rjdबिहार विधानसभा के होने वाले उपचुनाव में मगध का जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है. इस विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी से ही दलीय व निर्दलीय प्रत्याशी लोगों के बीच अपनी स्थिति का आकलन करने लगे हैं. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है इस क्षेत्र से कौन किस दल का प्रत्याशी बनेगा. लेकिन इतना तय है कि मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के राजद के बीच ही होेगा. जहानाबाद उपचुनाव लड़ने के लिए सबसे अधिक मारामारी एनडीए के रालोसपा में होगी, क्योंकि राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अभी दो गुटों में बंट चुकी है.

चूंकि यह सीट राजद विधायक मुन्द्रिका सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई थी, इसलिए संभावना है कि स्वर्गीय मुन्द्रिका सिंह यादव के बेटे सुदय को ही राजद यहां से अपना प्रत्याशी बनाए. इस बार चुनावी समीकरण भी बदला-बदला होगा. 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए आमने सामने थे, जिसमें जदयू और भाजपा के बीच टक्कर हुई थी. लेकिन अब चूंकि जदयू-भाजपा साथ हैं, इसलिए दोनों मिलकर राजद के खिलाफ मैदान में उतरेंगे.

2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से रालोसपा के प्रत्याशी मैदान में थे, वहीं महागठबंधन की तरफ से राजद ने अपना उम्मीदवार उतारा था, जिसमें राजद की जीत हुई थी और मुन्द्रिका सिंह यादव विधायक बने थे. इस बार भी संभावना है कि एनडीए की तरफ से रालोसपा का प्रत्याशी ही चुनाव लड़ेगा. लेकिन रालोसपा के दो गुटों में बंट जाने के कारण दावेदारी की समस्या बढ़ गई है. रालोसपा के दोनों गुटों ने अगर जहानाबाद विधानसभा उपचुनाव में प्रत्याशी देने के मामले में अड़ियल रवैया अपनाया, तो हो सकता है कि एनडीए की ओर से यह सीट जदयू के खाते में चली जाय.

जदयू से पूर्व विधायक अभिराम शर्मा के साथ-साथ जिला जदयू अध्यक्ष राजीव नयन उर्फ राजू भी इसके लिए दावेदारी कर सकते है. हालांकि जदयू के खाते में यह सीट आने के बाद यहां से प्रत्याशी का फैसला जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही करेंगे. रालोसपा ने 2015 में प्रवीण कुमार को मैदान में उतारा था, एनडीए प्रत्याशी की हैसियत से प्रवीण कुमार को 46,137 वोट मिले थे, जबकि राजद के विजयी मुन्द्रिका सिंह यादव को 76,458 वोट मिले.

इससे पूर्व 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू के अभिराम शर्मा ने यहां राजद के सच्चितानंद यादव को हराया था. तब अभिराम शर्मा को 35,508 तथा राजद के सच्चितानंद यादव को 26,941 वोट मिले थे. वर्तमान में अगर यहां से राजद अपने पूर्व विधायक के बेटे सुदय को प्रत्याशी बनाता है, तो उन्हें अपने पिता के लिए सहानुभूति वोट मिलने की संभावना है. एक विधायक के रूप में सुदय के पिता स्वर्गीय मुन्द्रिका सिंह यादव की क्षेत्र में अच्छी पकड़ थी. उनकी छवि एक साथ-सुथरे नेता के रूप में थी.

इन सबका लाभ उनके पुत्र सुदय को मिल सकता है. प्रत्याशी के लिए रालोसपा से जिनकी चर्चा है, उनमें गोपाल शर्मा का नाम प्रमुख है. ये पहले लोजपा में थे, फिर रालोसपा में आए. अभी ये उपेन्द्र कुशवाहा गुट के साथ हैं. गोपाल शर्मा चर्चित मियांपुर और परसबिगहा नरसंहार के मुख्य अभियुक्त थे, हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें इस मामले में बरी कर दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे प्रो0 रामयतन सिन्हा के बेटे अमित सिन्हा भी रालोसपा से टिकट चाहते हैं. रालोसपा से अपनी उम्मीदवारी को लेकर वे क्षेत्र में भी घूम रहे हैं.

अमित सिन्हा इससे पूर्व बिहार विधान परिषद् के गया स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. जहानाबाद के सांसद और रालोसपा के दूसरे गुट के अध्यक्ष अरुण कुमार के बेटे रितु राज का नाम भी यहां से रालोसपा प्रत्याशी के रूप में चर्चा में है. रितु राज भी अभी से जनसम्पर्क में लगे हैं. अगर इस सीट को लेकर रालोसपा के दोनों गुटों में आपसी खिंचतान हुई, तो फिर ऐसी स्थिति में यहां से भाजपा या जदयू का प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरेगा. हालांकि एक तथ्य यह भी है कि जहानाबाद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा अब तक सफल नहीं हुई है और न ही यहां भाजपा का मजबूत संगठन है. हालांकि इस उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने अभी तारीख की घोषणा नहीं की है. चुनाव आयोग की घोषणा के बाद ही यहां पर दलीय उम्मीदवारी की तस्वीर साफ हो सकेगी.

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