिर्फ अवैध क्रैशरों को ध्वस्त कर अपनी पीठ थपथपाती रहती है. कभी समाचारों के माध्यम से तो कभी व्यक्तिगत प्रयासों से अवैध खनन को रोकने के लिए धर्मेंद्र द्वारा किए गए प्रयास ही अवैध खनन माफियाओं पर भारी पड़े.

लेकिन उन्हें भी अपराधियों ने निशाना बना दिया. हालांकि पुलिस पहले दिन से ही इस हत्या कांड को दूसरी दिशा में मोड़ने के लिए प्रयासत है. परंतु हत्या के कारणों का सच अवैध खनन ही है, जो पत्रकार धर्मेंद्र की जान पर भारी पड़ा.

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